📅 छठ पूजा 2025 की तिथि एवं चार दिन का पर्व
छठ पूजा सूर्य उपासना का महान पर्व है जो हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व शनिवार, 25 अक्टूबर से मंगलवार, 28 अक्टूबर तक चलेगा।
| पर्व का दिन | तिथि | विशेषता |
|---|---|---|
| पहला दिन – नहाय-खाय | 25 अक्टूबर 2025 | व्रत की शुरुआत, पवित्र स्नान और शुद्ध भोजन |
| दूसरा दिन – खरना | 26 अक्टूबर 2025 | निर्जला उपवास एवं गुड़ की खीर का प्रसाद |
| तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य | 27 अक्टूबर 2025 | सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पण |
| चौथा दिन – उषा अर्घ्य व पारण | 28 अक्टूबर 2025 | सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर व्रत का समापन |
🕕 मुख्य पूजा तिथि (षष्ठी तिथि): 27 अक्टूबर 2025, सोमवार
🌅 सूर्योदय: लगभग 06:10 बजे
🌇 सूर्यास्त: लगभग 05:25 बजे
(समय भौगोलिक स्थान के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है।)
🌸 छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया (ऊषा देवी) की उपासना का महान पर्व है।
यह व्रत व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है।
इस पर्व में सूर्य देव को जल अर्पित कर श्रद्धालु यह संदेश देते हैं कि —
“हे आदित्य देव! आप ही जीवन के आधार हैं, आपकी किरणों से ही पृथ्वी पर ऊर्जा, अन्न और प्रकाश का संचार होता है।”
छठ पूजा को निष्काम भक्ति का प्रतीक भी माना गया है, जहाँ भक्त अपने मन की पवित्रता के साथ केवल सूर्य देव के आशीर्वाद की कामना करते हैं।
🪷 छठ पूजा व्रत विधि (Step-by-Step)
🏞️ पहला दिन – नहाय-खाय
-
सबसे पहले व्रती (व्रत करने वाला व्यक्ति) प्रातःकाल नदी, तालाब या किसी पवित्र जलाशय में स्नान करता है।
-
इसके बाद घर में शुद्धता के साथ भोजन बनता है — सामान्यतः लौकी-चना दाल और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
-
इस दिन व्रती केवल एक बार सात्विक भोजन करता है, जिससे शरीर व मन शुद्ध रहता है।
🌼 दूसरा दिन – खरना (लोहंडा)
-
यह दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है। व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखता है।
-
शाम को सूर्यास्त के बाद मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनता है।
-
सूर्य देव को अर्घ्य देकर यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है और परिवार के लोगों में बाँटा जाता है।
-
इसी दिन से 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ होता है जो उषा अर्घ्य तक चलता है।
🌅 तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य
-
इस दिन श्रद्धालु शाम को नदी, तालाब या सरोवर के तट पर एकत्र होते हैं।
-
महिलाएँ सिर पर टोकरी (सोप) लेकर जल में खड़ी होती हैं जिसमें प्रसाद — ठेकुआ, सिंघाड़ा, केला, दीपक, और पुष्प रखे जाते हैं।
-
सूर्य देव को अस्त होते समय अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
-
पूरे वातावरण में “छठी मैया” के भजन गूँजते हैं, और दीपों की रौशनी से तट झिलमिलाने लगता है।
🌄 चौथा दिन – उषा अर्घ्य एवं पारण
-
यह पर्व का सबसे शुभ क्षण होता है।
-
व्रती प्रातःकाल नदी तट पर खड़े होकर उदयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
-
यह अर्घ्य संतान की दीर्घायु, परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के साथ दिया जाता है।
-
अर्घ्य के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत का समापन करते हैं — इसे पारण कहा जाता है।
📖 छठ पूजा की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ व्रत का प्रारंभ माता सीता ने किया था।
लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने पर उन्होंने सूर्य देव की उपासना कर राम राज्य की समृद्धि की कामना की।
एक अन्य कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत की कोई संतान नहीं थी।
उनकी पत्नी मालिनी ने तपस्या कर सूर्य देव से प्रार्थना की।
सूर्य देव ने उन्हें छठी मैया की उपासना का व्रत बताया। जब उन्होंने श्रद्धा से व्रत किया, तब उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
इसी प्रकार से यह व्रत संतान, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु किया जाने लगा।
🪔 छठी मैया की आरती
जय जय छठी मैया,
जय उषा देवी भवानी।
सप्तमी के दिन आईं माता,
सुन ले अरज हमारी॥
जो तुहारी शरण में आवे,
उसके दुख मिट जाए।
सूर्य की बहना कहलावे,
संकट सब हर जाए॥
🌻 छठ पूजा के नियम एवं सावधानियाँ
-
व्रत के दौरान पूर्ण शुद्धता, संयम और सात्विकता बनाए रखें।
-
किसी भी प्रकार का मांसाहार, मदिरा या तामसिक आहार वर्जित है।
-
पूजा सामग्री स्वयं के हाथों से तैयार करें, खरीदा हुआ प्रसाद शुद्ध जल से स्नान कर ही प्रयोग करें।
-
अर्घ्य के समय नदी या जलाशय में शांति बनाए रखें और मन में केवल भक्ति रखें।
-
व्रत के दौरान झूठ, क्रोध और असत्य से दूर रहें।
🌞 छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व
छठ पूजा आत्म-शुद्धि का अनुष्ठान है।
यह हमें प्रकृति के प्रति सम्मान, अनुशासन और समर्पण का भाव सिखाता है।
सूर्य देव की उपासना से जीवन में ऊर्जा, रोगमुक्ति और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
“सूर्य ही जीवन हैं, और छठ पूजा उस जीवन का अभिनंदन।”
🕉️महत्व
छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि संयम, शुद्धता और कृतज्ञता का उत्सव है।
जब हजारों लोग जल में खड़े होकर सूर्य देव को नमन करते हैं, तो वह दृश्य मानव और प्रकृति के एकत्व का साक्षात प्रमाण होता है।
“छठी मैया की कृपा से आपके जीवन में सूर्य समान प्रकाश, सुख और समृद्धि सदा बनी रहे।”