शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता (दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡) के अड़तीस अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से बयालीस अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तक (From the thirty-eight chapter to the forty-two chapter of the Shiva Purana Sri Rudra Samhita (Second Volume)
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
अड़तीसवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"दधीचि - कà¥à¤·à¥à¤µ विवाद"
सूत जी कहते हैं ;— हे महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹! बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कही हà¥à¤ˆ कथा को सà¥à¤¨à¤•र नारद जी आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित हो गठतथा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ से पूछा कि à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ शिवजी को छोड़कर अनà¥à¤¯ देवताओं के साथ दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž में कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ चले गà¤? कà¥à¤¯à¤¾ वे अदà¥à¤à¥à¤¤ पराकà¥à¤°à¤® वाले à¤à¤—वान शिव को नहीं जानते थे? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ ने रà¥à¤¦à¥à¤°à¤—णों के साथ यà¥à¤¦à¥à¤§ किया? कृपया कर मेरे अंदर उठने वाले इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° देकर मेरी शंकाओं का समाधान कीजिà¤à¥¤
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ ने नारद जी के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° देते हà¥à¤ कहा ;– हे मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ नारद! पूरà¥à¤µ काल में राजा कà¥à¤·à¥à¤µ की सहायता करने वाले शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ को दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ ने शाप दे दिया था। इसलिठवे à¤à¥‚ल गठऔर दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž में चले गà¤à¥¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ महातेजसà¥à¤µà¥€ राजा कà¥à¤·à¥à¤µ के मितà¥à¤° थे परंतॠबाद में उन दोनों के बीच बहà¥à¤¤ विवाद खड़ा हो गया। विवाद का कारण मà¥à¤¨à¤¿ दधीचि का चार वरà¥à¤£à¥‹à¤‚— बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ और शूदà¥à¤° में बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बताना था परंतॠराजा कà¥à¤·à¥à¤µ, जो कि धन वैà¤à¤µ के अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ में डूबे हà¥à¤ थे, इस बात से पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ असहमत थे। कà¥à¤·à¥à¤µ सà¤à¥€ वरà¥à¤—ों में राजा को ही शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मानते थे। राजा को सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ और सरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦à¤®à¤¯ माना जाता है। यह शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ कहती है। इसलिठबà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ राजा शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है।
हे दधीचि ! आप मेरे लिठआदरणीय हैं। राजा कà¥à¤·à¥à¤µ के कथन को सà¥à¤¨à¤•र दधीचि को कà¥à¤°à¥‹à¤§ आ गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसे अपना अपमान समà¤à¤¾ और कà¥à¤·à¥à¤µ के सिर पर मà¥à¤•à¥à¤•े का पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° कर दिया। दधीचि के इस वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से मद में चूर कà¥à¤·à¥à¤µ को और अधिक कà¥à¤°à¥‹à¤§ आ गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वजà¥à¤° से दधीचि पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° कर दिया। वजà¥à¤° से घायल हà¥à¤ दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ ने पृथà¥à¤µà¥€ पर गिरते हà¥à¤ योगी शà¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ का सà¥à¤®à¤°à¤£ किया। शà¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ ने तà¥à¤°à¤‚त आकर दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ के शरीर को पूरà¥à¤µà¤µà¤¤ कर दिया। शà¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ ने दधीचि से कहा कि मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ महामृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय का मंतà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता हूं।
'तà¥à¤°à¤¯à¤®à¥à¤¬à¤•ं यजामहे' अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ हम तीनों लोकों के पिता à¤à¤—वान शिव, जो सूरà¥à¤¯, सोम और अगà¥à¤¨à¤¿ तीनों मणà¥à¤¡à¤²à¥‹à¤‚ के पिता हैं, सतà¥à¤µ, रज और तम आदि तीनों गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के महेशà¥à¤µà¤° हैं, जो आतà¥à¤®à¤¤à¤¤à¥à¤µ, विदà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µ और शिव ततà¥à¤µ, पृथà¥à¤µà¥€, जल व तेज सà¤à¥€ के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ हैं। जो बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और शिव तीनों आधारà¤à¥‚त देवताओं के à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° महादेव हैं, उनकी आराधना करते हैं। ‘सà¥à¤—ंधिमॠपà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨à¤®à¥â€™ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जिस पà¥à¤°à¤•ार फूलों में खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ होती है, उसी पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤—वान शिव à¤à¥‚तों में, गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में, सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में इंदà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में, अनà¥à¤¯ देवताओं में और अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯ गणों में कà¥à¤·à¤¾à¤°à¤à¥‚त आतà¥à¤®à¤¾ के रूप में समाठहैं। उनकी सà¥à¤—ंध से ही सबकी खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ है। 'पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨à¤®à¥' अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ वे à¤à¤—वान शिव ही पà¥à¤°à¤•ृति का पोषण करते हैं। वे ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥, मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ सà¤à¥€ देवताओं का पोषण करते हैं। 'उरà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤•मिव बंधनानà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤®à¥à¤•à¥à¤·à¥€à¤¯à¤®à¤¾à¤®à¥ƒà¤¤à¤¾à¤¤à¥' अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जिस पà¥à¤°à¤•ार खरबूजा पक जाने पर लता से टूटकर अलग हो जाता है उसी पà¥à¤°à¤•ार मैं à¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥à¤°à¥‚पी बंधन से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करूं।
हे रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ! आपका सà¥à¤µà¤°à¥‚प अमृत के समान है। जो पà¥à¤£à¥à¤¯à¤•रà¥à¤®, तपसà¥à¤¯à¤¾, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯, योग और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से उनकी आराधना करता है, उसे नया जीवन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। à¤à¤—वान शिव अपने à¤à¤•à¥à¤¤ को मृतà¥à¤¯à¥ के बंधनों से मà¥à¤•à¥à¤¤ कर देते हैं और उसे मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं। जैसे उरà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤• अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ ककड़ी को उसकी बेल अपने बंधन में बांधे रखती है और पक जाने पर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही उसे बंधन मà¥à¤•à¥à¤¤ कर देती है। यह महामृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय मंतà¥à¤° संजीवनी मंतà¥à¤° है। तà¥à¤® नियमपूरà¥à¤µà¤• à¤à¤—वान शिव का सà¥à¤®à¤°à¤£ करके इस मंतà¥à¤° का जाप करो। इस मंतà¥à¤° से अà¤à¤¿à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¤ जल को पियो। इस मंतà¥à¤° का जाप करने से मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ नहीं रहता। इसके विधिवत पूजन करने से à¤à¤—वान शिव पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होते हैं। वे सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सिदà¥à¤§à¤¿ करते हैं तथा सà¤à¥€ बंधनों से मà¥à¤•à¥à¤¤ कर मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं।
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- नारद! दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ को इस पà¥à¤°à¤•ार उपदेश देकर शà¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ अपने निवास पर चले गà¤à¥¤ उनकी बातों का दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ पर बड़ा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा और वे à¤à¤—वान शिव का सà¥à¤®à¤°à¤£ कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करने के लिठतपसà¥à¤¯à¤¾ करने वन में चले गà¤à¥¤ वन में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• à¤à¤—वान शिव का चिंतन करते हà¥à¤ उनकी तपसà¥à¤¯à¤¾ आरंठकर दी। दीरà¥à¤˜à¤•ाल तक वे महामृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय मंतà¥à¤° का जाप करते रहे। उनकी इस निःसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से à¤à¤•à¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² à¤à¤—वान शिव पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर उनके सामने पà¥à¤°à¤•ट हो गà¤à¥¤ दधीचि ने दोनों हाथ जोड़कर शिवजी को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महादेव जी की बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की।
शिव ने कहा ;– मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ दधीचि! मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ इस उतà¥à¤¤à¤® आराधना से बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† हूं। तà¥à¤® वर मांगो। मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनोवांछित वसà¥à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करूंगा। यह सà¥à¤¨à¤•र दधीचि हाथ जोड़े नतमसà¥à¤¤à¤• होकर कहने लगे- हे देवाधिदेव! करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨! महादेव जी! अगर आप मà¥à¤ पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हैं तो कृपा कर मà¥à¤à¥‡ तीन वर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें। पहला यह कि मेरी असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ वजà¥à¤° के समान हो जाà¤à¤‚। दूसरा कोई मेरा वध न कर सके अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ मैं हमेशा अवधà¥à¤¯ रहूं और तीसरा कि मैं हमेशा अदीन रहूं। कà¤à¥€ दीन न होऊं । शिवजी ने 'तथासà¥à¤¤à¥' कहकर तीनों वर दधीचि को पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर दिà¤à¥¤ तीनों मनचाहे वरदान मिल जाने पर दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ थे। वे आनंदमगà¥à¤¨ होकर राजा कà¥à¤·à¥à¤µ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की ओर चल दिà¤à¥¤ वहां पहà¥à¤‚चकर दधीचि ने कà¥à¤·à¥à¤µ के सिर पर लात मारी। कà¥à¤·à¥à¤µ विषà¥à¤£à¥ जी का परम à¤à¤•à¥à¤¤ था। राजा होने के कारण वह à¤à¥€ अहंकारी था। उसने कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो तà¥à¤°à¤‚त दधीचि पर वजà¥à¤° से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° कर दिया परंतॠकà¥à¤·à¥à¤µ के पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° से दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ का बाल à¤à¥€ बांका नहीं हà¥à¤†à¥¤ यह सब महादेव जी के वरदान से ही हà¥à¤† था। यह देखकर कà¥à¤·à¥à¤µ को बड़ा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ हà¥à¤†à¥¤ तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वन में जाकर इंदà¥à¤° के à¤à¤¾à¤ˆ मà¥à¤•à¥à¤‚द की आराधना शà¥à¤°à¥‚ कर दी। तब विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ ने पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर कà¥à¤·à¥à¤µ को दिवà¥à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। कà¥à¤·à¥à¤µ ने विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® कर उनकी à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µ से सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की।
ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ कà¥à¤·à¥à¤µ बोले ;- à¤à¤—वनà¥, मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ दधीचि पहले मेरे मितà¥à¤° थे परंतॠबाद में हम दोनों के बीच में विवाद उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो गया। दधीचि ने परम पूजनीय à¤à¤—वान शिव की तपसà¥à¤¯à¤¾ महामृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय मंतà¥à¤° से कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ किया तथा अवधà¥à¤¯ रहने का वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लिया। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मेरी राजसà¤à¤¾ में मेरे समसà¥à¤¤ दरबारियों के बीच मेरा घोर अपमान किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सबके सामने मेरे मसà¥à¤¤à¤• पर अपने पैरों से आघात किया। साथ ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि मैं किसी से नहीं डरता। à¤à¤—वनà¥! मà¥à¤¨à¤¿ दधीचि को बहà¥à¤¤ घमंड हो गया है।
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- नारद! जब शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ को इस बात का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हà¥à¤† कि दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ को महादेव जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अवधà¥à¤¯ होने का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है, तो वे कहने लगे कि कà¥à¤·à¥à¤µ महादेव जी के à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को कà¤à¥€ à¤à¥€ किसी पà¥à¤°à¤•ार का à¤à¥€ à¤à¤¯ नहीं होता है। यदि मैं इस विषय में कà¥à¤› करूं तो दधीचि को बà¥à¤°à¤¾ लगेगा और वे शाप à¤à¥€ दे सकते हैं। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ दधीचि के शाप से दकà¥à¤· यजà¥à¤ž में मेरी शिवजी से पराजय होगी। इसलिठमैं इस संबंध में कà¥à¤› नहीं करना चाहता परंतॠà¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› जरूर करूंगा, जिससे आपको विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो। à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के ये वचन सà¥à¤¨à¤•र राजा चà¥à¤ª हो गà¤à¥¤
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
उनà¥à¤¤à¤¾à¤²à¥€à¤¸à¤µà¤¾à¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"दधीचि का शाप और कà¥à¤·à¥à¤µ पर अनà¥à¤—à¥à¤°à¤¹"
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- नारद! शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ राजा कà¥à¤·à¥à¤µ के हितों की रकà¥à¤·à¤¾ करने के लिठà¤à¤• दिन बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का रूप धारण करके दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ के आशà¥à¤°à¤® में पहà¥à¤‚चे। विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ à¤à¤—वान शिव की आराधना में मगà¥à¤¨ रहने वाले बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤°à¥à¤·à¤¿ दधीचि से बोले कि हे पà¥à¤°à¤à¥, मैं आपसे à¤à¤• वर मांगता हूं। दधीचि शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤·à¥à¤£à¥ को पहचानते हà¥à¤ कहने लगे- मैं सब समठगया हूं कि आप कौन हैं और कà¥à¤¯à¤¾ चाहते हैं? इसलिठमैं आपसे कà¥à¤¯à¤¾ कहूं। हे शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ ! व का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करने के लिठआप यह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का वेश बनाकर आठहैं। आप बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ वेश का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दें । लजà¥à¤œà¤¿à¤¤ होकर à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ अपने असली रूप में आ गठऔर महामà¥à¤¨à¤¿ दधीचि को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करके बोले कि महामà¥à¤¨à¤¿! आपका कथन पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ सतà¥à¤¯ है। मैं यह à¤à¥€ जानता हूं कि शिवà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को कà¤à¥€ à¤à¥€, किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार का कोई à¤à¥€ à¤à¤¯ नहीं होता है। परंतॠआप सिरà¥à¤« मेरे कहने से राजा कà¥à¤·à¥à¤µ के सामने यह कह दें कि आप राजा कà¥à¤·à¥à¤µ से डरते हैं। शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤·à¥à¤£à¥ की यह बात सà¥à¤¨à¤•र दधीचि हंसने लगे। हंसते हà¥à¤ बोले कि à¤à¤—वान शिव की कृपा से मà¥à¤à¥‡ कोई à¤à¥€ डरा नहीं सकता। जब कोई वाकई मà¥à¤à¥‡ डरा नहीं सकता तो मैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¥‚ठबोलकर पाप का à¤à¤¾à¤—ी बनूं? दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ के इन वचनों को सà¥à¤¨à¤•र विषà¥à¤£à¥ को बहà¥à¤¤ अधिक कà¥à¤°à¥‹à¤§ आ गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤¨à¤¿ दधीचि को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की बहà¥à¤¤ कोशिश की। सà¤à¥€ देवताओं ने शà¥à¤°à¥€ विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ का ही साथ दिया। à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ को डराने के लिठअनेक गण उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर दिठपरंतॠदधीचि ने अपने सत से उनको à¤à¤¸à¥à¤® कर दिया। तब विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ ने वहां अपनी मूरà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•ट कर दी।
यह देखकर दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ बोले ;- हे शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ ! अब अपनी माया को तà¥à¤¯à¤¾à¤— दीजिà¤à¥¤ आप अपने कà¥à¤°à¥‹à¤§ और अहंकार का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दीजिà¤à¥¤ आपको मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, रà¥à¤¦à¥à¤° सहित संपूरà¥à¤£ जगत का दरà¥à¤¶à¤¨ हो जाà¤à¤—ा। मैं आपको दिवà¥à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता हूं। तब विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ को दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ ने अपने शरीर में पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड के दरà¥à¤¶à¤¨ करा दिà¤à¥¤ तब विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ का कà¥à¤°à¥‹à¤§ बहà¥à¤¤ बॠगया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चकà¥à¤° उठा लिया और महरà¥à¤·à¤¿ को मारने के लिठआगे बढ़े, परंतॠबहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करने पर à¤à¥€ चकà¥à¤° आगे नहीं चला।
यह देखकर दधीचि हंसते हà¥à¤ बोले कि हे शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ ! आप à¤à¤—वान शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किठगठइस सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ चकà¥à¤° से उनके ही पà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ को मारना चाहते हैं, तो à¤à¤²à¤¾ यह चकà¥à¤° कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ चलेगा? शिवजी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिठगठअसà¥à¤¤à¥à¤° से आप उनके à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का विनाश किसी à¤à¥€ तरह नहीं कर सकते परंतॠफिर à¤à¥€ यदि आप मà¥à¤à¥‡ मारना चाहते हैं तो बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° आदि का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कीजिà¤à¥¤ लेकिन दधीचि को साधारण मनà¥à¤·à¥à¤¯ समà¤à¤•र विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ ने उन पर अनेक असà¥à¤¤à¥à¤° चलाà¤à¥¤
तब दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ ने धरती से मà¥à¤Ÿà¥à¤ ी पर कà¥à¤¶à¤¾ उठा ली और कà¥à¤› मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ के उपरांत उसे देवताओं की ओर उछाल दिया। वे कà¥à¤¶à¤¾à¤à¤‚ कालागà¥à¤¨à¤¿ के रूप में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो गईं,
जिनमें देवताओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ छोड़े गठसà¤à¥€ असà¥à¤¤à¥à¤°-शसà¥à¤¤à¥à¤° जलकर à¤à¤¸à¥à¤® हो गà¤à¥¤ यह देखकर वहां पर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अनà¥à¤¯ देवता वहां से à¤à¤¾à¤— खड़े हà¥à¤ परंतॠशà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ दधीचि से यà¥à¤¦à¥à¤§ करते रहे। उन दोनों के बीच à¤à¥€à¤·à¤£ यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ तब मैं (बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾) राजा कà¥à¤·à¥à¤µ को साथ लेकर उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आया, जहां उन दोनों के बीच यà¥à¤¦à¥à¤§ रहा था। मैंने à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ से कहा कि आपका यह पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ निररà¥à¤¥à¤• है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आप à¤à¤—वान शिव के परम à¤à¤•à¥à¤¤ दधीचि को हरा नहीं सकते हैं। यह सà¥à¤¨à¤•र विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ शांत हो गà¤, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दधीचि मà¥à¤¨à¤¿ को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया। तब राजा कà¥à¤·à¥à¤µ à¤à¥€ दोनों हाथ जोड़कर मà¥à¤¨à¤¿ दधीचि को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करके उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने लगे, उनसे माफी मांगने लगे और कहने लगे कि पà¥à¤°à¤à¥ आप मà¥à¤ पर कृपादृषà¥à¤Ÿà¤¿ रखिà¤à¥¤
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;– नारद! इस पà¥à¤°à¤•ार राजा कà¥à¤·à¥à¤µ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ से दधीचि को बहà¥à¤¤ संतोष मिला और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राजा कà¥à¤·à¥à¤µ को कà¥à¤·à¤®à¤¾ कर दिया परंतॠविषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ सहित अनà¥à¤¯ देवताओं पर उनका कà¥à¤°à¥‹à¤§ कम नहीं हà¥à¤†à¥¤ तब कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ मà¥à¤¨à¤¿ दधीचि ने इंदà¥à¤° सहित सà¤à¥€ देवताओं और विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ को à¤à¥€ à¤à¤—वान रà¥à¤¦à¥à¤° की कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¾à¤—à¥à¤¨à¤¿ में नषà¥à¤Ÿ होने का शाप दे दिया। इसके बाद राजा कà¥à¤·à¥à¤µ ने दधीचि को पà¥à¤¨à¤ƒ नमसà¥à¤•ार कर उनकी आराधना की और फिर वे अपने राजà¥à¤¯ की ओर चल दिà¤à¥¤ राजा कà¥à¤·à¥à¤µ के वहां से चले जाने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ इंदà¥à¤° सहित सà¤à¥€ देवगणों ने à¤à¥€ अपने अपने धाम की ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया। तदोपरांत शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ à¤à¥€ बैकà¥à¤‚ठधाम को चले गà¤à¥¤ तब वह पà¥à¤£à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ 'थानेशà¥à¤µà¤°' नामक तीरà¥à¤¥ के रूप में विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ इस तीरà¥à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ से à¤à¤—वान शिव का सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ और कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है।
हे नारद! इस पà¥à¤°à¤•ार मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह पूरी अमृत कथा का वरà¥à¤£à¤¨ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ कà¥à¤·à¥à¤µ और दधीचि के विवाद से संबंधित इस पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है, वह अपमृतà¥à¤¯à¥ को जीत लेता है तथा मरने के बाद सीधा सà¥à¤µà¤°à¥à¤— को जाता है। इसका पाठकरने से यà¥à¤¦à¥à¤§ में मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ दूर हो जाता है तथा निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से विजयशà¥à¤°à¥€ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है।
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
चालीसवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ का कैलाश पर शिवजी से मिलना"
नारद जी ने कहा ;- हे महाà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯! हे विधाता! हे महापà¥à¤°à¤¾à¤£! आप शिवततà¥à¤µ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखते हैं। आपने मà¥à¤ पर बड़ी कृपा की जो इस अमृतमयी कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ मà¥à¤à¥‡ कराया। मैं आपका बहà¥à¤¤ बहà¥à¤¤ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करता हूं। हे पà¥à¤°à¤à¥! अब मà¥à¤à¥‡ यह बताइठकि जब वीरà¤à¤¦à¥à¤° ने दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž का विनाश कर दिया और उनका वध करके कैलाश परà¥à¤µà¤¤ को चले गठतब कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†?
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हे मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ नारद! जब à¤à¤—वान शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥‡à¤œà¥€ गई उनकी विशाल सेना ने यजà¥à¤ž में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ देवताओं और ऋषियों को पराजित कर दिया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पीट-पीटकर वहां से à¤à¤¾à¤— जाने को मजबूर कर दिया तो वे सà¤à¥€ वहां से à¤à¤¾à¤—कर मेरे पास आ गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करके मेरी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की तथा वहां का सारा वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚त मà¥à¤à¥‡ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ तब अपने पà¥à¤¤à¥à¤° दकà¥à¤· की मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ चिंता होने लगी और मेरा दिल पà¥à¤¤à¥à¤° शोक के कारण वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ हो गया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ मैंने शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ का सà¥à¤®à¤°à¤£ किया और अनà¥à¤¯ देवताओं और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को साथ लेकर बैकà¥à¤‚ठलोक गया। वहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नमसà¥à¤•ार करके हम सà¤à¥€ ने उनकी à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µ से सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। तब मैंने शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ से विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की कि à¤à¤—वनॠआप कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ करें, जिससे हम सà¤à¥€ का दà¥à¤– कम हो जाà¤à¥¤ देवेशà¥à¤µà¤° आप कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ करें, जिससे वह यजà¥à¤ž पूरा हो जाठतथा उसके यजमान दकà¥à¤· पà¥à¤¨à¤ƒ जीवित हो जाà¤à¤‚। अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ देवता और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ à¤à¥€ पूरà¥à¤µ की à¤à¤¾à¤‚ति सà¥à¤–ी हो जाà¤à¤‚।
मेरे इस पà¥à¤°à¤•ार निवेदन करने पर लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤ªà¤¤à¤¿ विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€, जो अपने मन में शिवजी का चिंतन कर रहे थे, पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ और देवताओं को संबोधित करते हà¥à¤ इस पà¥à¤°à¤•ार बोले- कोई à¤à¥€ अपराध किसी à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में कà¤à¥€ à¤à¥€ किसी के लिठà¤à¥€ मंगलकारी नहीं हो सकता । हे विधाता! सà¤à¥€ देवता, परमपिता परमेशà¥à¤µà¤° à¤à¤—वान शिव के अपराधी हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यजà¥à¤ž में शिवजी का à¤à¤¾à¤— नहीं दिया। साथ ही वहां उनका अनादर à¤à¥€ किया। उनकी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पतà¥à¤¨à¥€ सती ने à¤à¥€ उनके अपमान के कारण ही अपनी देह का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दिया। उनका वियोग होने के कारण à¤à¤—वनॠअतà¥à¤¯à¤‚त रà¥à¤·à¥à¤Ÿ हो गठहैं। तà¥à¤® सà¤à¥€ को शीघà¥à¤° ही उनके पास जाकर उनसे कà¥à¤·à¤®à¤¾ मांगनी चाहिà¤à¥¤ à¤à¤—वान शिव के पैर पकड़कर उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करके उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनके कà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होने से संपूरà¥à¤£ जगत का विनाश हो सकता है। दकà¥à¤· ने शिवजी के लिठअपशबà¥à¤¦ कहकर उनके हृदय को विदीरà¥à¤£ कर दिया है। इसलिठउनसे अपने अपराधों के लिठकà¥à¤·à¤®à¤¾ मांगो। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शांत करने का यही सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® उपाय है। वे à¤à¤•à¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² हैं। यदि आप लोग चाहें तो मैं à¤à¥€ आपके साथ चलकर उनसे कà¥à¤·à¤®à¤¾ याचना करूंगा।
à¤à¤¸à¤¾ कहकर à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿, मैं और अनà¥à¤¯ देवता à¤à¤µà¤‚ ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ आदि कैलाश परà¥à¤µà¤¤ की ओर चल दिà¤à¥¤ वह परà¥à¤µà¤¤ बहà¥à¤¤ ही ऊंचा और विशाल है। उसके पास में ही शिवजी के मितà¥à¤° कà¥à¤¬à¥‡à¤° का निवास सà¥à¤¥à¤² अलकापà¥à¤°à¥€ है। अलकापà¥à¤°à¥€ महा दिवà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ रमणीय है। वहां चारों ओर सà¥à¤—ंध फैली हà¥à¤ˆ थी। अनेक पà¥à¤°à¤•ार के पेड़-पौधे शोà¤à¤¾ पा रहे थे। उसी के बाहरी à¤à¤¾à¤— में परम पावन नंदा और अलकनंदा नामक नदियां बहती हैं। इनका दरà¥à¤¶à¤¨ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सà¤à¥€ पापों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिल जाती है।
हम लोग अलकापà¥à¤°à¥€ से आगे उस विशाल वट वृकà¥à¤· के पास पहà¥à¤‚चे, जहां दिवà¥à¤¯ योगियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पूजित à¤à¤—वान शिव विराजमान थे। वह वट वृकà¥à¤· सौ योजन ऊंचा था तथा उसकी अनेक शाखाà¤à¤‚ पचहतà¥à¤¤à¤° योजन तक फैली हà¥à¤ˆ थीं। वह परम पावन तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² है। यहां à¤à¤—वान शिव अपनी योगाराधना करते हैं। उस वट वृकà¥à¤· के नीचे महादेव जी के चारों ओर उनके गण थे और यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कà¥à¤¬à¥‡à¤° à¤à¥€ बैठे थे। तब उनके निकट पहà¥à¤‚चकर विषà¥à¤£à¥ आदि समसà¥à¤¤ देवताओं ने अनेकों बार नमसà¥à¤•ार कर उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। उस समय शिवजी ने अपने शरीर पर à¤à¤¸à¥à¤® लगा रखी थी और वे कà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ पर बैठे थे और जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का उपदेश वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गणों को दे रहे थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना बायां पैर अपनी दायीं जांघ पर रखा था और बाà¤à¤‚ हाथ को बाà¤à¤‚ पैर पर रख रखा था। उनके दाà¤à¤‚ हाथ में रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· की माला थी।
à¤à¤—वान शिव के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ रूप का दरà¥à¤¶à¤¨ कर विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ और सà¤à¥€ देवताओं ने दोनों हाथ जोड़कर और अपने मसà¥à¤¤à¤• को à¤à¥à¤•ाकर दयासागर परमेशà¥à¤µà¤° शिव से कà¥à¤·à¤®à¤¾ याचना की और कहा कि हे पà¥à¤°à¤à¥! आपकी कृपा के बिना हम नषà¥à¤Ÿ-à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ हो गठहैं। अतः पà¥à¤°à¤à¥ आप हम सबकी रकà¥à¤·à¤¾ करें। à¤à¤—वनà¥! हम आपकी शरण में आठहैं। हम पर अपनी कृपादृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनाठरखें। इस पà¥à¤°à¤•ार सà¤à¥€ देवता व ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ à¤à¤—वान शिव का कà¥à¤°à¥‹à¤§ कम करने और उनकी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने लगे।
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
इकतालीसवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दकà¥à¤· को जीवित करना"
देवताओं ने महादेव जी की बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की और कहा- à¤à¤—वनà¥, आप ही परमबà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हैं और इस जगत में सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं। आप मृतà¥à¤¯à¥à¤‚जय हैं। चंदà¥à¤°à¤®à¤¾, सूरà¥à¤¯ और अगà¥à¤¨à¤¿ आपकी तीन आंखें हैं। आपके तेज से ही पूरा जग पà¥à¤°à¤•ाशित है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥, इंदà¥à¤° और चंदà¥à¤° आदि देवता आपसे ही उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हैं। आप ही इस संसार का पोषण करते हैं। à¤à¤—वनॠआप करà¥à¤£à¤¾à¤®à¤¯ हैं। आप ही दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का संहार करते हैं। पà¥à¤°à¤à¥! आपकी आजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° अगà¥à¤¨à¤¿ जलाती है और सूरà¥à¤¯ अपनी तपन से à¤à¥à¤²à¤¸à¤¾à¤¤à¤¾ है। मृतà¥à¤¯à¥ आपके à¤à¤¯ से कांपती है। हे करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨! जिस पà¥à¤°à¤•ार आज तक आपने हमारी हर विपतà¥à¤¤à¤¿ से रकà¥à¤·à¤¾ की है, उसी पà¥à¤°à¤•ार हमेशा अपनी कृपादृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनाà¤à¤‚।
à¤à¤—वनà¥! हम अपनी सà¤à¥€ गलतियों के लिठआपसे कà¥à¤·à¤®à¤¾ मांगते हैं। आप पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर यजà¥à¤ž को पूरà¥à¤£ कीजिठतथा यजमान दकà¥à¤· का उदà¥à¤§à¤¾à¤° कीजिà¤à¥¤ वीरà¤à¤¦à¥à¤° और महाकाली के पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से घायल हà¥à¤ सà¤à¥€ देवताओं व ऋषियों को आरोगà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें। उन सà¤à¥€ की पीड़ा को कम कर दें । हे शिवजी! आप पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· के अपूरà¥à¤£ यजà¥à¤ž को पूरà¥à¤£ कर दें और दकà¥à¤· को पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ कर दें। à¤à¤— ऋषि को उनकी आंखें, पूषा को दांत पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें। साथ ही जिन देवताओं के अंग नषà¥à¤Ÿ हो गठहैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ठीक कर दें। आप सà¤à¥€ को आरोगà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें। हम आपको यजà¥à¤ž में à¤à¤¾à¤— देंगे। à¤à¤¸à¤¾ कहकर हम सà¤à¥€ देवता तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤•ीनाथ महादेव के चरणों में लेट गà¤à¥¤ पूरा-पूरा हमारी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ और अनà¥à¤¨à¤¯-विनय से à¤à¤•à¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² à¤à¤—वान शिव पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गà¤à¥¤
शिवजी बोले ;— हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾! शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥! आपकी बातों को मैं हमेशा मानता हूं। इसलिठआपकी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ को मैं नहीं टाल सकता परंतॠमैं यह बताना चाहता हूं कि दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž का विधà¥à¤µà¤‚स मैंने नहीं किया है। उसके यजà¥à¤ž का विधà¥à¤µà¤‚स इसलिठहà¥à¤† कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह हमेशा दूसरों का बà¥à¤°à¤¾ चाहता है, उनसे दà¥à¤µà¥‡à¤· रखता है। परंतॠजो दूसरों का बà¥à¤°à¤¾ चाहता है उसका ही बà¥à¤°à¤¾ होता है। अतः हमें कोई à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ कारà¥à¤¯ नहीं करना चाहिà¤, जिससे किसी को कषà¥à¤Ÿ हो। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ से मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤·à¤®à¤¾ कर दिया है और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ विनती मानकर मैं दकà¥à¤· को जीवित कर रहा हूं परंतॠदकà¥à¤· का मसà¥à¤¤à¤• अगà¥à¤¨à¤¿ में जल गया है। इसलिठउनके सिर के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बकरे का सिर जोड़ना पड़ेगा। à¤à¤— सूरà¥à¤¯ के नेतà¥à¤° से यजà¥à¤ž à¤à¤¾à¤— को देख पाà¤à¤‚गे तथा पूषा के टूटे हà¥à¤ दांत सही हो जाà¤à¤‚गे। मेरे गणों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मारे गठदेवताओं के टूटे हà¥à¤ अंग à¤à¥€ ठीक हो जाà¤à¤‚गे। à¤à¥ƒà¤—ॠकी दाà¥à¥€ बकरे जैसी हो जाà¤à¤—ी। सà¤à¥€ अधà¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¥ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होंगे।
यह कहकर वेदी के अनà¥à¤¸à¤°à¤£à¤•रà¥à¤¤à¤¾, परम दयालॠà¤à¤—वान शंकर चà¥à¤ª हो गà¤à¥¤ ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ मैंने और विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ सहित सà¤à¥€ देवताओं ने à¤à¤—वान शिव का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ किया। फिर देवरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित शिवजी को उस यजà¥à¤ž में आने के लिठआमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर, हम लोग यजà¥à¤ž के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर गà¤, जहां दकà¥à¤· ने अपना यजà¥à¤ž आरंठकिया था। उस कनखल नामक यजà¥à¤ž कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में शिवजी à¤à¥€ पधारे। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वीरà¤à¤¦à¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठगठउस विधà¥à¤µà¤‚स को देखा। सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾, सà¥à¤µà¤§à¤¾, पूषा, तà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿, धृति,समसà¥à¤¤ ऋषि, पितर, अगà¥à¤¨à¤¿ व यजà¥à¤ž, गंधरà¥à¤µ और राकà¥à¤·à¤¸ वहां पड़े हà¥à¤ थे। कितने ही लोग अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से हाथ धो चà¥à¤•े थे। तब à¤à¤—वान शिव ने अपने परम पराकà¥à¤°à¤®à¥€ सेनापति वीरà¤à¤¦à¥à¤° का सà¥à¤®à¤°à¤£ किया। याद करते ही वीरà¤à¤¦à¥à¤° तà¥à¤°à¤‚त वहां पà¥à¤°à¤•ट हो गठऔर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤—वान शिव को नमसà¥à¤•ार किया। तब शिवजी हंसते हà¥à¤ बोले कि हे वीरà¤à¤¦à¥à¤°! तà¥à¤®à¤¨à¥‡ तो थोड़ी सी देर में सारा यजà¥à¤ž विधà¥à¤µà¤‚स कर दिया और देवताओं को à¤à¥€ दंड दे दिया। हे वीरà¤à¤¦à¥à¤° ! तà¥à¤® इस यजà¥à¤ž का आयोजन करने वाले दकà¥à¤· को जलà¥à¤¦à¥€ से मेरे सामने ले आओ।
à¤à¤—वान शिव की आजà¥à¤žà¤¾ पाकर वीरà¤à¤¦à¥à¤° गठऔर दकà¥à¤· का शरीर वहां लाकर रख दिया परंतॠउसमें सिर नहीं था। दकà¥à¤· के शरीर को देखकर शिवजी ने वीरà¤à¤¦à¥à¤° से पूछा कि दकà¥à¤· का सिर कहां है? तब वीरà¤à¤¦à¥à¤° ने बताया कि दकà¥à¤· का सिर काटकर उसने यजà¥à¤ž की अगà¥à¤¨à¤¿ में ही डाल दिया था। तब शिवजी के आदेशानà¥à¤¸à¤¾à¤° बकरे का सिर दकà¥à¤· के धड़ में जोड़ दिया गया। जैसे में ही शिवजी की कृपादृषà¥à¤Ÿà¤¿ दकà¥à¤· के शरीर पर पड़ी वह जीवित हो गया। दकà¥à¤· के शरीर में पà¥à¤°à¤¾à¤£ आ गठऔर वह इस पà¥à¤°à¤•ार उठबैठा जैसे गहरी नींद से उठा हो । उठते ही उसने अपने सामने महादेव जी को देखा। उसने उठकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने लगा। उसके (दकà¥à¤· के) हृदय में पà¥à¤°à¥‡à¤® उमड़ आया और उसके पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤¤ होते ही उसका कलà¥à¤·à¤¿à¤¤ हृदय निरà¥à¤®à¤² हो गया। तब दकà¥à¤· को अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का à¤à¥€ सà¥à¤®à¤°à¤£ हो गया और इस कारण दकà¥à¤· बहà¥à¤¤ लजà¥à¤œà¤¿à¤¤ महसूस करने लगा। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ अपने को संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤ दकà¥à¤· ने करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ à¤à¤—वान शिव से कहा- हे कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤®à¤¯ महादेव जी! आप ही इस जगत के आदि और अंत हैं। आपने ही इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना का विचार किया है। आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही हर जीव की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है। मैंने आपके लिठअपशबà¥à¤¦ कहे और आपको यजà¥à¤ž में à¤à¤¾à¤— à¤à¥€ नहीं दिया। मेरे बà¥à¤°à¥‡ वचनों से आपको बहà¥à¤¤ चोट पहà¥à¤‚ची है। फिर à¤à¥€ आप मà¥à¤ पर कृपा कर यहां मेरा उदà¥à¤§à¤¾à¤° करने आ गà¤à¥¤ à¤à¤—वनà¥! आप à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ से संपनà¥à¤¨ हैं। आप ही परमपिता परमेशà¥à¤µà¤° हैं। पà¥à¤°à¤à¥! आप मà¥à¤ पर à¤à¤µà¤‚ यहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ जनों पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होइठऔर हमारी पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ को सà¥à¤µà¥€à¤•ार कीजिà¤
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;– नारद! इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤—वान शिव की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने के बाद दकà¥à¤· चà¥à¤ª हो गà¤à¥¤ तब शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ ने à¤à¤—वान शिव की बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ मैंने à¤à¥€ महादेव जी की बहà¥à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। à¤à¤—वनà¥! आपने मेरे पà¥à¤¤à¥à¤° दकà¥à¤· पर अपनी कृपादृषà¥à¤Ÿà¤¿ की और उसका उदà¥à¤§à¤¾à¤° किया। देवेशà¥à¤µà¤°! अब आप पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर सà¤à¥€ शापों से हमें मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करें।
महामà¥à¤¨à¤¿! इस पà¥à¤°à¤•ार महादेव जी की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करके दोनों हाथ जोड़कर और सिर à¤à¥à¤•ाकर खड़ा हो गया। हम सà¤à¥€ देवगणों की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¨à¤•र à¤à¤—वान शिव पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गठऔर उनका मà¥à¤– खिल उठा। तब वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इंदà¥à¤° सहित अनेक सिदà¥à¤§à¥‹à¤‚, ऋषियों और पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ à¤à¤—वान शिव की अनेकों बार सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अनेक उपदेवों, नागों तथा बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ ने à¤à¤—वान शिव को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और उनका पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ मन से सà¥à¤¤à¤µà¤¨ किया। इस पà¥à¤°à¤•ार सà¤à¥€ देवों के मà¥à¤– से अपना सà¥à¤¤à¤µà¤¨ सà¥à¤¨à¤•र à¤à¤—वान शिव को बहà¥à¤¤ संतोष पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
बयालीसवां अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"दकà¥à¤· का यजà¥à¤ž को पूरà¥à¤£ करना"
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;- नारद मà¥à¤¨à¤¿! इस पà¥à¤°à¤•ार शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿, मेरे, देवताओं और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ से à¤à¤—वान शंकर बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ वे हम सबको कृपादृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखते हà¥à¤ बोले पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤·! मैं तà¥à¤® सà¤à¥€ पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हूं। मेरा असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ सबसे अलग है। मैं सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° ईशà¥à¤µà¤° हूं। फिर à¤à¥€ मैं सदैव अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अधीन ही रहता हूं। चार पà¥à¤°à¤•ार के पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ ही मेरा à¤à¤œà¤¨ करते हैं। उनमें पहला आरà¥à¤¤, दूसरा जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥, तीसरा अरà¥à¤¥à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ और चौथा जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ है। परंतॠजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ को ही मेरा खास सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। उसे मेरा ही सà¥à¤µà¤°à¥‚प माना जाता है। वेदों को जानने वाले परम जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ ही मेरे सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानकर मà¥à¤à¥‡ समठसकते हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अधीन रहते हैं, वे मेरे सà¥à¤µà¤°à¥‚प को नहीं पा सकते। इसलिठतà¥à¤® जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को जानकर शà¥à¤¦à¥à¤§ हृदय à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से मेरा सà¥à¤®à¤°à¤£ कर उतà¥à¤¤à¤® करà¥à¤® करो। हे दकà¥à¤·! मैं ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ और विषà¥à¤£à¥ का रकà¥à¤·à¤• हूं। मैं ही आतà¥à¤®à¤¾ हूं। मैंने ही इस संसार की सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की है। मैं ही संसार का पालनकरà¥à¤¤à¤¾ हूं। मैं ही दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का नाश करने के लिठसंहारक बन उनका विनाश करता हूं। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¹à¥€à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯, जो कि सदैव सांसारिक बंधनों और मोह-माया में फंसे रहते हैं, कà¤à¥€ à¤à¥€ मेरा साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार नहीं कर सकते। मेरे à¤à¤•à¥à¤¤ सदैव मेरे ही सà¥à¤µà¤°à¥‚प का चिंतन और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हैं।
हम तीनों अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ à¤à¤• ही हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ हमें अलग न मानकर हमारा à¤à¤• ही सà¥à¤µà¤°à¥‚प मानता है, उसे सà¥à¤–-शांति और समृदà¥à¤§à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है परंतॠजो अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ हम तीनों को अलग-अलग मानकर हममें à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ करते हैं, वे नरक के à¤à¤¾à¤—ी होते हैं। हे पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤·! यदि कोई शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ का परम à¤à¤•à¥à¤¤ मेरी निंदा या आलोचना करेगा या मेरा à¤à¤•à¥à¤¤ होकर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ और विषà¥à¤£à¥ का अपमान करेगा, उसे निशà¥à¤šà¤¯ ही मेरे कोप का à¤à¤¾à¤—ी होना पड़ेगा। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ दिठगठसà¤à¥€ शाप उसको लग जाà¤à¤‚गे।
à¤à¤—वान शिव के इन वचनों को सà¥à¤¨à¤•र सà¤à¥€ देवताओं, ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को हरà¥à¤· हà¥à¤† तथा दकà¥à¤· à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¥ की आजà¥à¤žà¤¾ मानकर अपने परिवार सहित शिवजी की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ में मगà¥à¤¨ हो गया। सब देवता à¤à¥€ महादेव जी का ही गà¥à¤£à¤—ान करने लगे। वे शिवà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ में लीन हो गठऔर उनके à¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को गाने लगे। इस पà¥à¤°à¤•ार जिसने जिस पà¥à¤°à¤•ार से à¤à¤—वान शिव की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ और आराधना की, à¤à¤—वान शिव ने पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• उसे à¤à¤¸à¤¾ ही वरदान पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ दिया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤, à¤à¤•à¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² à¤à¤—वान शंकर जी से आजà¥à¤žà¤¾ लेकर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ दकà¥à¤· ने अपना यजà¥à¤ž पà¥à¤¨à¤ƒ आरंठकिया। उस यजà¥à¤ž में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® शिवजी का à¤à¤¾à¤— दिया। सब देवताओं को à¤à¥€ उचित à¤à¤¾à¤— दिया गया। यजà¥à¤ž में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को दकà¥à¤· ने सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° दान दिया। महादेव जी का गà¥à¤£à¤—ान करते हà¥à¤ दकà¥à¤· ने यजà¥à¤ž के सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• संपनà¥à¤¨ किया। इस पà¥à¤°à¤•ार सà¤à¥€ देवताओं, मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और ऋतà¥à¤µà¤¿à¤œà¥‹à¤‚ के सहयोग से दकà¥à¤· का यजà¥à¤ž सानंद संपनà¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤
ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ सà¤à¥€ देवताओं और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने महादेव जी के यश का गान किया और अपने-अपने निवास की ओर चले गà¤à¥¤ वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अनà¥à¤¯ लोगों ने à¤à¥€ शिवजी से आजà¥à¤žà¤¾ मांगकर वहां से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया। तब मैं और विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ à¤à¥€ शिव वंदना करते हà¥à¤ अपने-अपने लोक को चल दिà¤à¥¤ दकà¥à¤· ने करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ à¤à¤—वान शिव की अनेकों बार सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की और शिवजी को बहà¥à¤¤ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दिया। तब वे à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर अपने गणों को साथ लेकर कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर चल दिà¤à¥¤
कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर पहà¥à¤‚चकर शिवजी को अपनी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पतà¥à¤¨à¥€ देवी सती की याद आने लगी । महादेव जी ने वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गणों से उनके बारे में अनेक बातें कीं। वे उनको याद करके वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² हो गà¤à¥¤ हे नारद! मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सती के परम अदà¥à¤à¥à¤¤ और दिवà¥à¤¯ चरितà¥à¤° का वरà¥à¤£à¤¨ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ यह कथा à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली है। यह उतà¥à¤¤à¤® वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚त सà¤à¥€ कामनाओं को अवशà¥à¤¯ पूरा करता है। इस पà¥à¤°à¤•ार इस चरितà¥à¤° को पढ़ने व सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ वाला जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ पापों से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है। उसे यश, सà¥à¤µà¤°à¥à¤— और आयॠकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µ से इस कथा को पढ़ता है, उसे अपने सà¤à¥€ सतà¥à¤•रà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है।
॥ शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡ समापà¥à¤¤ ॥