🪔 भाई दूज व्रत कथा – यमराज और यमुना जी की पावन कथा
🌟 भाई दूज पर्व का महत्व
भाई दूज, दीपावली के पाँचवें और अंतिम दिन मनाया जाने वाला एक पवित्र पर्व है।
यह दिन भाई-बहन के स्नेह, प्रेम और आत्मीयता का प्रतीक है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं, आरती उतारती हैं और उनके दीर्घायु, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं।
कहा जाता है कि भाई दूज के दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है, उसे यमराज का भय नहीं रहता और उसके जीवन में समृद्धि आती है।
📜 भाई दूज की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्यदेव और छाया (संवर्णा) के दो संतानें थीं — यमराज और यमुना।
दोनों भाई-बहन एक-दूसरे से अत्यंत स्नेह करते थे।
एक दिन यमराज बहुत दिनों बाद अपनी बहन यमुना जी से मिलने उसके घर पहुँचे।
यमुना अपने भाई को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुईं। उन्होंने स्नान कर, सुंदर वस्त्र धारण किए और भाई का आदरपूर्वक स्वागत किया।
उन्होंने यमराज की आरती उतारी, माथे पर तिलक लगाया, और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया।
यमराज ने प्रसन्न होकर बहन यमुना से वरदान माँगने को कहा।
यमुना ने कहा —
“भैया, मेरा यह वरदान हो कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर आए और स्नेहपूर्वक तिलक करवाए, उसकी आयु लंबी हो, उसे यमलोक का भय न रहे।”
यमराज ने बहन का यह वरदान स्वीकार किया और आशीर्वाद दिया कि
“जो भी पुरुष इस दिन अपनी बहन के घर जाकर स्नेहपूर्वक तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।”
तभी से यह दिन “भाई दूज” के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
🌺 भाई दूज व्रत विधि
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इस दिन बहनें प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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पूजा स्थल पर दीपक जलाकर यमराज और यमुना जी का स्मरण करें।
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थाली में तिलक, फूल, दीपक, मिठाई, अक्षत और नारियल रखें।
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भाई को आसन पर बैठाकर उसकी आरती उतारें और तिलक करें।
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तिलक करते समय यह मंत्र बोले —
“यम द्वितीया भ्रातृद्वितीया सौभाग्यदायिनी।
सहस्रवर्ष जीवीतो यमस्सख्यं मया कृतम्॥” -
आरती के बाद भाई-बहन एक-दूसरे को मिठाई खिलाएँ और आशीर्वाद दें।
🕉️ भाई दूज का धार्मिक संदेश
भाई दूज केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि स्नेह, विश्वास और संरक्षण का प्रतीक है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी दूरी क्यों न हो,
भाई-बहन के बीच का स्नेह कभी कम नहीं होता।
🌼 निष्कर्ष
भाई दूज का पर्व यमराज और यमुना जी की उस पवित्र कथा को जीवंत करता है जिसमें प्रेम, आशीर्वाद और रक्षा का भाव समाहित है।
इस दिन किया गया तिलक केवल एक संस्कार नहीं, बल्कि बहन के प्रेम और भाई के आशीर्वाद का पवित्र बंधन है।
“यमराज ने कहा — जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, वह दीर्घायु होगा और उसके जीवन में सदा सुख-समृद्धि रहेगी।”