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Shiva Purana Sri Rudra Samhita (second Volume) From the eighth chapter to the fifteenth chapter

शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता (दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡) के आठवें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से पंदà¥à¤°à¤¹à¤µà¥‡à¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तक (From the eighth chapter to the fifteenth chapter of the Shiva Purana Sri Rudra Samhita (second Volume)

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

आठवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"काम की हार"

सूत जी बोले ;– हे ऋषियो! जब इस पà¥à¤°à¤•ार पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ ने कहा, तब उनके वचनों को सà¥à¤¨à¤•र नारद जी आनंदित होकर बोले- हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¨à¥! मैं आपको बहà¥à¤¤ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देता हूं कि आपने इस दिवà¥à¤¯ कथा को मà¥à¤à¥‡ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ है। हे पà¥à¤°à¤­à¥! अब आप मà¥à¤à¥‡ संधà¥à¤¯à¤¾ के विषय में और बताइठकि विवाह के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤¯à¤¾ किया? कà¥à¤¯à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ तप किया या नहीं?

सूत जी बोले ;- इस पà¥à¤°à¤•ार नारद जी ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ से पूछा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यह भी पूछा कि जब कामदेव रति के साथ विवाह करके वहां से चले गठऔर दकà¥à¤· आदि सभी मà¥à¤¨à¤¿ वहां से चले गà¤, संधà¥à¤¯à¤¾ भी तपसà¥à¤¯à¤¾ के लिठवहां से चली गईं, तब वहां पर कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†?

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤  नारद! तà¥à¤® भगवान शिव के परम भकà¥à¤¤ हो, तà¥à¤® उनकी लीला को अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•ार जानते हो। पूरà¥à¤µà¤•ाल में जब मैं मोह में फंस गया तब भगवान शिव ने मेरा मजाक उड़ाया, तब मà¥à¤à¥‡ बड़ा दà¥à¤– हà¥à¤†à¥¤ मैं भगवान शिव से ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾ करने लगा। मैं दकà¥à¤· मà¥à¤¨à¤¿ के यहां गया। देवी रति और कामदेव भी वहीं थे। मैंने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताया कि शिवजी ने किस पà¥à¤°à¤•ार मेरा मजाक उड़ाया था। मैंने पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से कहा कि तà¥à¤® à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करो जिससे महादेव शिव किसी कमनीय कांति वाली सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से विवाह कर लें। मैंने पà¥à¤°à¤­à¥ शिव को मोहित करने के लिठकामदेव और रति को तैयार किया। कामदेव ने मेरी आजà¥à¤žà¤¾ को मान लिया।

कामदेव बोले ;- हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€! मेरा असà¥à¤¤à¥à¤° तो सà¥à¤‚दर सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ ही है। अतः आप भगवान शिव के लिठकिसी परम सà¥à¤‚दरी की सृषà¥à¤Ÿà¤¿ कीजिà¤à¥¤ यह सà¥à¤¨à¤•र मैं चिंता में पड़ गया। मेरी तेज सांसों से पà¥à¤·à¥à¤ªà¥‹à¤‚ से सजे बसंत का आरंभ हà¥à¤†à¥¤ बसंत और मलयानल ने कामदेव की सहायता की । इनके साथ कामदेव ने शिवजी को मोहने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ की, पर सफल नहीं हà¥à¤à¥¤ मैंने मरà¥à¤¤à¤—णों के साथ पà¥à¤¨à¤ƒ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शिवजी के पास भेजा। बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करने पर भी वे सफल नहीं हो पाà¤à¥¤

अतः मैंने बसंत आदि सहचरों सहित रति को साथ लेकर शिवजी को मोहित करने को कहा। फिर कामदेव पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ से रति और अनà¥à¤¯ सहायकों को साथ लेकर शिवजी के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को चले गà¤à¥¤

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

नवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ का शिव विवाह हेतॠपà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;-- काम ने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मोहित करने वाला अपना पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ फैलाया। बसंत ने उसका पूरा सहयोग किया। रति के साथ कामदेव ने शिवजी को मोहित करने के लिठअनेक पà¥à¤°à¤•ार के यतà¥à¤¨ किà¤à¥¤ इसके फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प सभी जीव और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मोहित हो गà¤à¥¤ जड़-चेतन समसà¥à¤¤ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ काम के वश में होकर अपनी मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤“ं को भूल गई। संयम का वà¥à¤°à¤¤ पालन करने वाले ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ अपने कृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª करते हà¥à¤ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित थे कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कैसे अपने वà¥à¤°à¤¤ को तोड़ दिया। परंतॠभगवान शिव पर उनका वश नहीं चल सका । कामदेव के सभी पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ हो गà¤à¥¤ तब कामदेव निराश हो गठऔर मेरे पास आठऔर मà¥à¤à¥‡

पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करके बोले ;- हे भगवनà¥! मैं इतना शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ नहीं हूं, जो शिवजी को मोह सकूं। यह बात सà¥à¤¨à¤•र मैं चिंता में डूब गया। उसी समय मेरे सांस लेने से बहà¥à¤¤ से भयंकर गण पà¥à¤°à¤•ट हो गà¤à¥¤ जो अनेक वादà¥à¤¯-यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को जोर-जोर से बजाने लगे और 'मारो-मारो' की आवाज करने लगे। à¤à¤¸à¥€ अवसà¥à¤¥à¤¾ देखकर कामदेव ने उनके विषय में मà¥à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया। तब मैंने उन गणों को 'मार' नाम पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कामदेव को सौंप दिया और बताया कि ये सदा तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ वश में रहेंगे। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ सहायता के लिठही इनका जनà¥à¤® हà¥à¤† है। यह सà¥à¤¨à¤•र रति और कामदेव बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤

काम ने कहा ;- पà¥à¤°à¤­à¥! मैं आपकी आजà¥à¤žà¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤¨à¤ƒ शिवजी को मोहित करने के लिठजाऊंगा परंतॠमà¥à¤à¥‡ यह लगता है कि मैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मोहने में सफल नहीं हो पाऊंगा। साथ ही मà¥à¤à¥‡ इस बात का भी डर है कि कहीं वे आपके शाप के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मà¥à¤à¥‡ भसà¥à¤® न कर दें। यह कहकर कामदेव रति, बसंत और अपने मारगणों को साथ लेकर पà¥à¤¨à¤ƒ शिवधाम को चले गà¤à¥¤ कामदेव ने शिवजी को मोहित करने के लिठबहà¥à¤¤ से उपाय किठपरंतॠवे परमातà¥à¤®à¤¾ शिव को मोहित करने में सफल न हो सके। फिर कामदेव वहां से वापस आ गठऔर मà¥à¤à¥‡ अपने असफल होने की सूचना दी। मà¥à¤à¤¸à¥‡ कामदेव कहने लगे कि हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¨à¥! आप ही शिवजी को मोह में डालने का उपाय करें। मेरे लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मोहना संभव नहीं है ।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

दसवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾-विषà¥à¤£à¥ संवाद"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;– नारद ! काम के चले जाने पर शà¥à¤°à¥€ महादेव जी को मोहित कराने का मेरा अहंकार गिरकर चूर-चूर हो गया परंतॠमेरे मन में यही चलता रहा कि à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ करूं, जिससे महातà¥à¤®à¤¾ शिवजी सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लें। यह सोचते सोचते मà¥à¤à¥‡ विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ का सà¥à¤®à¤°à¤£ हà¥à¤†à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ याद करते ही पीतांबरधारी शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ मेरे सामने पà¥à¤°à¤•ट हो गà¤à¥¤ मैंने उनकी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ के लिठउनकी बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। तब विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ मà¥à¤à¤¸à¥‡ पूछने लगे कि मैंने उनका सà¥à¤®à¤°à¤£ कि उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से किया था? यदि तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई दà¥à¤– या कषà¥à¤Ÿ है तो कृपया मà¥à¤à¥‡ बताओ मैं उस दà¥à¤– को मिटा दूंगा।

तब मैंने उनसे कहा ;- हे केशव! यदि भगवान शिव किसी तरह पतà¥à¤¨à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लें अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ विवाह कर लें तो मेरे सभी दà¥à¤– दूर हो जाà¤à¤‚गे। मैं पà¥à¤¨à¤ƒ सà¥à¤–ी हो जाऊंगा। मेरी यह बात सà¥à¤¨à¤•र भगवान मधà¥à¤¸à¥‚दन हंसने लगे और मà¥à¤ लोकसà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ का हरà¥à¤· बढ़ाते हà¥à¤ बोले हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ ! मेरी बातों को सà¥à¤¨à¤•र आपके सभी भà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ का निवारण हो जाà¤à¤—ा। शिवजी ही सबके करà¥à¤¤à¤¾ और भरà¥à¤¤à¤¾ हैं। वे ही इस संसार का पालन करते हैं। वे ही पापों का नाश करते हैं। भगवान शिव ही परबà¥à¤°à¤¹à¥à¤®, परेश, निरà¥à¤—à¥à¤£, नितà¥à¤¯, अनिरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯, निरà¥à¤µà¤¿à¤•ार, अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯, अनंत और सबका अंत करने वाले हैं। वे सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ हैं। तीनों गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को आशà¥à¤°à¤¯ देने वाले, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और महेश नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रजोगà¥à¤£, तमोगà¥à¤£, सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ से दूर à¤à¤µà¤‚ माया से रहित हैं। भगवान शिव योगपरायण और भकà¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² हैं।

हे विधे! जब भगवान शिव ने आपकी कृपा से हमें पà¥à¤°à¤•ट किया था। उस समय उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें बताया था कि यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और रà¥à¤¦à¥à¤° तीनों मेरे ही अवतार होंगे परंतॠरà¥à¤¦à¥à¤° को मेरा पूरà¥à¤£ रूप माना जाà¤à¤—ा। इसी पà¥à¤°à¤•ार देवी उमा के भी तीन रूप होंगे। à¤à¤• रूप का नाम लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ होगा और वह शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ की पतà¥à¤¨à¥€ होंगी। दूसरा रूप सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ का होगा और वे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ की पतà¥à¤¨à¥€ होंगी। देवी सती उमा का पूरà¥à¤£à¤°à¥‚प होंगी। वे ही भावी रà¥à¤¦à¥à¤° की पतà¥à¤¨à¥€ होंगी। à¤à¤¸à¤¾ कहकर भगवान महेशà¥à¤µà¤° वहां से अंतरà¥à¤§à¤¾à¤¨ हो गà¤à¥¤ समय आने पर हम दोनों (बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾-विषà¥à¤£à¥) का विवाह देवी सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ और देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ से हà¥à¤†à¥¤

भगवान शिव ने रà¥à¤¦à¥à¤° के रूप में अवतार लिया। वे कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर निवास करते हैं। जैसा कि भगवान शिव ने बताया था कि रà¥à¤¦à¥à¤° अवतार की पतà¥à¤¨à¥€ देवी सती होंगी, जो साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ शिवा रूप हैं। अतः तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनके अवतरण हेतॠपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करनी चाहिà¤à¥¤ अपने मनोरथ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ देवी शिवा की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करो। वे देवेशà¥à¤µà¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होने पर तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ सभी परेशानियों और बाधाओं को दूर कर देंगी। इसलिठतà¥à¤® सचà¥à¤šà¥‡ हृदय से उनका सà¥à¤®à¤°à¤£ कर उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करो। यदि शिवा पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जाà¤à¤‚गी तो वे पृथà¥à¤µà¥€ पर अवतरित होंगी। वे इस लोक में किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ की पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ बनकर मानव शरीर धारण करेंगी। तब वे निशà¥à¤šà¤¯ ही भगवान रà¥à¤¦à¥à¤° का वरण कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पति रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगी। तब तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ सभी इचà¥à¤›à¤¾à¤à¤‚ अवशà¥à¤¯ ही पूरà¥à¤£ होंगी। अतà¤à¤µ तà¥à¤® पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· को यह आजà¥à¤žà¤¾ दो कि वे तपसà¥à¤¯à¤¾ करना आरंभ करें। उनके तप के पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ से ही पारà¥à¤µà¤¤à¥€ देवी सती के रूप में उनके यहां जनà¥à¤® लेंगी। देवी सती ही महोदव को विवाह सूतà¥à¤° में बांधेंगी। शिवा और शिवजी दोनों निरà¥à¤—à¥à¤£ और परम बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प हैं और अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ अधीन हैं। वे उनकी इचà¥à¤›à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° कारà¥à¤¯ करते हैं।

à¤à¤¸à¤¾ कहकर भगवान शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ वहां से अंतरà¥à¤§à¤¾à¤¨ हो गà¤à¥¤ उनकी बातें सà¥à¤¨à¤•र मà¥à¤à¥‡ बड़ा संतोष हà¥à¤† कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मà¥à¤à¥‡ मेरे दà¥à¤–ों और कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का निवारण करने का उपाय मालूम हो गया था।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹à¤µà¤¾à¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ की काली देवी से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾"

नारद जी बोले ;- पूजà¥à¤¯ पिताजी! विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ के वहां से चले जाने पर कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†? बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहने लगे कि जब भगवान विषà¥à¤£à¥ वहां से चले गठतो मैं देवी दà¥à¤°à¥à¤—ा का सà¥à¤®à¤°à¤£ करने लगा और उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने लगा। मैंने मां जगदंबा से यही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की कि वे मेरा मनोरथ पूरà¥à¤£ करें। वे पृथà¥à¤µà¥€ पर अवतरित होकर भगवान शिव का वरण कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विवाह बंधन में बांधें। मेरी अननà¥à¤¯ भकà¥à¤¤à¤¿-सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो योगनिदà¥à¤°à¤¾ चामà¥à¤£à¥à¤¡à¤¾ मेरे सामने पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆà¤‚। उनकी कजà¥à¤œà¥à¤² सी कांति, रूप सà¥à¤‚दर और दिवà¥à¤¯ था। वे चार भà¥à¤œà¤¾à¤“ं वाले शेर पर बैठी थीं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सामने देख मैंने उनको अतà¥à¤¯à¤‚त नमà¥à¤°à¤¤à¤¾ से पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और उनकी पूजा-उपासना की। तब मैंने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताया कि देवी! भगवान शिव रà¥à¤¦à¥à¤° रूप में कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर निवास कर रहे हैं। वे समाधि लगाकर तपसà¥à¤¯à¤¾ में लीन हैं। वे पूरà¥à¤£ योगी हैं। भगवान रà¥à¤¦à¥à¤° बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ हैं और वे गृहसà¥à¤¥ जीवन में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नहीं करना चाहते। वे विवाह नहीं करना चाहते। अतः आप उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मोहित कर उनकी पतà¥à¤¨à¥€ बनना सà¥à¤µà¥€à¤•ार करें।

हे देवी! सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के कारण ही भगवान शिव ने मेरा मजाक उड़ाया है और मेरी निंदा की है। इसलिठमैं भी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के लिठआसकà¥à¤¤ देखना चाहता हूं। देवी! आपके अलावा कोई भी इतना शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ नहीं है कि वह भगवान शंकर को मोह में डाले। मेरा आपसे अनà¥à¤°à¥‹à¤§ है कि आप पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के यहां उनकी कनà¥à¤¯à¤¾ के रूप में जनà¥à¤® लें और भगवान शिव का वरण कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गृहसà¥à¤¥ आशà¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कराà¤à¤‚।

देवी चामà¥à¤£à¥à¤¡à¤¾ बोलीं ;- हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ ! भगवान शिव तो परम योगी हैं। भला उनको मोहित करके तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ लाभ होगा? इसके लिठतà¥à¤® मà¥à¤à¤¸à¥‡ कà¥à¤¯à¤¾ चाहते हो? मैं तो हमेशा से ही उनकी दासी हà¥à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का उदà¥à¤§à¤¾à¤° करने के लिठही रà¥à¤¦à¥à¤° अवतार धारण किया है। यह कहकर वे शिवजी का सà¥à¤®à¤°à¤£ करने लगीं। फिर वे कहने लगीं कि यह तो सच है कि कोई भगवान शिव को मोहमाया के बंधनों में नहीं बांध सकता। इस संसार में कोई भी शिवजी को मोहित ' नहीं कर सकता। मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ भी इतनी शकà¥à¤¤à¤¿ नहीं है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनके करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पथ से विमà¥à¤– कर सकूं। फिर भी आपकी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर मैं इसका पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करूंगी जिससे भगवान शिव मोहित होकर विवाह कर लें। मैं सती रूप धारण कर पृथà¥à¤µà¥€ पर अवतरित होऊंगी। यह कहकर देवी वहां से अंतरà¥à¤§à¤¾à¤¨ हो गई।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

बारहवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"दकà¥à¤· की तपसà¥à¤¯à¤¾"

नारद जी ने पूछा ;- हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€! उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤°à¤¤ का पालन करने वाले पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· ने तपसà¥à¤¯à¤¾ करके देवी से कौन-सा वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया? और वे किस पà¥à¤°à¤•ार दकà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ के रूप में जनà¥à¤®à¥€à¤‚?

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हे नारद! मेरी आजà¥à¤žà¤¾ पाकर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· कà¥à¤·à¥€à¤°à¤¸à¤¾à¤—र के उतà¥à¤¤à¤°à¥€ तट पर चले गà¤à¥¤ वे उसी तट पर बैठकर देवी उमा को अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिà¤, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हृदय से सà¥à¤®à¤°à¤£ करते हà¥à¤ तपसà¥à¤¯à¤¾ करने लगे। मन को à¤à¤•ागà¥à¤° कर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· दृढ़ता से कठोर वà¥à¤°à¤¤ का पालन करने लगे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तीन हजार दिवà¥à¤¯ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक घोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की। वे केवल जल और हवा ही गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते थे। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ देवी जगदंबा ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· दरà¥à¤¶à¤¨ दिठ। कालिका देवी अपने सिंह पर विराजमान थीं। उनकी शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² कांति व मà¥à¤– अतà¥à¤¯à¤‚त मोहक था। उनकी चार भà¥à¤œà¤¾à¤à¤‚ थीं। वे à¤à¤• हाथ में वरद, दूसरे में अभय, तीसरे में नीलकमल और चौथे हाथ में खडà¥à¤— धारण किठहà¥à¤ थीं। उनके दोनों नेतà¥à¤° लाल थे और केश लंबे व खà¥à¤²à¥‡ हà¥à¤ थे। देवी का सà¥à¤µà¤°à¥‚प बहà¥à¤¤ ही मनोहारी था। उतà¥à¤¤à¤® आभा से पà¥à¤°à¤•ाशित देवी को दकà¥à¤· और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ ने शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• नमसà¥à¤•ार किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देवी की शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤­à¤¾à¤µ से सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की।

दकà¥à¤· बोले ;- हे जगदंबा! भवानी! कालिका! चणà¥à¤¡à¤¿à¤•े! महेशà¥à¤µà¤°à¥€! मैं आपको नमसà¥à¤•ार करता हूं। मैं आपका बहà¥à¤¤ आभारी हूं, जो आपने मà¥à¤à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ दिठहैं। हे देवी! मà¥à¤ पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होइà¤à¥¤

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ ने कहा ;- हे नारद! देवी जगदंबा ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही दकà¥à¤· के मन की इचà¥à¤›à¤¾ जान ली थी।

वे बोलीं ;- दकà¥à¤·! मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ तपसà¥à¤¯à¤¾ से बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हूं। तà¥à¤® अपने मन की इचà¥à¤›à¤¾ मà¥à¤à¥‡ बताओ। मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ सभी दà¥à¤–ों को अवशà¥à¤¯ दूर करूंगी। तà¥à¤® अपनी इचà¥à¤›à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° वरदान मांग सकते हो। जगदंबा की यह बात सà¥à¤¨à¤•र पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ और देवी को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करने लगे।

दकà¥à¤· बोले ;- हे देवी! आप धनà¥à¤¯ हैं। आप ही पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होने पर मनोवांछित फल देने वाली हैं। हे देवी! यदि आप मà¥à¤à¥‡ वर देना चाहती हैं तो मेरी बात धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¥à¤¨à¥‡à¤‚ और मेरी इचà¥à¤›à¤¾ पूरà¥à¤£ करें। हे जगदंबा, मेरे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शिव ने रà¥à¤¦à¥à¤° अवतार धारण किया है परंतॠअब तक आपने कोई अवतार धारण नहीं किया है। आपके सिवा कौन उनकी पतà¥à¤¨à¥€ होने योगà¥à¤¯ है।

अतः हे देवी! आप मेरी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के रूप में धरती पर जनà¥à¤® लें और भगवान शिव को अपने रूप लावणà¥à¤¯ से मोहित करें। हे जगदंबा! आपके अलावा कोई भी शिवजी को कभी मोहित नहीं कर सकता। इसलिठआप हर मोहिनी अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ भगवान को मोहने वाली बनकर संपूरà¥à¤£ जगत का हित कीजिà¤à¥¤ यही मेरे लिठवरदान है।

दकà¥à¤· का यह वचन सà¥à¤¨à¤•र जगदंबिका हंसने लगीं और मन में भगवान शिव का सà¥à¤®à¤°à¤£ कर बोलीं ;- हे पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤·! तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ पूजा-आराधना से मैं पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हूं।

तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ वर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के रूप में जनà¥à¤® लूंगी। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ बड़ी होकर मैं कठोर तप दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ महादेव जी को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ कर, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पति रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करूंगी। मैं उनकी दासी हूं। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• जनà¥à¤® में शिव शंभॠही मेरे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ होते हैं। अतः मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ घर में जनà¥à¤® लेकर शिवा का अवतार धारण करूंगी। अब तà¥à¤® घर जाओ। परंतॠà¤à¤• बात हमेशा याद रखना । जिस दिन तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ मन में मेरा आदर कम हो जाà¤à¤—ा उसी दिन मैं अपना शरीर तà¥à¤¯à¤¾à¤—कर अपने सà¥à¤µà¤°à¥‚प में लीन हो जाऊंगी।

यह कहकर देवी जगदंबिका वहां से अंतरà¥à¤§à¤¾à¤¨ हो गईं तथा पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· सà¥à¤–ी मन से घर लौट आà¤à¥¤

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

तेरहवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"दकà¥à¤· दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का आरंभ"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;— हे नारद! पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· देवी का वरदान पाकर अपने आशà¥à¤°à¤® में लौट आà¤à¥¤ मेरी आजà¥à¤žà¤¾ पाकर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· मानसिक सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना करने लगे परंतॠफिर भी पà¥à¤°à¤œà¤¾ की संखà¥à¤¯à¤¾ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती न देखकर वे बहà¥à¤¤ चिंतित हà¥à¤ और मेरे पास आकर कहने लगे- हे पà¥à¤°à¤­à¥‹! मैंने जितने भी जीवों की रचना की है वे सभी उतने ही रह गठअरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ उनमें कोई भी वृदà¥à¤§à¤¿ नहीं हो पाई। हे तात! मà¥à¤à¥‡ कृपा कर à¤à¤¸à¤¾ कोई उपाय बताइठजिससे वे जीव अपने आप बढ़ने लगें ।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· ! मेरी बात धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¥à¤¨à¥‹à¥¤ तà¥à¤® तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤•ीनाथ भगवान शिव की भकà¥à¤¤à¤¿ करते हà¥à¤ यह कारà¥à¤¯ संपनà¥à¤¨ करो। वे निशà¥à¤šà¤¯ ही तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करेंगे। तà¥à¤® पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ वीरण की परम सà¥à¤‚दर पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ असिकà¥à¤¨à¥€ से विवाह करो और सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के साथ मैथà¥à¤¨-धरà¥à¤® का आशà¥à¤°à¤¯ लेकर पà¥à¤°à¤œà¤¾ बढ़ाओ। असिकà¥à¤¨à¥€ से तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ सी संतानें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंगी। मेरी आजà¥à¤žà¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दकà¥à¤· ने वीरण की पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ असिकà¥à¤¨à¥€ से विवाह कर लिया। उनकी पतà¥à¤¨à¥€ के गरà¥à¤­ से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दस हजार पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆà¥¤ ये हरà¥à¤¯à¤¶à¥à¤µ नाम से जाने गà¤à¥¤ सभी पà¥à¤¤à¥à¤° धरà¥à¤® के पथ पर चलने वाले थे। à¤à¤• दिन अपने पिता दकà¥à¤· से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤œà¤¾ की सृषà¥à¤Ÿà¤¿ करने का आदेश मिला। तब इस उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से तपसà¥à¤¯à¤¾ करने के लिठवे पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशा में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ नारायण सर नामक तीरà¥à¤¥ पर गà¤à¥¤

वहां सिंधॠनदी व समà¥à¤¦à¥à¤° का संगम हà¥à¤† है। उस पवितà¥à¤° तीरà¥à¤¥ के जल के सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ से उनका मन उजà¥à¤œà¥à¤µà¤² और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से संपनà¥à¤¨ हो गया। वे उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤œà¤¾ की वृदà¥à¤§à¤¿ के लिठतप करने लगे। नारद! इस बात को जानने के बाद तà¥à¤® शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ की इचà¥à¤›à¤¾ से उनके पास गठऔर बोले- दकà¥à¤·à¤ªà¥à¤¤à¥à¤° हरà¥à¤¯à¤¶à¥à¤µà¤—ण! तà¥à¤® पृथà¥à¤µà¥€ का अंत देखे बिना सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना करने के लिठकैसे उदà¥à¤¯à¤¤ हो गà¤?

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हरà¥à¤¯à¤¶à¥à¤µ बड़े ही बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ थे। वे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ सà¥à¤¨à¤•र उस पर विचार करने लगे। वे सोचने लगे, कि जो उतà¥à¤¤à¤® शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤°à¥‚पी पिता के निवृतà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤°à¤• आदेश को नहीं समà¤à¤¤à¤¾, वह केवल रजो गà¥à¤£ पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करने वाला पà¥à¤°à¥à¤· सृषà¥à¤Ÿà¤¿ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का कारà¥à¤¯ कैसे कर सकता है? इस बात को समà¤à¤•र वे नारद जी की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करके à¤à¤¸à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ पर चले गà¤, जहां से वापस लौटना असंभव है।

जब पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· को यह पता चला कि उनके सभी पà¥à¤¤à¥à¤° नारद से शिकà¥à¤·à¤¾ पाकर मेरी आजà¥à¤žà¤¾ को भूलकर à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर चले गà¤, जहां से लौटा नहीं जा सकता, तो दकà¥à¤· इस बात से बहà¥à¤¤ दà¥à¤–ी हà¥à¤à¥¤ वे पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के वियोग को सह नहीं पा रहे थे। तब मैंने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सांतà¥à¤µà¤¨à¤¾ दी। तब पà¥à¤¨à¤ƒ दकà¥à¤· की पतà¥à¤¨à¥€ असिकà¥à¤¨à¥€ के गरà¥à¤­ से शबलाशà¥à¤µ नामक à¤à¤• सहसà¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤° हà¥à¤à¥¤ वे सभी अपने पिता की आजà¥à¤žà¤¾ को पाकर पà¥à¤¨à¤ƒ तपसà¥à¤¯à¤¾ के लिठउसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर चले गà¤, जहां उनके बड़े भाई गठथे। नारायण सरोवर के जल के सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ से उनके सभी पाप नषà¥à¤Ÿ हो गठऔर मन शà¥à¤¦à¥à¤§ हो गया। वे उसी तट पर पà¥à¤°à¤£à¤µ मंतà¥à¤° का जाप करते हà¥à¤ तपसà¥à¤¯à¤¾ करने लगे। तब नारद तà¥à¤®à¤¨à¥‡ पà¥à¤¨à¤ƒ वही बातें, जो उनके भाइयों को कहीं थीं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ भी बता दीं और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ दिखाठमारà¥à¤— के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वे अपने भाइयों के पथ पर चलते उरà¥à¤§à¥à¤µà¤—ति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤à¥¤ दकà¥à¤· को इस बात से बहà¥à¤¤ दà¥à¤– हà¥à¤† और वे दà¥à¤– से बेहोश हो गà¤à¥¤ जब पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· को जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† कि यह सब नारद की वजह से हà¥à¤† है तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ कà¥à¤°à¥‹à¤§ आया। संयोग से तà¥à¤® भी उसी समय वहां पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखते ही कà¥à¤°à¥‹à¤§ के कारण वे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ निंदा करने लगे और तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ धिकà¥à¤•ारने लगे।

वे बोले ;- तà¥à¤®à¤¨à¥‡ सिरà¥à¤« दिखाने के लिठऋषियों का रूप धारण कर रखा है। तà¥à¤®à¤¨à¥‡ मेरे पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को ठगकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ भिकà¥à¤·à¥à¤“ं का मारà¥à¤— दिखाया है। तà¥à¤®à¤¨à¥‡ लोक और परलोक दोनों के शà¥à¤°à¥‡à¤¯ का नाश कर दिया है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ ऋषि, देव और पितृ ऋणों को उतारे बिना ही मोकà¥à¤· की इचà¥à¤›à¤¾ मन में लिठमाता-पिता को तà¥à¤¯à¤¾à¤—कर घर से चला जाता है, संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ बन जाता है वह अधोगति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है। हे नारद! तà¥à¤®à¤¨à¥‡ बार-बार मेरा अमंगल किया है। इसलिठमैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ शाप देता हूं कि तà¥à¤® कहीं भी सà¥à¤¥à¤¿à¤° नहीं रह सकोगे। तीनों लोकों में विचरते हà¥à¤ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ पैर कहीं भी सà¥à¤¥à¤¿à¤° नहीं रहेगा अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ ठहरने के लिठसà¥à¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤° ठिकाना नहीं मिलेगा। नारद! यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ तà¥à¤® साधà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ हो, परंतॠतà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ शोकवश दकà¥à¤· ने à¤à¤¸à¤¾ शाप दिया, जिसे तà¥à¤®à¤¨à¥‡ शांत मन से गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लिया और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ मन में किसी पà¥à¤°à¤•ार का विकार नहीं आया।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

चौदहवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"दकà¥à¤· की साठ कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विवाह"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हे मà¥à¤¨à¤¿à¤°à¤¾à¤œ! दकà¥à¤· के इस रूप को जानकर मैं उसके पास गया। मैंने उसे शांत करने का बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया और सांतà¥à¤µà¤¨à¤¾ दी। मैंने उसे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ परिचय दिया। दकà¥à¤· को मैंने यह जानकारी भी दी कि तà¥à¤® भी मेरे पà¥à¤¤à¥à¤° हो। तà¥à¤® मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤  à¤à¤µà¤‚ देवताओं के पà¥à¤°à¤¿à¤¯ हो। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· ने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से साठ सà¥à¤‚दर कनà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कीं। तब उनका धरà¥à¤® आदि के साथ विवाह कर दिया। दकà¥à¤· ने अपनी दस कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विवाह धरà¥à¤® से, तेरह कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का बà¥à¤¯à¤¾à¤¹ कशà¥à¤¯à¤ª मà¥à¤¨à¤¿ से और सतà¥à¤¤à¤¾à¤ˆà¤¸ कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विवाह चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ से कर दिया। दो दो भूतागिरस और कृशाशà¥à¤µ को और शेष चार कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विवाह तारà¥à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ के साथ कर दिया। इन सबकी संतानों से तीनों लोक भर गठ। पà¥à¤¤à¥à¤°-पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· ने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ सहित देवी जगदंबिका का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ किया। देवी की बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· की सपतà¥à¤¨à¥€à¤• सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ से देवी जगदंबिका ने पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर दकà¥à¤· की पतà¥à¤¨à¥€ के गरà¥à¤­ से जनà¥à¤® लेने का निशà¥à¤šà¤¯ किया। उतà¥à¤¤à¤® मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ देखकर दकà¥à¤· पतà¥à¤¨à¥€ ने गरà¥à¤­ धारण किया। उस समय उनकी शोभा बढ़ गई।

भगवती के निवास के पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ से दकà¥à¤· पतà¥à¤¨à¥€ महामंगल रूपिणी हो गई। देवी को गरà¥à¤­ में जानकर सभी देवी-देवताओं ने जगदंबा की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। नौ महीने बीत जाने पर शà¥à¤­ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में देवी भगवती का जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ उनका मà¥à¤– दिवà¥à¤¯ आभा से सà¥à¤¶à¥‹à¤­à¤¿à¤¤ था। उनके जनà¥à¤® के समय आकाश से फूलों की वरà¥à¤·à¤¾ होने लगी और मेघ जल बरसाने लगे। देवता आकाश में खड़े मांगलिक धà¥à¤µà¤¨à¤¿ करने लगे। यजà¥à¤ž की बà¥à¤à¥€ हà¥à¤ˆ अगà¥à¤¨à¤¿ पà¥à¤¨à¤ƒ जलने लगी। साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ जगदंबा को पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ देखकर दकà¥à¤· ने भकà¥à¤¤à¤¿ भाव से उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की।

सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¨à¤•र देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर बोली ;- हे पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¥‡! तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ तपसà¥à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ घर में पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के रूप में जनà¥à¤® लेने का जो वर दिया था, वह आज पूरà¥à¤£ हो गया है । यह कहकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤¨à¤ƒ शिशॠरूप धारण कर लिया तथा रोने लगीं। उनका रोना सà¥à¤¨à¤•र दासियां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चà¥à¤ª कराने हेतॠवहां à¤à¤•तà¥à¤° हो गईं। जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ में गीत और अनेक वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤° बजने लगे। दकà¥à¤· ने वैदिक रीति से अनà¥à¤·à¥à¤ à¤¾à¤¨ किया और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को दान दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का नाम 'उमा' रखा। देवी उमा का पालन बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ तरीके से किया जा रहा था। वह बालकपन में बहà¥à¤¤ सी लीलाà¤à¤‚ करती थीं। देवी उमा इस पà¥à¤°à¤•ार बढ़ने लगीं जैसे शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· में चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ की कला बà¥à¤¤à¥€ है। जब भी वे अपनी सखियों के बैठतीं, वे भगवान शिव की मूरà¥à¤¤à¤¿ को ही चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ करती थीं। वे सदा पà¥à¤°à¤­à¥ शिव के भजन गाती थीं। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ का सà¥à¤®à¤°à¤£ करतीं और भगवान शिव की भकà¥à¤¤à¤¿ में ही लीन रहतीं।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

पंदà¥à¤°à¤¹à¤µà¤¾à¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"सती की तपसà¥à¤¯à¤¾"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हे नारद! à¤à¤• दिन मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ लेकर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के घर पहà¥à¤‚चा। वहां मैंने देवी सती को उनके पिता के पास बैठे देखा। मà¥à¤à¥‡ देखकर दकà¥à¤· ने आसन से उठकर मà¥à¤à¥‡ नमसà¥à¤•ार किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ सती ने भी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• मà¥à¤à¥‡ नमसà¥à¤•ार किया। हम दोनों वहां आसन पर बैठ गà¤à¥¤ तब मैंने देवी सती को आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ देते हà¥à¤ कहा- सती! जो केवल तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ चाहते हैं और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ ही कामना करते हैं। तà¥à¤® भी मन में उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ को सोचती हो और उसी के रूप का सà¥à¤®à¤°à¤£ करती हो। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž जगदीशà¥à¤µà¤° महादेव को तà¥à¤® पति रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करो। वे ही तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ योगà¥à¤¯ हैं। कà¥à¤› देर बाद दकà¥à¤· से विदा लेकर मैं अपने धाम को चल दिया। दकà¥à¤· को मेरी बातें सà¥à¤¨à¤•र बड़ा संतोष à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ मेरे कथन से उनकी सारी चिंताà¤à¤‚ दूर हो गईं। धीरे-धीरे सती ने कà¥à¤®à¤¾à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पार कर ली और वे यà¥à¤µà¤¾ अवसà¥à¤¥à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गईं। उनका रूप अतà¥à¤¯à¤‚त मनोहारी था। उनका मà¥à¤– दिवà¥à¤¯ तेज से शोभायमान था। देवी सती को देखकर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· को उनके विवाह की चिंता होने लगी। तब पिता के मन की बात जानकर देवी सती ने महादेव को पति रूप में पाने की इचà¥à¤›à¤¾ अपनी माता को बताई। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी माता से भगवान शंकर को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करने के लिठतपसà¥à¤¯à¤¾ करने की आजà¥à¤žà¤¾ मांगी। उनकी माता ने आजà¥à¤žà¤¾ देकर घर पर ही उनकी आराधना आरंभ करा दी।

आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास में नंदा अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¦à¤¾, षषà¥à¤ à¥€ और à¤à¤•ादशी तिथियों में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने भकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• भगवान शिव का पूजन कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गà¥à¤¡à¤¼, भात और नमक का भोग लगाया व नमसà¥à¤•ार किया। इसी पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤• मास बीत गया। कारà¥à¤¤à¤¿à¤• मास की चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ को देवी सती ने मालपà¥à¤“ं और खीर से भगवान शिव को भोग लगाया और उनका निरंतर चिंतन करती रहीं।

मारà¥à¤—शीरà¥à¤· : के कृषà¥à¤£ पकà¥à¤· की अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ को वे तिल, जौ और चावल से शिवजी की आराधना करतीं और घी का दीपक जलातीं । पौष माह की शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· सपà¥à¤¤à¤®à¥€ को पूरी रात जागरण कर सà¥à¤¬à¤¹ खिचड़ी का भोग लगातीं । माघ की पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ की रातभर वे शिव आराधना में लीन रहतीं और सà¥à¤¬à¤¹ नदी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर गीले वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में ही पà¥à¤¨à¤ƒ पूजा करने बैठ जाती थीं। फालà¥à¤—à¥à¤¨ मास के कृषà¥à¤£à¤ªà¤•à¥à¤· की चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ तिथि को जागरण कर शिवजी की विशेष पूजा करती थीं। उनका सारा समय शिवजी को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ था। वे अपने दिन-रात शिवजी के सà¥à¤®à¤°à¤£ में ही बिताती थीं। चैतà¥à¤° मास के शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ को वे ढाक के फूलों और दवनों से भगवान की पूजा करती थीं। वैशाख माह में वे सिरà¥à¤« तिलों को खाती थीं। वे नठजौ के भात से शिव पूजन करती थीं। जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤  माह में वे भूखी रहतीं और वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ तथा भटकटैया के फूलों से शिव पूजन करती थीं। आषाढ़ मास के शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ को वे काले वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ और भटकटैया से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ का पूजन करती थीं। शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास में यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤, वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ तथा कà¥à¤¶ आदि से वे पूजन करती थीं।

भादà¥à¤°à¤ªà¤¦ मास में विभिनà¥à¤¨ फूलों व फलों से वे शिव को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करने की कोशिश करतीं। वे सिरà¥à¤« जल ही गà¥à¤°à¤¹à¤£ करती थीं। देवी सती हर समय भगवान शिव की आराधना में ही लीन रहती थीं। इस पà¥à¤°à¤•ार उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दृढ़तापूरà¥à¤µà¤• नंदा वà¥à¤°à¤¤ को पूरा किया। वà¥à¤°à¤¤ पूरा करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ वे शिवजी का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने लगीं। वे निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ आसन में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो निरंतर शिव आराधना करती रहीं।

हे नारद! देवी सती की इस अननà¥à¤¯ भकà¥à¤¤à¤¿ और तपसà¥à¤¯à¤¾ को अपनी आंखों से देखने मैं, विषà¥à¤£à¥ तथा अनà¥à¤¯ सभी देवी-देवता और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ वहां गà¤à¥¤ वहां सभी ने देवी सती को भकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• नमसà¥à¤•ार किया और उनके सामने मसà¥à¤¤à¤• à¤à¥à¤•ाà¤à¥¤ सभी देवी-देवताओं ने उनकी तपसà¥à¤¯à¤¾ को सराहा। तब सभी देवी-देवता और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ मेरे (बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾) और विषà¥à¤£à¥ सहित कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर पहà¥à¤‚चे। वहां भगवान शिव धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤—à¥à¤¨ थे। हमने उनके निकट जाकर, दोनों हाथ जोड़कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया तथा उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ आरंभ कर दी।

हमने कहा पà¥à¤°à¤­à¥‹! आप परम शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं। आप ही सतà¥à¤µ, रज और तप आदि शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हैं। वेदतà¥à¤°à¤¯à¥€, लोकतà¥à¤°à¤¯à¥€ आपका सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। आप अपनी शरण में आठभकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सदैव रकà¥à¤·à¤¾ करते हैं। आप सदैव भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का उदà¥à¤§à¤¾à¤° करते हैं। हे महादेव! हे महेशà¥à¤µà¤°! हम आपको नमसà¥à¤•ार करते हैं। आपकी महिमा जान पाना कठिन ही नहीं असंभव है। हम आपके सामने अपना मसà¥à¤¤à¤• à¤à¥à¤•ाते हैं।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- नारद! इस पà¥à¤°à¤•ार भगवान शिव-शंकर की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करके सभी देवता मसà¥à¤¤à¤• à¤à¥à¤•ाकर शिवजी के सामने चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª खडे़ हो गà¤à¥¤

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