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Shiva Purana Sri Rudra Samhita (second volume) From the sixteenth to the twentieth chapter

शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता (दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡) के सोलहवें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से बीसवें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तक (From the sixteenth to the twentieth chapter of the Shiva Purana Sri Rudra Samhita (second volume))

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

सोलहवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ का सती से विवाह"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;– शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤·à¥à¤£à¥ सहित अनेक देवी-देवताओं और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¨à¤•र सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•रà¥à¤¤à¤¾ शिवजी ने पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• हम सबके आगमन का कारण पूछा। रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ बोले- हे हरे! हे देवताओ और महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¥¤ मà¥à¤à¥‡ अपने कैलाश पर आगमन के विषय में बताइà¤à¥¤ आप लोग यहां किसलिठआठहैं? और आपको कौन-सा कारà¥à¤¯ है? कृपया मà¥à¤à¥‡ बताइà¤à¥¤ मà¥à¤¨à¥‡! महादेव जी के इस पà¥à¤°à¤•ार पूछने पर भगवान विषà¥à¤£à¥ की आजà¥à¤žà¤¾ से मैंने इस पà¥à¤°à¤•ार निवेदन किया।

मैं बोला ;- हे देवाधिदेव महादेव! करà¥à¤£à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र! हम सब यहां आपकी सहायता मांगने के लिठआठहैं। भगवनà¥, हम तीन होते हà¥à¤ भी à¤à¤• हैं। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के चकà¥à¤° को नियमित तथा सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥ रूप से चलाने के लिठहम à¤à¤•-दूसरे के सहयोगी की तरह कारà¥à¤¯ करते हैं। हम à¤à¤•-दूसरे के सहायक हैं। हम तीनों के परसà¥à¤ªà¤° सहयोग के फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प ही जगत के सभी कारà¥à¤¯ संपनà¥à¤¨ होते हैं। महेशà¥à¤µà¤° ! कà¥à¤› असà¥à¤°à¥‹à¤‚ का वध आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾, कà¥à¤› असà¥à¤°à¥‹à¤‚ का वध मेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तथा कà¥à¤› असà¥à¤°à¥‹à¤‚ का वध शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है।

हे पà¥à¤°à¤­à¥‹! कà¥à¤› असà¥à¤° आपके वीरà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤¤à¥à¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नषà¥à¤Ÿ होंगे। हे भगवनà¥! आप घोर असà¥à¤°à¥‹à¤‚ का विनाश कर जगत को सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ व अभय पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं। हे पà¥à¤°à¤­à¥‹! सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना, पालन और संहार ये तीनों ही हमारे कारà¥à¤¯ हैं। यदि हम अपने कारà¥à¤¯ सही तरह से नहीं करें तो हमारे अलग-अलग शरीर धारण करने का कोई उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ ही नहीं रहेगा। हे देव! à¤à¤• ही परमातà¥à¤®à¤¾ महेशà¥à¤µà¤° तीन सà¥à¤µà¤°à¥‚पों में अभिवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤ हैं। वासà¥à¤¤à¤µ में शिव सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हैं। वे लीला के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का कारà¥à¤¯ करते हैं। भगवान विषà¥à¤£à¥ उनके बाà¤à¤‚ अंग से पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ हैं। मैं (बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾) उनके दाà¤à¤‚ अंग से पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤† हूं। रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ उनके हृदय से पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ हैं। इसलिठवे ही भगवान शिव का पूरà¥à¤£ रूप हैं। उनकी आजà¥à¤žà¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मैं सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना और विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ जगत का पालन करते हैं। हम अपना कारà¥à¤¯ करते हà¥à¤ विवाह कर सपतà¥à¤¨à¥€à¤• हो गठहैं। अतः आप भी विशà¥à¤µ हित के लिठपरम सà¥à¤‚दरी को पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में गà¥à¤°à¤¹à¤£ करें। हे महेशà¥à¤µà¤°! पूरà¥à¤µà¤•ाल में आपने शिवरूप में हमें à¤à¤• बात कही थी।

आपने कहा था ;- मेरा à¤à¤• अवतार तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ ललाट से होगा, जिसे 'रà¥à¤¦à¥à¤°' नाम से जाना जाà¤à¤—ा। तà¥à¤® बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•रà¥à¤¤à¤¾ होओगे, भगवान विषà¥à¤£à¥ जगत का पालन करेंगे। मैं (शिव) सगà¥à¤£ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤°à¥‚प संहार करने वाला होऊंगा। à¤à¤• सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के साथ विवाह करके लोक के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सिदà¥à¤§à¤¿ करूंगा। हे महादेव! अब अपनी कही बात को पूरा कीजिà¤

हे पà¥à¤°à¤­à¥! आपके बिना हम दोनों अपना कारà¥à¤¯ करने में समरà¥à¤¥ नहीं हैं। अतः पà¥à¤°à¤­à¥! आप à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ को पतà¥à¤¨à¥€ रूप में धारण करें, जो कि लोकहित के कारà¥à¤¯ कर सके। भगवनॠजिस पà¥à¤°à¤•ार लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ विषà¥à¤£à¥ की और सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ मेरी सहधरà¥à¤®à¤¿à¤£à¥€ हैं, उसी पà¥à¤°à¤•ार आप भी अपने जीवनसाथी को सà¥à¤µà¥€à¤•ार कीजिà¤à¥¤

मेरी यह बात सà¥à¤¨à¤•र महादेव जी मà¥à¤¸à¥à¤•राने लगे और हमसे इस पà¥à¤°à¤•ार बोले,

उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा ;- हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾! हे विषà¥à¤£à¥! तà¥à¤® मà¥à¤à¥‡ सदा से अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¿à¤¯ हो। तà¥à¤® समसà¥à¤¤ देवताओं में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤  तथा तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤• के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हो। परंतॠमेरे लिठविवाह करना उचित नहीं है। मैं सदैव तपसà¥à¤¯à¤¾ में लीन रहता हूं। इस संसार से मैं सदा विरकà¥à¤¤ रहता हूं। मैं तो à¤à¤• योगी हूं, जो सदैव निवृतà¥à¤¤à¤¿ के मारà¥à¤— पर चलता है। घर-गृहसà¥à¤¥à¥€ से भला मेरा कà¥à¤¯à¤¾ काम? मैं तो सदैव आतà¥à¤®à¤°à¥‚प हूं। जो माया से दूर है, जिसका शरीर अवधूत है। जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, आतà¥à¤®à¤¾ को जानने वाला और कामना से शूनà¥à¤¯ हो, भोगों से दूर रहता है, जो अविकारी है, भला उसे संसार में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ है? मैं तो योग करते समय ही आनंद का अनà¥à¤­à¤µ करता हूं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से रहित हैं, वे ही भोग अधिक महतà¥à¤µ देते हैं। विवाह à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा बंधन है। इसलिठमैं विवाह के बंधनों में बं नहीं चाहता। आतà¥à¤®à¤¾ का चिंतन करने के कारण मेरी लौकिक सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ में कोई रà¥à¤šà¤¿ नहीं है। फिर भी जगत के हित के लिठतà¥à¤®à¤¨à¥‡ जो कहा है वह मैं करूंगा। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ कहे अनà¥à¤¸à¤¾à¤° में विवाह अवशà¥à¤¯ ही करूंगा, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं सदा अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के वश में रहता हूं। परंतॠमैं à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से विवाह करूंगा जो योगिनी तथा इचà¥à¤›à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° रूप धारण करने वाली हो। जब मैं योग साधना करूं तो वह भी योगिनी हो जाठऔर जब मैं कामासकà¥à¤¤ होऊं तब वह कामिनी बन जाà¤à¥¤ à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ ही मà¥à¤à¥‡ पतà¥à¤¨à¥€ रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•ारà¥à¤¯ होगी। मैं सदैव शिव चिंतन में लगा रहता हूं। जो सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मेरे चिंतन में विघà¥à¤¨ डालेगी, वह जीवित नहीं रह सकेगी। मैं, विषà¥à¤£à¥ और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ हम सभी शिव के अंश हैं। इसलिठहम सदा ही उनका चिंतन करते हैं। उनके चिंतन के लिठमैं बिना विवाह किठरह सकता हूं। अतः मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¥€ पतà¥à¤¨à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कीजिठजो मेरे अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही कारà¥à¤¯ करे। यदि वह सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मेरे कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में विघà¥à¤¨ डालेगी तो मैं उसे तà¥à¤¯à¤¾à¤— दूंगा।

विवाह हेतॠशिव की सà¥à¤µà¥€à¤•ृति पाकर मैं और विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गà¤à¥¤ फिर मैं विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• भगवान शिव से बोला- हे नाथ! महेशà¥à¤µà¤° ! पà¥à¤°à¤­à¥‹! आपको जिस पà¥à¤°à¤•ार की सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की आवशà¥à¤¯à¤•ता है, à¤à¤¸à¥€ ही सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के विषय में सà¥à¤¨à¥‹à¥¤

हे पà¥à¤°à¤­à¥! भगवान शिव की पतà¥à¤¨à¥€ उमा ही विभिनà¥à¤¨ अवतार धारण करके पृथà¥à¤µà¥€ पर पà¥à¤°à¤•ट होती हैं और सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के विभिनà¥à¤¨ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पूरा करने में अपना सहयोग पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती हैं। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ देवी उमा ने लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ रूप धारण कर शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ को वरा। सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ रूप में वे मेरी अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚गिनी बनीं। अब वही देवी लोकहित के लिठअपने तीसरे अवतार में अवतरित हà¥à¤ˆ हैं। उमा देवी पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ के रूप में अवतार लेकर आपको पति रूप में पाने की इचà¥à¤›à¤¾ लिठघोर तपसà¥à¤¯à¤¾ कर रही हैं। उनका नाम देवी सती है। सती ही आपकी भारà¥à¤¯à¤¾ होने के योगà¥à¤¯ हैं। वे महा तेजसà¥à¤µà¤¿à¤¨à¥€ ही आपको पति रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करेंगी।

हे भगवनà¥! आप उनकी कठोर तपसà¥à¤¯à¤¾ को पूरà¥à¤£ करके उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प वरदान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करिà¤à¥¤ उनका तपसà¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ आपको पति रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना ही है। अतः पà¥à¤°à¤­à¥ आप देवी सती की मनोकामना को पूरा कीजिà¤à¥¤ हम सभी देवी-देवताओं की यही इचà¥à¤›à¤¾ है। हम आपके विवाह का उतà¥à¤¸à¤µ देखना चाहते हैं। आपका विवाह तीनों लोकों को सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करेगा तथा सभी के लिठमंगलमय होगा। तब भगवान शिव बोले- आप सबकी आजà¥à¤žà¤¾ मेरे लिठसबसे ऊपर है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं सदैव

अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अधीन हूं। आपकी इचà¥à¤›à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° मैं देवी सती दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तपसà¥à¤¯à¤¾ पूरी कर उनसे विवाह अवशà¥à¤¯ करूंगा। भगवान शिव के ये वचन सà¥à¤¨à¤•र हम सभी बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ और उनसे आजà¥à¤žà¤¾ लेकर अपने-अपने धाम को चले गà¤à¥¤

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

सतà¥à¤°à¤¹à¤µà¤¾à¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"सती को शिव से वर की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;—हे नारद! सती ने आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास के शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ को उपवास किया। नंदावà¥à¤°à¤¤ के पूरà¥à¤£ होने पर जब वे भगवान शिव के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में मगà¥à¤¨ थीं तो भगवान शिव ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· दरà¥à¤¶à¤¨ दिà¤à¥¤ भगवान शिव का रूप अतà¥à¤¯à¤‚त मनोहारी था। उनके पांच मà¥à¤– थे और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मà¥à¤– में तीन नेतà¥à¤° थे। मसà¥à¤¤à¤• पर चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ शोभित था। उनके कणà¥à¤  में नील चिनà¥à¤¹ था। उनके हाथ में तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल, वर तथा अभय था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूरे शरीर पर भसà¥à¤® लगा रखी थी। गंगा जी उनके मसà¥à¤¤à¤• की शोभा बढ़ा रही थीं। उनका मà¥à¤– करोड़ों चंदà¥à¤°à¤®à¤¾à¤“ं के समान पà¥à¤°à¤•ाशमान था। सती ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· रूप में अपने सामने पाकर उनके चरणों की वंदना की। उस समय लजà¥à¤œà¤¾ और शरà¥à¤® के कारण उनका सिर नीचे की ओर à¤à¥à¤•ा हà¥à¤† था। तपसà¥à¤¯à¤¾ का फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठशिवजी बोले- उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤°à¤¤ का पालन करने वाली हे दकà¥à¤· नंदिनी! मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ तपसà¥à¤¯à¤¾ से बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हूं। इसलिठतà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ मनोकामना को पूरा करने के लिठसà¥à¤µà¤¯à¤‚ यहां पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤† हूं। अतः तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ मन में जो भी इचà¥à¤›à¤¾ है, तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ जो भी कामना है, जिसके वशीभूत होकर तà¥à¤®à¤¨à¥‡ इतनी घोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की है, वह मà¥à¤à¥‡ बताओ, मैं उसे अवशà¥à¤¯ ही पूरà¥à¤£ करूंगा।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;— हे मà¥à¤¨à¤¿! जगदीशà¥à¤µà¤° महादेव जी ने सती के मनोभाव को समठलिया था। फिर भी वे सती से बोले कि देवी वर मांगो। देवी सती शरà¥à¤® से सिर à¤à¥à¤•ाठथीं। वे चाहकर भी कà¥à¤› नहीं कह पा रही थीं। भगवान शिव के वचन सà¥à¤¨à¤•र सती पà¥à¤°à¥‡à¤® में मगà¥à¤¨ हो गई थीं। शिवजी बार-बार सती से वर मांगने के लिठकह रहे थे। तब देवी सती ने महादेव जी से कहा - हे वर देने वाले पà¥à¤°à¤­à¥! मà¥à¤à¥‡ मेरी इचà¥à¤›à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही वर दीजिà¤à¥¤ इतना कहकर देवी चà¥à¤ª हो गईं। जब भगवान शिव ने देखा कि देवी सती लजà¥à¤œà¤¾à¤µà¤¶ कà¥à¤› कह नहीं पा रही हैं तो वे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उनसे बोले- हे देवी! तà¥à¤® मेरी अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚गिनी बनो। यह सà¥à¤¨à¤•र सती अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¤‚, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने मनोवांछित फल की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ थी। वे अपने हाथ जोड़कर और मसà¥à¤¤à¤• को à¤à¥à¤•ाकर भकà¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² शिव के चरणों की वंदना करने लगीं। सती बोलीं- हे देवाधिदेव महादेव! पà¥à¤°à¤­à¥‹! आप मेरे पिता को कहकर वैवाहिक विधि से मेरा पाणिगà¥à¤°à¤¹à¤£ करें।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;– नारद! सती की बात सà¥à¤¨à¤•र शिवजी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया कि à¤à¤¸à¤¾ ही होगा।' तब देवी सती ने भगवान शिव को हरà¥à¤· à¤à¤µà¤‚ मोह से देखा और उनसे आजà¥à¤žà¤¾ लेकर अपने पिता के घर चली गईं। भगवान शिव कैलाश पर लौट गठऔर देवी सती का सà¥à¤®à¤°à¤£ करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मेरा चिंतन किया। शिवजी के सà¥à¤®à¤°à¤£ करने पर मैं तà¥à¤°à¤‚त कैलाश की ओर चल दिया। मà¥à¤à¥‡ देखकर,

भगवान शिव बोले ;- बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¨à¥! दकà¥à¤·à¤•नà¥à¤¯à¤¾ सती ने बड़ी भकà¥à¤¤à¤¿ से मेरी आराधना की है। उनके नंदावà¥à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ से और आप सब देवताओं की इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ मैंने देवी सती को उनका मनोवांछित वर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर दिया है। देवी ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ यह वर मांगा कि मैं उनका पति हो जाऊं। उनके वर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मैंने सती को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का वर दे दिया है। वर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर वे बड़ी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¤‚ तथा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की कि मैं उनके पिता पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के समकà¥à¤· देवी सती से विवाह करने का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ रखूं और पाणिगà¥à¤°à¤¹à¤£ कर उनका वरण करूं। उनके विनमà¥à¤° अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को मैंने सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर लिया है। इसलिठमैंने आपको यहां बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ है कि आप पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के घर जाकर उनसे देवी सती का कनà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ मà¥à¤à¤¸à¥‡ करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करें।

भगवान शिव की आजà¥à¤žà¤¾ से मैं बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† और,

मैंने उनसे कहा ;- भगवनà¥, मैं धनà¥à¤¯ हो गया जो आपने हम सभी देवी-देवताओं के अनà¥à¤°à¥‹à¤§ को सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर देवी सती को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ बनाना सà¥à¤µà¥€à¤•ार करने और इस कारà¥à¤¯ को पूरा करने के लिठमà¥à¤à¥‡ चà¥à¤¨à¤¾à¥¤ मैं आपकी आजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° अभी पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के घर जाता हूं तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आपका संदेश सà¥à¤¨à¤¾à¤•र देवी सती का हाथ आपके लिठमांगता हूं। यह कहकर मैं वेगशाली रथ से दकà¥à¤· के घर की ओर चल दिया।

नारद जी ने पूछा ;- हे पितामह ! पहले आप मà¥à¤à¥‡ यह बताइठकि देवी सती के घर लौटने पर कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†? दकà¥à¤· ने उनसे कà¥à¤¯à¤¾ कहा और कà¥à¤¯à¤¾ किया?

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ नारद जी के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° देते हà¥à¤ बोले ;- जब देवी सती तपसà¥à¤¯à¤¾ पूरà¥à¤£ होने पर अपनी इचà¥à¤›à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प भगवान शिव से वर पाकर अपने घर लौटीं तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• अपने माता-पिता को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी सहेली दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने माता-पिता को यह सूचना दी कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ भगवान शिव से वरदान की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो गई है। वे सती की तपसà¥à¤¯à¤¾ से बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हैं और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहते हैं। यह सà¥à¤¨à¤•र पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आनंदित होकर बड़े उतà¥à¤¸à¤µ का आयोजन किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को भोजन कराया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ दी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गरीबों और दीनों को दान दिया।

कà¥à¤› समय बीतने पर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· को पà¥à¤¨à¤ƒ चिंता होने लगी कि वे अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का विवाह भगवान शिव से कैसे करें? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे अब तक मेरे पास सती का हाथ मांगने नहीं आठहैं। इस पà¥à¤°à¤•ार पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· चिंतामगà¥à¤¨ हो गà¤à¥¤ लेकिन उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¸à¥€ चिंता जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दिनों तक नहीं करनी पड़ी। शिव तो कृपा के सागर और करà¥à¤£à¤¾ की खान हैं, तब वह कैसे चिंतित रह सकता है, जिसकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ ने तप दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शिव का वरण किया है।

जब मैं सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ सहित उनके घर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो गया, तब मà¥à¤à¥‡ देखकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और बैठने के लिठआसन दिया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ दकà¥à¤· ने मेरे आने का कारण पूछा तो मैंने अपने आने का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ बताते हà¥à¤ कहा,

हे पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤·! मैं भगवान शिव की आजà¥à¤žà¤¾ से आपके घर आया हूं। मैं देवी सती का हाथ महादेव जी के लिठमांगने आया हूं। सती ने उतà¥à¤¤à¤® आराधना करके भगवान शिव को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने पति के रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का वर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया है। अतः तà¥à¤® शीघà¥à¤° ही सती का पाणिगà¥à¤°à¤¹à¤£ शिवजी के साथ कर दो।

नारद! मेरी यह बातें सà¥à¤¨à¤•र दकà¥à¤· बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ उसने हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ मन से इस विवाह के लिठअपनी सà¥à¤µà¥€à¤•ृति दे दी। तब मैं पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ मन से कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर चल दिया। वहां भगवान शिव मेरी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता से पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤·, उनकी पतà¥à¤¨à¥€ और पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सती विवाह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ आने पर हरà¥à¤· से विभोर हो रहे थे।

 शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

अठारहवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"शिव और सती का विवाह "

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;– नारद! जब मैं कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर भगवान शिव को पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· की सà¥à¤µà¥€à¤•ृति की सूचना देने पहà¥à¤‚चा तो वे उतà¥à¤¸à¥à¤•तापूरà¥à¤µà¤• मेरी ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर रहे थे। तब मैंने महादेव जी से कहा

हे भगवनà¥! दकà¥à¤· ने कहा है कि वे अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सती का विवाह भगवान शिव से करने को तैयार हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सती का जनà¥à¤® महादेव जी के लिठही हà¥à¤† है। यह विवाह होने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सबसे अधिक पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ होगी। उनकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सती ने महादेव जी को पति रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने हेतॠही उनकी घोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस बात की भी खà¥à¤¶à¥€ है कि मैं सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आपकी आजà¥à¤žà¤¾ से उनकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के लिठआपका अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ भगवान शिव का विवाह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ लेकर वहां गया।

उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा,

हे पितामह ! उनसे कहिठकि वे शà¥à¤­ लगà¥à¤¨ और मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में अपनी बारात लेकर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आà¤à¤‚। मैं अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का कनà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ सहरà¥à¤· महादेव जी को कर दूंगा। हे भगवनà¥! दकà¥à¤· ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ यह बात कही है, इसलिठआप शà¥à¤­ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ देखकर शीघà¥à¤° ही उनके घर चलें और देवी सती का वरण करें।

हे नारद! मेरे à¤à¤¸à¥‡ वचन सà¥à¤¨à¤•र शिवजी ने कहा हे संसार की सृषà¥à¤Ÿà¤¿ करने वाले बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€! मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ और नारद जी के साथ ही पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के घर चलूंगा। इसलिठबà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ आप नारद और अपने मानस पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का सà¥à¤®à¤°à¤£ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यहां बà¥à¤²à¤¾ लें। साथ ही मेरे पारà¥à¤·à¤¦ भी दकà¥à¤· के घर चलेंगे।

नारद! तब भगवान शिव की आजà¥à¤žà¤¾ पाकर मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ और अपने अनà¥à¤¯ मानस पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का सà¥à¤®à¤°à¤£ किया। उन तक मेरा संदेश पहà¥à¤‚चते ही वे तà¥à¤°à¤‚त कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ मन से महादेव जी को और मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ शिवजी ने भगवान शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ का सà¥à¤®à¤°à¤£ किया। भगवान विषà¥à¤£à¥ देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ के साथ अपने विमान गरà¥à¤¡à¤¼ पर बैठ वहां आ गà¤à¥¤ चैतà¥à¤° मास के शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ तिथि में रविवार को पूरà¥à¤µà¤¾ फालà¥à¤—à¥à¤¨à¥€ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° में तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤•ीनाथ भगवान शिव की बारात धूमधाम से कैलाश परà¥à¤µà¤¤ से निकली। उनकी बारात में मैं, देवी सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€, देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, सभी देवी-देवता, मà¥à¤¨à¤¿ और शिवगण आनंदमगà¥à¤¨ होकर चल रहे थे। रासà¥à¤¤à¥‡ में खूब उतà¥à¤¸à¤µ हो रहा था। भगवान शिव की इचà¥à¤›à¤¾ से बैल, बाघ, सांप, जटा और चंदà¥à¤°à¤•ला उनके आभूषण बन गà¤à¥¤ भगवनॠसà¥à¤µà¤¯à¤‚ नंदी पर सवार होकर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के घर पहà¥à¤‚चे।

दà¥à¤µà¤¾à¤° पर भगवान शिव की बारात देखकर सभी हरà¥à¤· से फूले नहीं समा रहे थे। पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· ने विधिपूरà¥à¤µà¤• भगवान शिव की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सभी देवताओं का खूब आदर सतà¥à¤•ार किया तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ घर के अंदर ले गà¤à¥¤ दकà¥à¤· ने भगवान शिव को उतà¥à¤¤à¤® आसन पर बैठाया और हम सभी देवताओं और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को भी यथायोगà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया। सभी का भकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पूजन किया।

ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ दकà¥à¤· ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की कि मैं ही वैवाहिक कारà¥à¤¯ को संपनà¥à¤¨ कराऊं। मैंने दकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ को सà¥à¤µà¥€à¤•ार किया और वैवाहिक कारà¥à¤¯ कराने लगा। शà¥à¤­ लगà¥à¤¨ और शà¥à¤­ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ देखकर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· ने अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सती का हाथ भगवान शिव के हाथों में सौंप दिया और विधि-विधान से पाणिगà¥à¤°à¤¹à¤£ संसà¥à¤•ार संपनà¥à¤¨ कराया। उस समय वहां बहà¥à¤¤ बड़ा उतà¥à¤¸à¤µ हà¥à¤† और नाच-गाना भी हà¥à¤†à¥¤ सभी आनंदमगà¥à¤¨ थे। हम सभी देवी देवताओं ने भगवान शिव और देवी सती की बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ भकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया। भगवान शिव और सती का विवाह हो जाने पर उनके माता-पिता बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ और महादेव जी को अपनी कनà¥à¤¯à¤¾ का दान कर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· कृतारà¥à¤¥ हो गà¤à¥¤ महेशà¥à¤µà¤° का विवाह होने का पूरा संसार मंगल उतà¥à¤¸à¤µ मनाने लगा।

 शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¤¾à¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ और विषà¥à¤£à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शिव की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करना"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;— नारद! कनà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ करके दकà¥à¤· ने भगवान शिव को अनेक उपहार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सभी बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को भी दान-दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ दी। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ भगवान विषà¥à¤£à¥ अपनी पतà¥à¤¨à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जी सहित भगवान शिव के समकà¥à¤· हाथ जोड़कर खड़े हो उनकी आराधना करने लगे। वे बोले- हे दयासागर महादेव जी! आप संपूरà¥à¤£ जगत के पिता हैं और देवी सती सबकी माता हैं। भगवनॠआप दोनों ही अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठऔर दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का नाश करने के लिठअनेक अवतार धारण करते हैं। इस पà¥à¤°à¤•ार उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शिव-सती की बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की।

नारद! मैं उनके पास आकर विधि के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° फेरे कराने लगा। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ की आजà¥à¤žà¤¾ और मेरे सहयोग से सती और भगवान शिव ने विधिपूरà¥à¤µà¤• अगà¥à¤¨à¤¿ के फेरे लिà¤à¥¤ उस समय वहां बहà¥à¤¤ अदà¥à¤­à¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¤µ किया जा रहा था। वहां विभिनà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार के बाजे और शहनाइयां बज रहीं थी। सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मंगल गीत गा रही थीं और खà¥à¤¶à¥€ से सभी नृतà¥à¤¯ कर रहे थे।

ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ भगवान विषà¥à¤£à¥ बोले ;- सदाशिव ! आप संपूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤•ृति के रचयिता हैं। आपका सà¥à¤µà¤°à¥‚प जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¯ है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€, मैं और रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ आपके ही रूप हैं। हम सभी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना, पालन और संहार करते हैं। हे पà¥à¤°à¤­à¥! हम सब आपका ही अंश हैं। पà¥à¤°à¤­à¥! आप आकाश के समान सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ और जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¯ हैं। जिस पà¥à¤°à¤•ार हाथ, कान, नाक, मà¥à¤‚ह, सिर आदि शरीर के विभिनà¥à¤¨ रूप हैं। उसी पà¥à¤°à¤•ार हम सब भी आपके शरीर के ही अंग हैं। आप निरà¥à¤—à¥à¤£ निराकार हैं। समसà¥à¤¤ दिशाà¤à¤‚ आपकी मंगल कथा कहती हैं। सभी देवी-देवता और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ आपके ही चरणों की वंदना करते हैं। आपकी महिमा का वरà¥à¤£à¤¨ करने में मैं असमरà¥à¤¥ हूं। भगवनà¥, यदि हम सबसे कà¥à¤› गलती हो गई हो तो कृपया उसे कà¥à¤·à¤®à¤¾ करें और पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हों।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- इस पà¥à¤°à¤•ार शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ ने भगवान शिव की बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¨à¤•र भगवान शिव बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ विवाह की सभी रीतियों के पूरà¥à¤£ होने पर हम सभी ने महादेव जी à¤à¤µà¤‚ देवी सती को बधाइयां दीं तथा उनसे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की कि वे अपनी कृपादृषà¥à¤Ÿà¤¿ सदैव सभी पर बनाठरखें। वे जगत का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करें। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ भगवान शिव ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहा- हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤¨à¥! आपने मेरा वैवाहिक कारà¥à¤¯ संपनà¥à¤¨ कराया है। अतः आप ही मेरे आचारà¥à¤¯ हैं। आचारà¥à¤¯ को कारà¥à¤¯à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिठदकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ अवशà¥à¤¯ दी जाती है। इसलिठआप मà¥à¤à¥‡ बताइठकि मैं दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ में आपको कà¥à¤¯à¤¾ दूं? महाभाग ! आप जो भी मांगेंगे मैं उसे अवशà¥à¤¯ ही दूंगा।

मà¥à¤¨à¥‡! भगवान शिव के इस पà¥à¤°à¤•ार के वचन सà¥à¤¨à¤•र मैं हाथ जोड़कर उनके सामने खड़ा हो मैं गया। मैंने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करके कहा- हे देवेश! यदि आप मà¥à¤à¥‡ अपना आचारà¥à¤¯ मानकर कोई वर देना चाहते हैं तो मैं आपसे यह वर मांगता हूं कि आप सदा इसी रूप में इसी वेदी पर विराजमान रहकर अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को दरà¥à¤¶à¤¨ दें। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आपके दरà¥à¤¶à¤¨ करने से सभी पापियों के पाप धà¥à¤² जाà¤à¤‚। आपके यहां विराजमान होने से मà¥à¤à¥‡ आपका साथ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाà¤à¤—ा।

मैं इसी वेदी के पास आशà¥à¤°à¤® बनाकर यहां निवास करूंगा और तपसà¥à¤¯à¤¾ करूंगा। हे पà¥à¤°à¤­à¥! मेरी यही इचà¥à¤›à¤¾ है। चैतà¥à¤° मास के शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की तà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤¦à¤¶à¥€ को पूरà¥à¤µà¤¾ फालà¥à¤—à¥à¤¨à¥€ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° में रविवार के दिन जो भी मनà¥à¤·à¥à¤¯ भकà¥à¤¤à¤¿à¤­à¤¾à¤µ से आपका दरà¥à¤¶à¤¨ करे उसके सभी पाप नषà¥à¤Ÿ हो जाà¤à¤‚। रोगी मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सभी रोग दूर हो जाà¤à¤‚। इस दिन आपका दरà¥à¤¶à¤¨ कर मनà¥à¤·à¥à¤¯ जिस इचà¥à¤›à¤¾ को आपके सामने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करे उसे आप तà¥à¤°à¤‚त पूरा करें। हे पà¥à¤°à¤­à¥! आप इस दिन सभी को मनोवांछित वर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें। भगवनॠयही वरदान मैं आपसे मांगता हूं।

मेरी यह बात सà¥à¤¨à¤•र भगवान शिव बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ वे बोले- हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾! मैं आपकी इचà¥à¤›à¤¾ अवशà¥à¤¯ ही पूरी करूंगा। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ वर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मैं देवी सती सहित इस वेदी पर विराजमान रहूंगा। यह कहकर भगवान शिव देवी सती के साथ मूरà¥à¤¤à¤¿ रूप में पà¥à¤°à¤•ट होकर वेदी के मधà¥à¤¯ भाग में विराजमान हो गà¤à¥¤ इस पà¥à¤°à¤•ार मेरी इचà¥à¤›à¤¾ को पूरा कर जगत के हित के लिठपà¥à¤°à¤­à¥ शिव वेदी पर अंशरूप में विराजमान हà¥à¤à¥¤

 शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता

दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡

बीसवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯

"शिव-सती का विदा होकर कैलाश जाना"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हे महामà¥à¤¨à¤¿ नारद! मà¥à¤à¥‡ मेरा मनोवांछित वरदान देने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ भगवान शिव अपनी पतà¥à¤¨à¥€ देवी सती को साथ लेकर अपने निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर जाने के लिठतैयार हà¥à¤à¥¤ तब अपनी बेटी सती व दामाद भगवान शिव को विदा करते समय पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤ दकà¥à¤· ने अपने हाथ जोड़कर और मसà¥à¤¤à¤• à¤à¥à¤•ाकर महादेव जी की भकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। साथ ही शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ सहित सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने हरà¥à¤· से पà¥à¤°à¤­à¥ का जय-जयकार किया। भगवान शिव ने अपने ससà¥à¤° पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· से आजà¥à¤žà¤¾ लेकर अपनी पतà¥à¤¨à¥€ को अपनी सवारी नंदी पर बैठाया और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ भी उस पर बैठकर कैलाश परà¥à¤µà¤¤ की ओर चले गà¤à¥¤ उस समय वृषभ पर बैठे भगवान शिव व सती की शोभा देखते ही बनती थी। उनका रूप मनोहारी था। सब मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ होकर उन दोनों को जाते हà¥à¤ देख रहे थे। पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ अपनी बेटी व दामाद के अनोखे रूप पर मोहित हो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤•टक देख रहे थे। उनकी विदाई पर चारों ओर मंगल गीत गाठजा रहे थे। विभिनà¥à¤¨ वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤° बज रहे थे। सभी बाराती शिव के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤®à¤¯ उजà¥à¤œà¥à¤µà¤² यश का गान करते हà¥à¤ उनके पीछे-पीछे चलने लगे। भगवान शिव देवी सती के साथ अपने निवास कैलाश पर पहà¥à¤‚चे। सभी देवता सहित मैं और विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ भी कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर पहà¥à¤‚चे। भगवान शिव ने उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का हृदय से धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ किया। भगवान शिव ने सभी को समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• विदा किया। तब सभी देवताओं ने उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की और पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• अपने-अपने धाम को चले गà¤à¥¤ ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ भगवान शिव और देवी सती सà¥à¤–पूरà¥à¤µà¤• अपने वैवाहिक जीवन का आनंद उठाने लगे।

सूत जी कहते हैं ;- हे मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹! मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ भगवान शिव के शà¥à¤­ विवाह की पà¥à¤£à¥à¤¯ कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ है। भगवान शिव का विवाह कब और किससे हà¥à¤†? वे विवाह के लिठकैसे तैयार हà¥à¤? इस पà¥à¤°à¤•ार मैंने सभी पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों का वरà¥à¤£à¤¨ तà¥à¤®à¤¸à¥‡ किया है। विवाह के समय, यजà¥à¤ž अथवा किसी भी शà¥à¤­ कारà¥à¤¯ के आरंभ में भगवान शिव का पूजन करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ इस कथा को जो सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ अथवा पढ़ता है उसका कारà¥à¤¯ या वैवाहिक आयोजन बिना विघà¥à¤¨ और बाधाओं के पूरा होता है। इस कथा के शà¥à¤°à¤µà¤£ से सभी शà¥à¤­à¤•ारà¥à¤¯ निरà¥à¤µà¤¿à¤˜à¥à¤¨ पूरà¥à¤£ होते हैं। इस अमृतमयी कथा को सà¥à¤¨à¤•र जिस कनà¥à¤¯à¤¾ का विवाह होता है वह सà¥à¤–, सौभागà¥à¤¯, सà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ और सदाचार आदि सदà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाती है। भगवान शिव की कृपा से पà¥à¤¤à¥à¤°à¤µà¤¤à¥€ भी होती है।

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Bhanu Pratap Shastri

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