🌸 नरक चतुर्दशी 2025 – पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, तिथि, कथा और महत्व
🌕 नरक चतुर्दशी क्या है?
दीपावली से एक दिन पहले आने वाला पर्व नरक चतुर्दशी कहलाता है।
इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस या काली चौदस भी कहा जाता है।
यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध कर 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था।
इसलिए यह दिन अंधकार और पाप के नाश का प्रतीक माना जाता है।
📅 नरक चतुर्दशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
| विवरण | समय / तिथि |
|---|---|
| पर्व तिथि | सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 |
| चतुर्दशी तिथि प्रारंभ | 20 अक्टूबर, सुबह 08:46 बजे |
| चतुर्दशी तिथि समाप्त | 21 अक्टूबर, सुबह 06:51 बजे |
| अभ्यंग स्नान मुहूर्त | 20 अक्टूबर, सुबह 05:41 बजे से 06:19 बजे तक |
| दीपदान मुहूर्त | सायं 06:50 बजे से 08:20 बजे तक |
| प्रदोष काल पूजा | शाम 06:45 बजे से 08:15 बजे तक |
🪔 टिप: इस दिन सुबह “अभ्यंग स्नान” (तेल स्नान) और शाम को दीपदान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
🪔 नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)
🔹 सुबह के समय (अभ्यंग स्नान)
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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सरसों या तिल के तेल से अभ्यंग स्नान करें।
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स्नान से पहले शरीर पर उबटन (आटा, हल्दी, चंदन, तेल) लगाएँ।
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स्नान के जल में गंगा जल मिलाएँ और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
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“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र जपते हुए स्नान करें।
🔹 दिन के समय पूजा विधि
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घर की सफाई कर लें और दरवाजे पर स्वस्तिक या दीपक बनाएं।
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पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और माता काली की तस्वीर या मूर्ति रखें।
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दीपक जलाकर भगवान श्रीकृष्ण को पुष्प, फल, मिठाई, और तुलसी अर्पित करें।
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यह मंत्र बोलें —
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”
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यमराज के नाम से दीपदान करें – दक्षिण दिशा की ओर दीपक रखें।
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संध्या समय दीप जलाकर घर, आंगन और द्वार पर रोशनी करें।
🌺 नरक चतुर्दशी पर क्या करें
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तेल का दीपक जलाकर यमराज को अर्पित करें।
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भगवान श्रीकृष्ण और माता काली की आराधना करें।
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घर के कोनों में दीपक जलाएँ ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर हो।
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गरीबों या ब्राह्मणों को दान दें — दीप, वस्त्र, अन्न या तेल।
⚠️ नरक चतुर्दशी पर क्या न करें
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घर में झगड़ा, क्रोध या कटु वचन का प्रयोग न करें।
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बुरे विचार, आलस्य या अपवित्रता से दूर रहें।
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इस दिन श्मशान, शौचालय या नकारात्मक स्थानों पर जाने से बचें।
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भोजन में लहसुन-प्याज का उपयोग न करें।
🕯 नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Narak Chaturdashi Katha)
एक समय नरकासुर नाम का असुर पृथ्वी पर अत्याचार करने लगा।
उसने 16,000 देवकन्याओं को बंदी बना लिया। देवता उसके आतंक से परेशान हो गए।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने माता सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया।
वध से पहले नरकासुर ने श्रीकृष्ण से वर माँगा —
“प्रभु! जिस दिन मेरा वध हुआ है, वह दिन पाप और अंधकार से मुक्ति देने वाला दिन कहलाए।”
भगवान ने वरदान दिया कि
“जो मनुष्य इस दिन स्नान, दीपदान और पूजा करेगा, वह नरक के भय से मुक्त रहेगा।”
तभी से इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से मनाया जाने लगा।
🌼 नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व
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यह दिन आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धि का प्रतीक है।
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अभ्यंग स्नान करने से पापों का नाश और आयु वृद्धि होती है।
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दीपदान से घर में सुख, शांति और सौभाग्य का प्रवेश होता है।
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यह दिन बुराई, अहंकार और अंधकार के अंत का संदेश देता है।
💫 नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली
नरक चतुर्दशी को ही छोटी दिवाली भी कहा जाता है क्योंकि इसके अगले दिन मुख्य दीपावली होती है।
इस दिन घरों में दीप जलाने और मिठाई बाँटने की परंपरा होती है।
कई लोग इस दिन रूप चौदस के रूप में सौंदर्य और स्वास्थ्य के लिए पूजा करते हैं।
🙏 निष्कर्ष
नरक चतुर्दशी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आंतरिक और बाहरी शुद्धि का अवसर है।
इस दिन यदि श्रद्धा और नियम से अभ्यंग स्नान, दीपदान और पूजा की जाए, तो व्यक्ति के जीवन से पाप, भय और अंधकार दूर होकर सुख-समृद्धि और सौंदर्य का प्रकाश आता है।
❓FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1. नरक चतुर्दशी 2025 में कब है?
➡️ सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
Q2. नरक चतुर्दशी को क्या कहा जाता है?
➡️ इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, या काली चौदस भी कहा जाता है।
Q3. नरक चतुर्दशी पर क्या विशेष पूजा की जाती है?
➡️ भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और माता काली की पूजा तथा दीपदान किया जाता है।
Q4. नरक चतुर्दशी की कथा किससे जुड़ी है?
➡️ यह भगवान श्रीकृष्ण द्वारा असुर नरकासुर के वध से संबंधित है।
Q5. क्या इस दिन स्नान करना आवश्यक है?
➡️ हाँ, अभ्यंग स्नान (तेल स्नान) इस दिन का सबसे पवित्र कर्म माना गया है।