शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ विदà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° संहिता का इकà¥à¤•ीसवें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से पचà¥à¤šà¥€à¤¸à¤µà¥‡à¤‚ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तक (From the twenty-first chapter to the twenty-fifth chapter of Shiv Purana Vidyeshwara Samhita)
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
विदà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° संहिता
इकà¥à¤•ीसवाठअधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"शिवलिंग की संखà¥à¤¯à¤¾"
सूत जी बोले :- महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹! पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ लिंगों की पूजा करोड़ों यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का फल देने वाली है। कलियà¥à¤— में शिवलिंग पूजन मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठसरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। यह à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· देने वाला à¤à¤µà¤‚ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त है। शिवलिंग तीन पà¥à¤°à¤•ार के हैं- उतà¥à¤¤à¤®, मधà¥à¤¯à¤® और अधम चार अंगà¥à¤² ऊंचे वेदी से यà¥à¤•à¥à¤¤, सà¥à¤‚दर शिवलिंग को 'उतà¥à¤¤à¤® शिवलिंग' कहा जाता है। उससे आधा 'मधà¥à¤¯à¤®' तथा मधà¥à¤¯à¤® से आधा 'अधम' कहलाता है। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ तथा शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वैदिक उपचारों से आदरपूरà¥à¤µà¤• शिवलिंग की पूजा करनी चाहिà¤à¥¤
ऋषि बोले :- हे सूत जी ! शिवजी के पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ लिंग की कà¥à¤² कितनी संखà¥à¤¯à¤¾ है ?
सूत जी बोले :– हे ऋषियो! पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ लिंग की संखà¥à¤¯à¤¾ मनोकामना पर निरà¥à¤à¤° करती है। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठसदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• à¤à¤• हजार पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ शिवलिंग का पूजन करें। धन की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के इचà¥à¤›à¥à¤• डेॠहजार शिवलिंगों का तथा वसà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हेतॠपांच सौ शिवलिंगों का पूजन करें। à¤à¥‚मि का इचà¥à¤›à¥à¤• à¤à¤• हजार, दया à¤à¤¾à¤µ चाहने वाला तीन हजार, तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¤¾ करने की चाह रखने वाले को दो हजार तथा मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के इचà¥à¤›à¥à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤• करोड़ पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ लिंगों की वेदोकà¥à¤¤ विधि से पूजा-आराधना करें। अपनी कामनाओं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° शिवलिंगों की पूजा करें । पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ लिंगों की पूजा करोड़ों यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का फल देने वाली है तथा उपासक को à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है। इसके समान कोई और शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ नहीं है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ यह सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है।
शिवलिंग की नियमित पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¤à¥€ विपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है। शिवलिंग का नियमित पूजन à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र से तरने का सबसे सरल तथा उतà¥à¤¤à¤® उपाय है। हर रोज लिंग का पूजन वेदोकà¥à¤¤ विधि से करना चाहिà¤à¥¤ à¤à¤—वान शंकर का नैवेदà¥à¤¯à¤¾à¤‚त पूजन करना चाहिà¤à¥¤
à¤à¤—वान शंकर की आठमूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पृथà¥à¤µà¥€, जल, अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आकाश, सूरà¥à¤¯, चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ तथा यजमान हैं। इसके अतिरिकà¥à¤¤ शिव, à¤à¤µ, रà¥à¤¦à¥à¤°, उगà¥à¤°, à¤à¥€à¤®, ईशà¥à¤µà¤°, महादेव तथा पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿ नामों का à¤à¥€ पूजन करें। अकà¥à¤·à¤¤, चंदन और बेलपतà¥à¤° लेकर à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• शिवजी का पूजन करें तथा उनके परिवार, जिसमें ईशान, नंदी, चणà¥à¤¡, महाकाल, à¤à¥ƒà¤‚गी, वृष, सà¥à¤•ंद, कपरà¥à¤¦à¥€à¤¶à¥à¤µà¤°, शà¥à¤•à¥à¤° तथा सोम हैं, का दसों दिशाओं में पूजन करें। शिवजी के वीर à¤à¤¦à¥à¤° और कीरà¥à¤¤à¤¿à¤®à¥à¤– के पूजन के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ रà¥à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤‚ की पूजा करें। पंचाकà¥à¤·à¤° मंतà¥à¤° का जाप करें तथा शतरà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ और शिवपंचाग का पाठकरें। इसके उपरांत शिवलिंग की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ कर शिवलिंग का विसरà¥à¤œà¤¨ करें। रातà¥à¤°à¤¿ के समय समसà¥à¤¤ देवकारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उतà¥à¤¤à¤° दिशा की ओर मà¥à¤‚ह करके ही करना चाहिà¤à¥¤ पूजन करते समय मन में à¤à¤—वान शिव का सà¥à¤®à¤°à¤£ करना चाहिà¤à¥¤ जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शिवलिंग सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो वहां पर पूरà¥à¤µ, पशà¥à¤šà¤¿à¤® और उतà¥à¤¤à¤° दिशा में न बैठें, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पूरà¥à¤µ दिशा à¤à¤—वान शिव के सामने पड़ती है और इषà¥à¤Ÿà¤¦à¥‡à¤µ का सामना नहीं रोकना चाहिà¤à¥¤ उतà¥à¤¤à¤° दिशा में शकà¥à¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚पा देवी उमा विराजमान रहती हैं। पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशा में शिवजी का पीछे का à¤à¤¾à¤— है और पूजा पीछे से नहीं की जा सकती, इसलिठदकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा में उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤à¤¿à¤®à¥à¤– होकर बैठना चाहिà¤à¥¤ शिव के उपासकों को à¤à¤¸à¥à¤® से तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ लगाकर, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· की माला, बेलपतà¥à¤° आदि लेकर à¤à¤—वान का पूजन करना चाहिà¤à¥¤ यदि à¤à¤¸à¥à¤® न मिले तो मिटà¥à¤Ÿà¥€ से ही तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करके पूजन करना चाहिà¤à¥¤
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
विदà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° संहिता
बाइसवाठअधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"शिव नैवेदà¥à¤¯ और बिलà¥à¤µ माहातà¥à¤®à¥à¤¯"
ऋषि बोले :– हे सूत जी ! हमने पूरà¥à¤µ में सà¥à¤¨à¤¾ है कि शिव का नैवेदà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¹à¤£ नहीं करना चाहिà¤à¥¤ इस संबंध में शासà¥à¤¤à¥à¤° कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं? इसके बारे में बताइठतथा बिलà¥à¤µ के माहातà¥à¤®à¥à¤¯ को à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कीजिठ।
सूत जी ने कहा :- हे मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹! आप सà¤à¥€ शिव वà¥à¤°à¤¤ का पालन करने वाले हैं। इसलिठमैं आपको पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सारी बातें बता रहा हूं। आप धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¥à¤¨à¥‡à¤‚। à¤à¤—वान शिव के à¤à¤•à¥à¤¤ को, जो उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤°à¤¤ का पालन करता है तथा बाहर-à¤à¥€à¤¤à¤° से पवितà¥à¤° व शà¥à¤¦à¥à¤§ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ निषà¥à¤•ाम à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से à¤à¤—वान शंकर की पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करता है, शिव नैवेदà¥à¤¯ का अवशà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤·à¤£ करना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि नैवेदà¥à¤¯ को देख लेने से ही सारे पाप दूर हो जाते हैं। उसको गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने से बहà¥à¤¤ पà¥à¤£à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का फल मिलता है। नैवेदà¥à¤¯ को खाने से हजारों और अरबों यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का पà¥à¤£à¥à¤¯ अंदर आ जाता है। जिसके घर में शिवजी के नैवेदà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° होता है, उसका घर तो पवितà¥à¤° है ही, बलà¥à¤•ि वह साथ के अनà¥à¤¯ घरों को à¤à¥€ पवितà¥à¤° कर देता है । इसलिठसिर à¤à¥à¤•ाकर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• à¤à¤µà¤‚ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से इसे गà¥à¤°à¤¹à¤£ करें और इसे खा लें। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसे गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने या लेने में विलंब करता है, वह पाप का à¤à¤¾à¤—ी होता है। शिव की दीकà¥à¤·à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ शिवà¤à¤•à¥à¤¤ के लिठनैवेदà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ है।
जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤—वान शिव के अलावा अनà¥à¤¯ देवताओं की दीकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ धारण किठहैं, उनके संबंध में धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¥à¤¨à¤¿à¤- बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹! जहां से शालगà¥à¤°à¤¾à¤® शिला की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होती है, वहां उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ लिंग में रसलिंग में, पाषाण, रजत तथा सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ लिंग में, देवताओं तथा सिदà¥à¤§à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित लिंग में, केसर लिंग, सà¥à¤«à¤Ÿà¤¿à¤• लिंग, रतà¥à¤¨ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ लिंग तथा समसà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में विराजमान à¤à¤—वान शिव के नैवेदà¥à¤¯ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना 'चांदà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤£ वà¥à¤°à¤¤' के समान पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है। शिव नैवेदà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤·à¤£ करने à¤à¤µà¤‚ उसे सिर पर धारण करने से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हतà¥à¤¯à¤¾ के पाप से à¤à¥€ छà¥à¤Ÿà¤•ारा मिल जाता है और मनà¥à¤·à¥à¤¯ पवितà¥à¤° हो जाता है परंतॠजहां चाणà¥à¤¡à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ का अधिकार हो, वहां का महापà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• à¤à¤•à¥à¤·à¤£ नहीं करना चाहिà¤à¥¤ बाणलिंग, लौह निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ लिंग, सिदà¥à¤§à¤²à¤¿à¤‚ग उपासना से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ सिदà¥à¤§à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ लिंग, सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥‚लिंग à¤à¤µà¤‚ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का जहां पर चणà¥à¤¡ का अधिकार नहीं है, जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कराकर उस जल का तीन बार आचमन करता है, उसके सà¤à¥€ कायिक, वाचिक और मानसिक पाप नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं। जो वसà¥à¤¤à¥ à¤à¤—वान शिव को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की जाती है वह अतà¥à¤¯à¤‚त पवितà¥à¤° मानी जाती है।
हे ऋषियो ! बिलà¥à¤µ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ बेल का वृकà¥à¤· महादेव का रूप है। देवताओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की गई है। तीनों लोकों में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ तीरà¥à¤¥ बिलà¥à¤µ में ही निवास करते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसकी जड़ में लिंग रूपी महादेव जी का वास होता है। जो इसकी पूजा करता है, वह निशà¥à¤šà¤¯ ही शिवपद पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है ।
जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ बिलà¥à¤µ की जड़ के पास अपने मसà¥à¤¤à¤• को जल से सींचता है, उसे संपूरà¥à¤£ तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ का फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। बिलà¥à¤µ की जड़ों को पूरा पानी से à¤à¤°à¤¾ देखकर à¤à¤—वान शिव संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होते हैं, जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ बिलà¥à¤µ की जड़ों अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ मूल à¤à¤¾à¤— का गंध, पà¥à¤·à¥à¤ª इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ से पूजन करता है वह सीधा शिवलोक जाता है। उसे संतान और सà¥à¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पवितà¥à¤° मन से बिलà¥à¤µ की जड़ में दीपक जलाने वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ सब पापों से छूट जाता है। इस वृकà¥à¤· के नीचे जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤• शिवà¤à¤•à¥à¤¤ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराता है, उसे à¤à¤• करोड़ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ कराने का फल मिलता है। इस वृकà¥à¤· के नीचे दूध-घी में पके अनà¥à¤¨ का दान देने से दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾ दूर हो जाती है
हे ऋषियो! 'पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿' और 'निवृतà¥à¤¤à¤¿' के दो मारà¥à¤— हैं। 'पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿' के मारà¥à¤— में पूजा-पाठकरने से मनोरथ पूरà¥à¤£ हो जाते हैं। यह संपूरà¥à¤£ अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। किसी सà¥à¤ªà¤¾à¤¤à¥à¤° गà¥à¤°à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विधि-विधान से पूजन कराà¤à¤‚। अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के बाद अगहनी चावल से बना नैवेदà¥à¤¯ अरà¥à¤ªà¤£ करें। पूजा के अंत में शिवलिंग को संपà¥à¤Ÿ में विराजमान कर घर में किसी शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रख दें। निवृतà¥à¤¤à¤¿ मारà¥à¤—ी उपासकों को हाथ में ही पूजन करना चाहिà¤à¥¤ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ à¤à¥‹à¤œà¤¨ को ही नैवेदà¥à¤¯ के रूप में अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करें। निवृतà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिठसूकà¥à¤·à¥à¤® लिंग ही शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। विà¤à¥‚ति से पूजन करें तथा विà¤à¥‚ति को ही निवेदित करें। पूजा करने के उपरांत लिंग को मसà¥à¤¤à¤• पर धारण करें।
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
विदà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° संहिता
तेइसवाठअधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"शिव नाम की महिमा"
ऋषि बोले :-- हे वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ शिषà¥à¤¯ सूत जी! आपको नमसà¥à¤•ार है। हम पर कृपा कर हमें परम उतà¥à¤¤à¤® 'रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤·' तथा शिव नाम की महिमा का माहातà¥à¤®à¥à¤¯ सà¥à¤¨à¤¾à¤‡à¤ ।
सूत जी बोले :– हे ऋषियो! आपने बहà¥à¤¤ ही उतà¥à¤¤à¤® तथा समसà¥à¤¤ लोकों के हित की बात
पूछी है। à¤à¤—वान शिव की उपासना करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ धनà¥à¤¯ हैं। उनका मनà¥à¤·à¥à¤¯ होना सफल हो गया है। साथ ही शिवà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से उनके कà¥à¤² का उदà¥à¤§à¤¾à¤° हो गया है। जो मà¥à¤– मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने से सदाशिव और शिव नामों का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ करते हैं, पाप उनका सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ à¤à¥€ नहीं कर पाता है। à¤à¤¸à¥à¤®, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· और शिव नाम तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€ के समान महा पà¥à¤£à¥à¤¯à¤®à¤¯ हैं। इन तीनों के निवास और दरà¥à¤¶à¤¨ मातà¥à¤° से ही तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€ के सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ का फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है। इनका निवास जिसके शरीर में होता है, उसके दरà¥à¤¶à¤¨ से ही सà¤à¥€ पापों का विनाश हो जाता है। à¤à¤—वान शिव का नाम 'गंगा' है, विà¤à¥‚ति (à¤à¤¸à¥à¤®) 'यमà¥à¤¨à¤¾' मानी गई है तथा रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· को 'सरसà¥à¤µà¤¤à¥€' कहा गया है। इनकी संयà¥à¤•à¥à¤¤ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€ समसà¥à¤¤ पापों का नाश करने वाली है। हे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹! इनकी महिमा सिरà¥à¤« à¤à¤—वान महेशà¥à¤µà¤° ही जानते हैं। यह शिव नाम का माहातà¥à¤®à¥à¤¯ समसà¥à¤¤ पापों को हर लेने वाला है। 'शिव-नाम' अगà¥à¤¨à¤¿ है और 'महापाप' परà¥à¤µà¤¤ है। इस अगà¥à¤¨à¤¿ से पाप रूपी परà¥à¤µà¤¤ जल जाते हैं। शिव नाम को जपने मातà¥à¤° से ही पाप-मूल नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस पृथà¥à¤µà¥€ लोक में à¤à¤—वान शिव के जाप में लगा हà¥à¤† रहता है, वह विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ और वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ है। उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठगठधरà¥à¤®-करà¥à¤® फल देने वाले हैं। जो à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ शिव नाम रूपी नौका पाकर à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र को तर जाते हैं, उनके à¤à¤µà¤°à¥‚पी पाप निःसंदेह ही नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं। जो पाप रूपी दावानल से पीड़ित हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शिव नामरूपी अमृत का पान करना चाहिà¤à¥¤
हे मà¥à¤¨à¥€à¤¶à¥à¤µà¤°à¥‹! जिसने अनेक जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ तक तपसà¥à¤¯à¤¾ की है, उसे ही पापों का नाश करने वाली शिव à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। जिस मनà¥à¤·à¥à¤¯ के मन में कà¤à¥€ न खणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ होने वाली शिव-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆ है, उसे ही मोकà¥à¤· मिलता है। जो अनेक पाप करके à¤à¥€ à¤à¤—वान शिव के नाम-जप में आदरपूरà¥à¤µà¤• लग गया है, वह समसà¥à¤¤ पापों से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है। इसमें जरा à¤à¥€ संशय नहीं है। जिस पà¥à¤°à¤•ार जंगल में दावानल से दगà¥à¤§ हà¥à¤ वृकà¥à¤· à¤à¤¸à¥à¤® हो जाते हैं, उसी पà¥à¤°à¤•ार शिव नाम रूपी दावानल से दगà¥à¤§ होकर उसके सारे पाप à¤à¤¸à¥à¤® हो जाते हैं। जिसके à¤à¤¸à¥à¤® लगाने से अंग पवितà¥à¤° हो गठहैं और जो आदर सहित शिव नाम जपता है, वह इस अथाह à¤à¤µà¤¸à¤¾à¤—र से पार हो जाता है। संपूरà¥à¤£ वेदों का अवलोकन करके महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने शिव नाम को संसार-सागर को पार करने का उपाय बताया है। à¤à¤—वान शंकर के à¤à¤• नाम में à¤à¥€ पाप को समापà¥à¤¤ करने की इतनी शकà¥à¤¤à¤¿ है कि उतने पातक कà¤à¥€ कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ कर ही नहीं सकता। पूरà¥à¤µà¤•ाल में इंदà¥à¤°à¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ नाम का à¤à¤• महापापी राजा हà¥à¤† था और à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ यà¥à¤µà¤¤à¥€, जो बहà¥à¤¤ पाप कर चà¥à¤•ी थी, शिव नाम के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से दोनों उतà¥à¤¤à¤® गति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤à¥¤ हे दà¥à¤µà¤¿à¤œà¥‹! इस पà¥à¤°à¤•ार मैंने तà¥à¤®à¤¸à¥‡ शिव नाम की महिमा का वरà¥à¤£à¤¨ किया है ।
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
विदà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° संहिता
चौबीसवाठअधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"à¤à¤¸à¥à¤®à¤§à¤¾à¤°à¤£ की महिमा"
सूत जी ने कहा :– हे ऋषियो! अब मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ लिठसमसà¥à¤¤ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को पावन करने वाले à¤à¤¸à¥à¤® का माहातà¥à¤®à¥à¤¯ सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤¾ हूं।
à¤à¤¸à¥à¤® दो पà¥à¤°à¤•ार की होती है— à¤à¤• 'महाà¤à¤¸à¥à¤®' और दूसरी 'सà¥à¤µà¤²à¥à¤ª à¤à¤¸à¥à¤®'। महाà¤à¤¸à¥à¤® के à¤à¥€ अनेक à¤à¥‡à¤¦ हैं।
यह तीन पà¥à¤°à¤•ार की होती है— 'शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾', 'सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¥', और 'लौकिक'। शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ और सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤¸à¥à¤® केवल बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ के ही उपयोग में आने योगà¥à¤¯ है। लौकिक à¤à¤¸à¥à¤® का उपयोग सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤œà¤¨ कर सकते हैं। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को वैदिक मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का जाप करते हà¥à¤ à¤à¤¸à¥à¤® धारण करनी चाहिठतथा अनà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ बिना मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के à¤à¤¸à¥à¤® धारण कर सकते हैं। उपलों से सिदà¥à¤§ की हà¥à¤ˆ à¤à¤¸à¥à¤® 'आगà¥à¤¨à¥‡à¤¯ à¤à¤¸à¥à¤®' कहलाती है। यह तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ का दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ है। अनà¥à¤¯ यजà¥à¤ž से पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆ à¤à¤¸à¥à¤® à¤à¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ धारण के काम आती है। जाबालि उपनिषद के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, 'अगà¥à¤¨à¤¿' इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सात बार जल में à¤à¤¿à¤—ोकर शरीर में à¤à¤¸à¥à¤® लगाà¤à¤‚। तीनों संधà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में जो शिव à¤à¤¸à¥à¤® से तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ लगाता है, वह सब पापों से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर शिव की कृपा से मोकà¥à¤· पाता है। तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ और à¤à¤¸à¥à¤® लगाकर विधिपूरà¥à¤µà¤• जाप करें। à¤à¤—वान शिव और विषà¥à¤£à¥ ने à¤à¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ धारण किया है। अनà¥à¤¯ देवियों सहित à¤à¤—वती उमा और देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ ने इनकी पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की है। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, वैशà¥à¤¯à¥‹à¤‚, शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚, वरà¥à¤£à¤¸à¤‚करों तथा जातिà¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ उदà¥à¤§à¥‚लन à¤à¤µà¤‚ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ रूप में à¤à¤¸à¥à¤® धारण की है।
महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹! इस पà¥à¤°à¤•ार संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में मैंने तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ का माहातà¥à¤®à¥à¤¯ बताया है। यह समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठगोपनीय है। ललाट अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ माथे पर à¤à¥Œà¤‚हों के मधà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— से à¤à¥Œà¤‚हों के अंत à¤à¤¾à¤— जितना बड़ा तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ ललाट में धारण करना चाहिठ। मधà¥à¤¯à¤®à¤¾ और अनामिका अंगà¥à¤²à¥€ से दो रेखाà¤à¤‚ करके अंगूठे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बीच में सीधी रेखा तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ कहलाती है। तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ अतà¥à¤¯à¤‚त उतà¥à¤¤à¤® तथा à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· देने वाला है। तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ की à¤à¤•-à¤à¤• रेखा में नौ-नौ देवता हैं, जो सà¤à¥€ अंगों में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं। पà¥à¤°à¤£à¤µ का पà¥à¤°à¤¥à¤® अकà¥à¤·à¤° अकार, गारà¥à¤¹à¤ªà¤¤à¥à¤¯ अगà¥à¤¨à¤¿, पृथà¥à¤µà¥€, धरà¥à¤®, रजोगà¥à¤£, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ सवन तथा महादेव - ये तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ की पà¥à¤°à¤¥à¤® रेखा के नौ देवता हैं। पà¥à¤°à¤£à¤µ का दूसरा अकà¥à¤·à¤° उकार – दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾à¤—à¥à¤¨à¤¿, आकाश, सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, मधà¥à¤¯à¤¦à¤¿à¤¨ सवन, इचà¥à¤›à¤¾à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿, अंतरातà¥à¤®à¤¾ तथा महेशà¥à¤µà¤°â€“ये दूसरी रेखा के नौ देवता हैं। पà¥à¤°à¤£à¤µ का तीसरा अकà¥à¤·à¤° मकार — आहवनीय अगà¥à¤¨à¤¿, परमातà¥à¤®à¤¾, तमोगà¥à¤£, दà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤•, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿, सामवेद तृतीय सवन तथा शिव - ये तीसरी रेखा के नौ देवता हैं ।
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ से शà¥à¤¦à¥à¤§ होकर à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µ से तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ देवताओं को नमसà¥à¤•ार कर तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ धारण करें तो à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· दोनों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। à¤à¤¸à¥à¤® को बतà¥à¤¤à¥€à¤¸, सोलह, आठअथवा पांच सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में धारण करें। सिर, माथा, दोनों कान, दोनों आंखें, नाक के दोनों नथà¥à¤¨à¥‹à¤‚, दोनों हाथ, मà¥à¤‚ह, कंठ, दोनों कोहनी, दोनों à¤à¥à¤œà¤¦à¤‚ड, हृदय, दोनों बगल, नाà¤à¤¿, दोनों अणà¥à¤¡à¤•ोष, दोनों उरà¥, दोनों घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹à¤‚, दोनों पिंडली, दोनों जांघों और पांव आदि बतà¥à¤¤à¥€à¤¸ अंगों में कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, पृथà¥à¤µà¥€, देश, दसों दिशाà¤à¤‚, दसों दिगà¥à¤ªà¤¾à¤², आठों वसà¥à¤‚धरा, धà¥à¤°à¥à¤µ, सोम, आम, अनिल, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•ाल इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ का नाम लेकर à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤µ से तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ धारण करें अथवा à¤à¤•ागà¥à¤°à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤¤ हो सोलह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में ही तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ धारण करें।
सिर, माथा, कणà¥à¤ , दोनों कंधों, दोनों हाथों, दोनों कोहनियों तथा दोनों कलाइयों, हृदय, नाà¤à¤¿, दोनों पसलियों à¤à¤µà¤‚ पीठमें तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ लगाकर इन सोलह अंगों में धारण करें। तब अशà¥à¤µà¤¿à¤¨à¥€à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°, शिवशकà¥à¤¤à¤¿, रà¥à¤¦à¥à¤°, ईश, नारद और वामा आदि नौ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पूजन करके उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ में धारण करें। सिर, बालों, दोनों कान, मà¥à¤‚ह, दोनों हाथ, हृदय, नाà¤à¤¿, उरà¥à¤¯à¥à¤—ल, दोनों पिंडली à¤à¤µà¤‚ दोनों पावों - इन सोलह अंगों में कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ शिव, चंदà¥à¤°à¤®à¤¾, रà¥à¤¦à¥à¤°, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, गणेश, लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, विषà¥à¤£à¥, शिव, पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿, नाग, दोनों नाग कनà¥à¤¯à¤¾, ऋषि कनà¥à¤¯à¤¾, समà¥à¤¦à¥à¤° तीरà¥à¤¥ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के नाम सà¥à¤®à¤°à¤£ करके तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ à¤à¤¸à¥à¤® धारण करें। माथा, दोनों कान, दोनों कंधे, छाती, नाà¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤¹à¥à¤¯ अंग आदि आठअंगों में सपà¥à¤¤à¤‹à¤·à¤¿ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ का नाम लेकर à¤à¤¸à¥à¤® धारण करें अथवा मसà¥à¤¤à¤•, दोनों à¤à¥à¤œà¤¾à¤à¤‚, हृदय और नाà¤à¤¿ इन पांच सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¤¸à¥à¤® धारण करने के योगà¥à¤¯ बताया गया है। देश तथा काल को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखकर à¤à¤¸à¥à¤® को अà¤à¤¿à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¤ करना चाहिठतथा à¤à¤¸à¥à¤® को जल में मिलाना चाहिठ। तà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¥€, सà¤à¥€ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के आधार तथा सà¤à¥€ देवताओं के जनक और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ à¤à¤µà¤‚ रà¥à¤¦à¥à¤° की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने वाले परबà¥à¤°à¤¹à¥à¤® परमातà¥à¤®à¤¾ ‘शिव’ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ 'ॠनमः शिवाय' मंतà¥à¤° को बोलते हà¥à¤ माथे à¤à¤µà¤‚ अंगों पर तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡ धारण करें।
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
विदà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° संहिता
पचà¥à¤šà¥€à¤¸à¤µà¤¾à¤ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· माहातà¥à¤®à¥à¤¯"
सूत जी कहते हैं :– महाजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ शिवसà¥à¤µà¤°à¥‚प शौनक ! à¤à¤—वान शंकर के पà¥à¤°à¤¿à¤¯ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· का माहातà¥à¤®à¥à¤¯ मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾ रहा हूं। यह रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· परम पावन है। इसके दरà¥à¤¶à¤¨, सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ à¤à¤µà¤‚ जप करने से समसà¥à¤¤ पाप नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं। इसकी महिमा तो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सदाशिव ने संपूरà¥à¤£ लोकों के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठदेवी पारà¥à¤µà¤¤à¥€ को सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ है।
à¤à¤—वान शिव बोले :- हे देवी! तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤µà¤¶ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के हित की कामना से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· की महिमा का वरà¥à¤£à¤¨ कर रहा हूं। पूरà¥à¤µà¤•ाल में मैंने मन को संयम में रखकर हजारों दिवà¥à¤¯ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक घोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की। à¤à¤• दिन अचानक मेरा मन कà¥à¤·à¥à¤¬à¥à¤§ हो उठा और मैं सोचने लगा कि मैं संपूरà¥à¤£ लोकों का उपकार करने वाला सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° परमेशà¥à¤µà¤° हूं। अतः मैंने लीलावश अपने दोनों नेतà¥à¤° खोल दिठ। नेतà¥à¤° खà¥à¤²à¤¤à¥‡ ही मेरे नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से जल की à¤à¤¡à¤¼à¥€ लग गई, उसी से गौड़ देश से लेकर मथà¥à¤°à¤¾, अयोधà¥à¤¯à¤¾, काशी, लंका, मलयाचल परà¥à¤µà¤¤ आदि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤·à¥‹à¤‚ के पेड़ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो गà¤à¥¤ तà¤à¥€ से इनका माहातà¥à¤®à¥à¤¯ बढ़ गया और वेदों में à¤à¥€ इनकी महिमा का वरà¥à¤£à¤¨ किया गया है। इसलिठरà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· की माला समसà¥à¤¤ पापों का नाश कर à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ देने वाली है। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, वैशà¥à¤¯, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ और शूदà¥à¤° जातियों में जनà¥à¤®à¥‡ शिवà¤à¤•à¥à¤¤ सफेद, लाल, पीले या काले रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण करें। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जाति अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण करना चाहिà¤à¥¤ आंवले के फल के बराबर रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ माना जाता है। बेर के फल के बराबर को मधà¥à¤¯à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का और चने के आकार के रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· को निमà¥à¤¨ शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का माना जाता है।
हे देवी! बेर के समान रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· छोटा होने पर à¤à¥€ लोक में उतà¥à¤¤à¤® फल देने वाला तथा सà¥à¤–, सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की वृदà¥à¤§à¤¿ करने वाला होता है। जो रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· आंवले के बराबर है, वह सà¤à¥€ अनिषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का विनाश करने वाला तथा सà¤à¥€ मनोरथों को पूरà¥à¤£ करने वाला होता है। रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· जैसे-जैसे छोटा होता है, वैसे ही वैसे अधिक फल देने वाला होता है। पापों का नाश करने के लिठरà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण अवशà¥à¤¯ करना चाहिà¤à¥¤ यह संपूरà¥à¤£ अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ फलों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करता है। लोक में मंगलमय रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· जैसा फल देने वाला कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं है। समान आकार वाले चिकने, गोल, मजबूत, मोटे, कांटेदार रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· (उà¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ छोटे-छोटे दानों वाले रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· ) सब मनोरथ सिदà¥à¤§à¤¿ à¤à¤µà¤‚ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿-मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दायक हैं किंतॠकीड़ों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खाठगà¤, टूटे-फूटे, कांटों से यà¥à¤•à¥à¤¤ तथा जो पूरा गोल न हो, इन पांच पà¥à¤°à¤•ार के रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤·à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करें। जिस रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· में अपने आप डोरा पिरोने के लिठछेद हो, वही उतà¥à¤¤à¤® माना गया है। जिसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ छेद किया हो उसे मधà¥à¤¯à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का माना जाता है। इस जगत गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ सौ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण करके मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो फल पाता है, उसका में वरà¥à¤£à¤¨ नहीं किया जा सकता। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¥à¤· साढ़े पांच सौ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· के दानों का मà¥à¤•à¥à¤Ÿ बना ले और उसे सिर पर धारण करे। तीन सौ साठदानों का हार बना ले, à¤à¤¸à¥‡ तीन हार बनाकर उनका यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ धारण करे ।
महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹! सिर पर ईशान मंतà¥à¤° से कान में ततà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤· मंतà¥à¤° से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण करना चाहिà¤à¥¤ गले में रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤·, मसà¥à¤¤à¤• पर तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤£à¥à¤¡à¤§à¤¾à¤°à¥€ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· पहने 'ॠनमः शिवाय' मंतà¥à¤° का जाप करने वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ यमपà¥à¤° को नहीं जाता। रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· माला पर मंतà¥à¤° जपने का करोड़ गà¥à¤¨à¤¾ फल मिलता है । तीन मà¥à¤– वाला रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· साधन सिदà¥à¤§ करता है à¤à¤µà¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में निपà¥à¤£ बनाता है। चार मà¥à¤– वाला रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प है। इसके दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¤µà¤‚ पूजन से नर-हतà¥à¤¯à¤¾ का पाप छूट जाता है । यह धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम, मोकà¥à¤· आदि चारों पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का फल देता है। पांच मà¥à¤– वाले रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· को कालागà¥à¤¨à¤¿ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पंचमà¥à¤–ी कहा जाता है। यह सरà¥à¤µ कामनाà¤à¤‚ पूरà¥à¤£ कर मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। अà¤à¥‹à¤—à¥à¤¯ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤—ने के पाप तथा à¤à¤•à¥à¤·à¤£ के पापों से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है। छः मà¥à¤–ी रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· कारà¥à¤¤à¤¿à¤•ेय का सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। इसको सीधी बांह में बांधने से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ के दोष से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलती है। सपà¥à¤¤à¤®à¥à¤–ी रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण करने से धन की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। आठमà¥à¤–ों वाला रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· 'à¤à¥ˆà¤°à¤µ' का सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। इसे धारण करने से लंबी आयॠपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है और मरने पर शिव-पद पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है। नौ मà¥à¤–ों वाला रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· à¤à¥ˆà¤°à¤µ तथा कपिल मà¥à¤¨à¤¿ का सà¥à¤µà¤°à¥‚प माना जाता है और à¤à¤—वती दà¥à¤°à¥à¤—ा उसकी अधिषà¥à¤ ातà¥à¤°à¥€ देवी मानी गई हैं। इसे बाà¤à¤‚ हाथ में धारण करने से समसà¥à¤¤ वैà¤à¤µà¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। दस मà¥à¤– वाला रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का रूप है इसे धारण करने से सà¤à¥€ मनोरथ पूरà¥à¤£ हो जाते हैं। गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ मà¥à¤– वाला रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· रà¥à¤¦à¥à¤°à¤°à¥‚प है। इसको धारण करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सब सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर विजय मिलती है। बारह मà¥à¤– वाले रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· को बालों में धारण करने से मसà¥à¤¤à¤• पर 11 सूरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समान तेज पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। तेरह मà¥à¤– वाला रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· विशà¥à¤µà¥‡à¤¦à¥‡à¤µà¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। इसे धारण करने से सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ और मंगल का लाठमिलता है। चौदह मà¥à¤– वाला रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ शिव सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। इसे à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• मसà¥à¤¤à¤• पर धारण करने से समसà¥à¤¤ पापों का नाश हो जाता है। इस पà¥à¤°à¤•ार मà¥à¤–ों के à¤à¥‡à¤¦ से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· के चौदह à¤à¥‡à¤¦ बताठगठहैं। हे पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जी!
अब मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण के मंतà¥à¤° सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤¾ हूं – (1) 'ॠहà¥à¤°à¥€à¤‚ नमः', (2) 'ॠनमः', (3) 'कà¥à¤²à¥€à¤‚ नमः', (4) 'ॠहà¥à¤°à¥€à¤‚ नमः', (5) 'ॠहà¥à¤°à¥€à¤‚ नमः', (6) 'ॠहà¥à¤°à¥€à¤‚ हà¥à¤‚ नमः', (7) 'ॠहà¥à¤‚ नमः', (8) 'ॠहà¥à¤‚ नमः', (9) 'ॠहà¥à¤‚ नमः', (10) 'ॠहृ हà¥à¤‚ नमः', (11) ॠहà¥à¤°à¥€à¤‚ हà¥à¤‚ नमः', (12) 'ॠहà¥à¤‚ नमः', (13) 'ॠकà¥à¤°à¥Œà¤‚ कà¥à¤·à¥Œà¤°à¥‹ नमः' तथा (14) ॠहà¥à¤°à¥€à¤‚ नमः । इन चौदह मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ à¤à¤• से लेकर चौदह मà¥à¤– वाले रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· को धारण करने का विधान है। साधक को नींद और आलसà¥à¤¯ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण करना चाहिठ।
रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· की माला धारण करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ को देखकर à¤à¥‚त, पà¥à¤°à¥‡à¤¤, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी दूर à¤à¤¾à¤— जाते हैं। रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤·à¤§à¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· को देखकर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ मैं, à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥, देवी दà¥à¤°à¥à¤—ा, गणेश, सूरà¥à¤¯ तथा अनà¥à¤¯ देवता à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जाते हैं। इसलिठधरà¥à¤® की वृदà¥à¤§à¤¿ के लिठà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विधिवत रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤· धारण करना चाहिà¤à¥¤
मà¥à¤¨à¥€à¤¶à¥à¤µà¤°! à¤à¤—वान शिव ने देवी पारà¥à¤µà¤¤à¥€ से जो कà¥à¤› कहा था, वह मैंने आपको कह सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ है। मैंने आपके समकà¥à¤· विदà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° संहिता का वरà¥à¤£à¤¨ किया है। यह संहिता संपूरà¥à¤£ सिदà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देने वाली तथा à¤à¤—वान शिव की आजà¥à¤žà¤¾ से मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसे नितà¥à¤¯ पढ़ते अथवा सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं, वे पà¥à¤¤à¥à¤°-पौतà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ के सà¥à¤– à¤à¥‹à¤—कर, सà¥à¤–मय जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करके अंत में शिवरूप होकर मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाते हैं।
विदà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° संहिता समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£