🪔 गोवर्धन पूजा 2025 – तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, कथा और महत्व
🌄 गोवर्धन पूजा क्या है?
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है, दीपावली के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है।
यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र देव के अहंकार भंजन और गोवर्धन पर्वत की पूजा की स्मृति में मनाया जाता है।
इस दिन भक्तजन गोवर्धन पर्वत (या उसके प्रतीक स्वरूप गोबर से बनाए गए पर्वत) की पूजा करते हैं और 56 प्रकार के व्यंजन (छप्पन भोग) अर्पित करते हैं।
📅 गोवर्धन पूजा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
| विवरण | समय / तिथि |
|---|---|
| पर्व तिथि | मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 |
| प्रतिपदा तिथि प्रारंभ | 20 अक्टूबर, सुबह 05:33 बजे |
| प्रतिपदा तिथि समाप्त | 21 अक्टूबर, सुबह 03:46 बजे |
| गोवर्धन पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल) | शाम 06:45 बजे से 08:21 बजे तक |
| अन्नकूट दर्शन का समय | सुबह 09:00 बजे से 11:30 बजे तक |
🪔 टिप: जिन क्षेत्रों में दीपावली अमावस्या की रात्रि में देर तक रहती है, वहाँ गोवर्धन पूजा अगले दिन (प्रतिपदा तिथि) की जाती है।
🌾 गोवर्धन पूजा का पौराणिक प्रसंग
एक बार गोकुल में लगातार वर्षा होने लगी। यह वर्षा देवेंद्र (इंद्र) के क्रोध के कारण थी क्योंकि श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र-पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा था।
भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के घमंड को तोड़ने के लिए अपने कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सात दिन तक ब्रजवासियों की रक्षा की।
उस दिन से ही गोवर्धन पूजा का आरंभ हुआ।
इस पूजा का उद्देश्य है — प्रकृति, पर्वत, गाय और भूमि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना।
🪙 गोवर्धन पूजा की तैयारी
🏠 घर और आंगन की सजावट
-
सुबह स्नान के बाद घर की सफाई करें।
-
आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं।
-
उसके चारों ओर फूल, पत्ते, दीपक और धान्य रखें।
🌼 आवश्यक पूजा सामग्री
-
गोबर या मिट्टी से बना गोवर्धन पर्वत
-
गाय का गोबर, गंगाजल
-
फूल, माला, तुलसी पत्र
-
दीपक, धूप, अक्षत, जल
-
छप्पन भोग (56 प्रकार के व्यंजन या फल-मिठाई)
-
गौपूजन सामग्री (रोली, गुड़, रोटी)
🌸 गोवर्धन पूजा विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)
🔹 1. गोवर्धन पर्वत का निर्माण
-
आंगन या पूजा स्थल पर गाय के गोबर से पर्वत बनाएं।
-
उस पर छोटे पेड़, पशु, पक्षी, नदियाँ आदि के प्रतीक बनाएं।
-
पर्वत के ऊपर तुलसी दल और फूल चढ़ाएं।
🔹 2. गोवर्धन पर्वत पूजन
-
दीपक जलाकर पर्वत के चारों ओर सात या 11 बार परिक्रमा करें।
-
जल, चावल, फूल और धूप अर्पित करें।
-
मंत्र बोलें —
“गोवर्धन धराधाराय नमः।”
“श्रीकृष्ण गोवर्धन धारकाय नमः।”
🔹 3. गौपूजन
-
इस दिन गाय माता का विशेष पूजन किया जाता है।
-
गाय के माथे पर रोली, अक्षत और फूल चढ़ाएँ।
-
उन्हें गुड़, रोटी, फल आदि खिलाएँ।
🔹 4. अन्नकूट प्रसाद
-
छप्पन भोग (56 व्यंजन) बनाकर श्रीकृष्ण को अर्पित करें।
-
फिर प्रसाद रूप में परिवार और समाज में बाँटें।
📜 गोवर्धन पूजा की कथा
जब ब्रजवासी हर वर्ष इंद्र देव की पूजा करते थे, तब बालक श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा —
“क्या इंद्र हमें अन्न देता है? नहीं, अन्न तो यह गोवर्धन पर्वत देता है। हमें इसकी पूजा करनी चाहिए।”
ब्रजवासी श्रीकृष्ण की बात मान गए और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे।
इंद्र क्रोधित होकर भयंकर वर्षा करने लगा, जिससे ब्रजवासी परेशान हो गए।
तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सबको उसके नीचे आश्रय दिया।
सात दिनों तक वर्षा होती रही, पर कोई भी ब्रजवासी कष्ट में नहीं पड़ा।
अंततः इंद्र ने श्रीकृष्ण से क्षमा माँगी और तब से यह दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाने लगा।
🌻 गोवर्धन पूजा का महत्व
-
प्रकृति की आराधना: यह पर्व हमें प्रकृति, भूमि और जल के प्रति कृतज्ञ बनाता है।
-
गौ-सेवा का संदेश: गाय की सेवा को सर्वोच्च पुण्य बताया गया है।
-
अहंकार का त्याग: श्रीकृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़कर विनम्रता का महत्व बताया।
-
सामूहिक भक्ति: यह पर्व समाज में एकता, प्रेम और सेवा की भावना जगाता है।
🪔 गोवर्धन पूजा पर बोले जाने वाले श्लोक
“गोवर्धनधारक श्रीकृष्णाय नमः।”
“अन्नकूटं समर्पयामि श्रीकृष्णाय नमोऽस्तुते।”
“गोपाळ गोविंद राम जय जय हरे।”
🪷 निष्कर्ष
गोवर्धन पूजा हमें यह सिखाती है कि प्रकृति और ईश्वर दोनों की सेवा ही सच्ची पूजा है।
यह पर्व अन्न, जल, गाय और भूमि के प्रति सम्मान का उत्सव है।
जब हम गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं, तो हम केवल भगवान श्रीकृष्ण की नहीं, बल्कि प्रकृति की उस शक्ति की भी आराधना करते हैं जो हमें जीवन देती है।
❓ FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1. गोवर्धन पूजा कब है 2025 में?
➡️ मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 को गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी।
Q2. क्या गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन होती है?
➡️ हाँ, यह दीपावली (लक्ष्मी पूजा) के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होती है।
Q3. गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है?
➡️ भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र के अहंकार भंजन और गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की स्मृति में।
Q4. अन्नकूट का क्या अर्थ है?
➡️ “अन्नकूट” का अर्थ है अन्न का पहाड़ — इस दिन श्रीकृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं।
Q5. क्या गोवर्धन पूजा घर में की जा सकती है?
➡️ हाँ, गोबर या मिट्टी से पर्वत बनाकर घर में पूजा की जा सकती है।