🌼 भाई दूज 2025 – तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, कथा और महत्व
🌸 भाई दूज क्या है?
भाई दूज, दीपावली के पाँचवें और अंतिम दिन मनाया जाने वाला भाई-बहन के स्नेह का पवित्र पर्व है।
यह पर्व कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जब बहन अपने भाई को आमंत्रित कर तिलक करती है, आरती उतारती है और उसके दीर्घायु व सुख की कामना करती है।
भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर गए थे।
📅 भाई दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
| विवरण | समय / तिथि |
|---|---|
| पर्व तिथि | बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 |
| द्वितीया तिथि प्रारंभ | 21 अक्टूबर, सुबह 03:46 बजे |
| द्वितीया तिथि समाप्त | 22 अक्टूबर, सुबह 01:59 बजे |
| भाई दूज पूजन मुहूर्त | दोपहर 12:35 बजे से 02:52 बजे तक |
| अपराह्न काल तिलक समय | 01:00 बजे से 03:00 बजे तक |
🪔 टिप: भाई दूज का तिलक हमेशा अपराह्न काल (दोपहर बाद) में करना शुभ माना गया है।
🪙 भाई दूज पूजा की तैयारी
🏠 घर की तैयारी
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सुबह स्नान कर घर के पूजा स्थल को साफ करें।
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एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ।
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आरती थाली में दीपक, रोली, अक्षत, फूल, मिठाई और नारियल रखें।
🌼 आवश्यक पूजा सामग्री
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आरती थाली
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दीया (घी का दीपक)
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रोली, चावल, पुष्प
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मिठाई और नारियल
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पान, सुपारी
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जल से भरा लोटा
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तिलक के लिए गोबर या चंदन का लेप
🌸 भाई दूज पूजन विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)
🔹 1. स्नान और संकल्प
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बहन सुबह स्नान कर भगवान विष्णु और यमराज का ध्यान करें।
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भाई के लिए उत्तम वस्त्र और मिठाई तैयार रखें।
🔹 2. भाई का स्वागत
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भाई जब घर पहुँचे तो बहन उसका आरती से स्वागत करे।
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उसके हाथ धोकर आसन पर बिठाएँ।
🔹 3. तिलक और आरती
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बहन भाई के माथे पर चंदन या गोबर का तिलक लगाए।
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फिर रोली और अक्षत लगाकर आरती उतारे।
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दीपक दिखाते समय यह मंत्र बोले —
“यम द्वितीया भ्रातृभिः सह यमुनायाः पूजितो यथा।
तथेयं तव पूजां करिष्यामि यमुनाग्रहात्॥”
🔹 4. भोजन और आशीर्वाद
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भाई बहन के घर भोजन करता है — यह सबसे शुभ कर्म माना गया है।
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भोजन के बाद भाई बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है।
📜 भाई दूज की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने बहुत दिनों बाद आए।
यमुना ने प्रसन्न होकर उनका स्वागत किया, आरती उतारी और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया।
यमराज इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने कहा —
“जो भी बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करेगी और आरती उतारेगी, उसे यमलोक का भय नहीं रहेगा।”
तभी से इस दिन को “यम द्वितीया” या “भाई दूज” के रूप में मनाया जाता है।
🌼 भाई दूज का महत्व
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भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक: यह पर्व पारिवारिक प्रेम और सुरक्षा का संदेश देता है।
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दीर्घायु और समृद्धि की कामना: बहन अपने भाई की लंबी आयु और सुखद जीवन की प्रार्थना करती है।
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यमराज से मुक्ति का आशीर्वाद: इस दिन तिलक कराने वाले भाइयों को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
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परिवार में प्रेम और एकता: यह पर्व पारिवारिक संबंधों को मजबूत बनाता है।
💫 भाई दूज पर बोले जाने वाले श्लोक
“भ्रातृद्वितीया नाम तिथिर्यंन्येन संज्ञिता।
यमराजन्ययमुनायाः पूजां करोतु मानवा॥”
“तिलकं च अक्षतान् दत्वा भ्रातृणां दीर्घजीविनम्।
यमुना पूजिता येन सदा तस्य गृहं सुखम्॥”
🌷 भाई दूज का वैज्ञानिक और सामाजिक महत्व
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यह पर्व परिवारिक बंधन को सुदृढ़ करता है।
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भाई-बहन के बीच विश्वास, प्रेम और सुरक्षा की भावना को जगाता है।
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सामाजिक रूप से यह पारिवारिक एकता और कृतज्ञता का उत्सव है।
🪷 निष्कर्ष
भाई दूज केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि प्रेम, सम्मान और परिवार की शक्ति का प्रतीक है।
इस दिन बहन का स्नेह और भाई का संरक्षण — दोनों ही जीवन के सबसे सुंदर रिश्ते को अमर बनाते हैं।
दीपावली के पाँच दिनों का समापन भाई दूज के साथ होता है, जो प्रकाश, प्रेम और पवित्रता का सुंदर संगम है।
❓ FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1. भाई दूज कब है 2025 में?
➡️ बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को भाई दूज मनाया जाएगा।
Q2. क्या भाई दूज रक्षाबंधन जैसा ही है?
➡️ भाव समान है, पर भाई दूज पर बहन तिलक और भोजन कराती है, राखी नहीं बाँधती।
Q3. क्या विवाहित बहन अपने ससुराल में भाई को बुला सकती है?
➡️ हाँ, भाई दूज पर विवाहित बहन अपने भाई को तिलक के लिए आमंत्रित कर सकती है।
Q4. क्या इस दिन यमराज और यमुना की पूजा करनी चाहिए?
➡️ हाँ, क्योंकि यह पर्व यम द्वितीया के नाम से भी प्रसिद्ध है।