शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता (पà¥à¤°à¤¥à¤® खणà¥à¤¡) के सोलहवें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से बीसवें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तक (From the sixteenth to the twentieth chapter of the Shiva Purana Sri Rudra Samhita (1st volume)
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
पà¥à¤°à¤¥à¤® खणà¥à¤¡
सोलहवाठअधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿"
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले :- नारद ! शबà¥à¤¦ आदि पंचà¤à¥‚तों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पंचकरण करके उनके सà¥à¤¥à¥‚ल, आकाश, वायà¥, अगà¥à¤¨à¤¿, जल और पृथà¥à¤µà¥€, परà¥à¤µà¤¤, समà¥à¤¦à¥à¤°, वृकà¥à¤· और कला आदि से यà¥à¤—ों और कालों की मैंने रचना की तथा और à¤à¥€ कई पदारà¥à¤¥ मैंने बनाठ। उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ और विनाश वाले पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ मैंने निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया है परंतॠजब इससे à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ संतोष नहीं हà¥à¤† तो मैंने मां अंबा सहित à¤à¤—वान शिव का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करके सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के अनà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना की और अपने नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से मरीच को, हृदय से à¤à¥ƒà¤—ॠको, सिर से अंगिरा को, कान से मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤²à¤¹ को, उदान से पà¥à¤²à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¯ को, समान से वशिषà¥à¤ को, अपान से कृतॠको दोनों कानों से अतà¥à¤°à¥€ को पà¥à¤°à¤¾à¤£ से दकà¥à¤· को और गोद से तà¥à¤®à¤•ो, छाया से करà¥à¤¦à¤® मà¥à¤¨à¤¿ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया। सब साधनाओं के साधन धरà¥à¤® को à¤à¥€ मैंने अपने संकलà¥à¤ª से पà¥à¤°à¤•ट किया। मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ! इस तरह साधकों की रचना करके, महादेव जी की कृपा से मैंने अपने को कृतारà¥à¤¥ माना। मेरे संकलà¥à¤ª से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ धरà¥à¤® मेरी आजà¥à¤žà¤¾ से मानव का रूप धारण कर साधन में लग गà¤à¥¤ इसके उपरांत मैंने अपने शरीर के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अंगों से देवता व असà¥à¤°à¥‹à¤‚ के रूप में अनेक पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की रचना करके उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शरीर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किà¤à¥¤ ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤—वान शिव की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से मैं अपने शरीर को दो à¤à¤¾à¤—ों में विà¤à¤•à¥à¤¤ कर दो रूपों वाला हो गया। मैं आधे शरीर से पà¥à¤°à¥à¤· व आधे से नारी हो गया। पà¥à¤°à¥à¤· सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥à¤µ मनॠनाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤ à¤à¤µà¤‚ उचà¥à¤šà¤•ोटि के साधक कहलाà¤à¥¤ नारी रूप से शतरूपा नाम वाली योगिनी à¤à¤µà¤‚ परम तपसà¥à¤µà¤¿à¤¨à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¥¤ मनॠने वैवाहिक विधि से अतà¥à¤¯à¤‚त सà¥à¤‚दरी, शतरूपा का पाणिगà¥à¤°à¤¹à¤£ किया और मैथà¥à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने लगे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शतरूपा से पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤µà¥à¤°à¤¤ और उतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤ªà¤¾à¤¦ नामक दो पà¥à¤¤à¥à¤° तथा आकूति, देवहूति और पà¥à¤°à¤¸à¥‚ति नामक तीन पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कीं। आकूति का 'रà¥à¤šà¤¿' मà¥à¤¨à¤¿ से, देवहूति का 'करà¥à¤¦à¤®' मà¥à¤¨à¤¿ से तथा पà¥à¤°à¤¸à¥‚ति का 'दकà¥à¤· पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿' के साथ विवाह कर दिया गया। इनकी संतानों से पूरा जगत चराचर हो गया।
रà¥à¤šà¤¿ और आकूति के वैवाहिक संबंध में यजà¥à¤ž और दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ नामक सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· का जोड़ा उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ यजà¥à¤ž की दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ से बारह पà¥à¤¤à¥à¤° हà¥à¤à¥¤ मà¥à¤¨à¥‡! करà¥à¤¦à¤® और देवहूति के संबंध से बहà¥à¤¤ सी पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पैदा हà¥à¤ˆ दकà¥à¤· और पà¥à¤°à¤¸à¥‚ति से चौबीस कनà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ हà¥à¤ˆà¤‚। दकà¥à¤· ने तेरह कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विवाह धरà¥à¤® से कर दिया। ये तेरह कनà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾, लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, धृति, तà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿, पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿, मेधा, कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, लजà¥à¤œà¤¾, वसà¥, शांति, सिदà¥à¤§à¤¿ और कीरà¥à¤¤à¤¿ हैं। अनà¥à¤¯ गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं- खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿, सती, संà¤à¥‚ति, सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿, कà¥à¤·à¤®à¤¾, संनति, अनसूया, ऊरà¥à¤œà¤¾, सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾ और सà¥à¤µà¤§à¤¾ का विवाह à¤à¥ƒà¤—à¥, शिव, मरीचि, अंगिरा, पà¥à¤²à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¯, पà¥à¤²à¤¹, कà¥à¤°à¥à¤¤à¥, अतà¥à¤°à¤¿, वशिषà¥à¤ , अगà¥à¤¨à¤¿ और पितर नामक मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से संपनà¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ इनकी संतानों से पूरा तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤• à¤à¤° गया।
अंबिका पति महादेव जी की आजà¥à¤žà¤¾ से बहà¥à¤¤ से पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के रूप में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤ कलà¥à¤ªà¤à¥‡à¤¦ से दकà¥à¤· की साठकनà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ हà¥à¤ˆà¤‚। उनमें से दस कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विवाह धरà¥à¤® से, सतà¥à¤¤à¤¾à¤ˆà¤¸ का चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ से, तेरह कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विवाह कशà¥à¤¯à¤ª ऋषि से संपनà¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ नारद! उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चार कनà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ अरिषà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡à¤®à¤¿ को बà¥à¤¯à¤¾à¤¹ दीं। à¤à¥ƒà¤—à¥, अंगिरा और कà¥à¤¶à¤¾à¤¶à¥à¤µ से दो-दो कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का विवाह कर दिया।
कशà¥à¤¯à¤ª ऋषि की संतानों से संपूरà¥à¤£ तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤• आलोकित है। देवता, ऋषि, दैतà¥à¤¯, वृकà¥à¤·, पकà¥à¤·à¥€, परà¥à¤µà¤¤ तथा लताà¤à¤‚ आदि कशà¥à¤¯à¤ª पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से पैदा हà¥à¤ हैं। इस तरह à¤à¤—वान शंकर की आजà¥à¤žà¤¾ से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ ने पूरी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना की। सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ शिवजी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तपसà¥à¤¯à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¤•ट देवी, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ ने तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल के अगà¥à¤°à¤à¤¾à¤— पर रखकर उनकी रकà¥à¤·à¤¾ की वे सती देवी ही दकà¥à¤· से पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆ थीं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का उदà¥à¤§à¤¾à¤° करने के लिठअनेक लीलाà¤à¤‚ कीं। इस पà¥à¤°à¤•ार देवी शिवा ही सती के रूप में à¤à¤—वान शंकर की अरà¥à¤§à¤¾à¤‚गिनी बनीं। परंतॠअपने पिता के यजà¥à¤ž में अपने पति का अपमान देखकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने शरीर को यजà¥à¤ž की अगà¥à¤¨à¤¿ में à¤à¤¸à¥à¤® कर दिया। देवताओं की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ पर ही वे मां सती पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के रूप में पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆà¤‚ और कठिन तपसà¥à¤¯à¤¾ करके उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤¨à¤ƒ à¤à¤—वान à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लिया। वे इस संसार में कालिका, चणà¥à¤¡à¤¿à¤•ा, à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾, चामà¥à¤£à¥à¤¡à¤¾, विजया, जया, जयंती, à¤à¤¦à¥à¤°à¤•ाली, दà¥à¤°à¥à¤—ा, à¤à¤—वती, कामाखà¥à¤¯à¤¾, कामदा, अंबा, मृडानी और सरà¥à¤µà¤®à¤‚गला आदि अनेक नामों से पूजी जाती हैं। देवी के ये नाम à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤· को देने वाले हैं।
मà¥à¤¨à¤¿ नारद! इस पà¥à¤°à¤•ार मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ की कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ है। पूरा बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ à¤à¤—वान शिव की आजà¥à¤žà¤¾ से मेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचा गया है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ और रà¥à¤¦à¥à¤° आदि तीनों देवता उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ महादेव के अंश हैं। à¤à¤—वान शिव निरà¥à¤—à¥à¤£ और सगà¥à¤£ हैं। वे शिवलोक में शिवा के साथ निवास करते हैं।
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
पà¥à¤°à¤¥à¤® खणà¥à¤¡
सतà¥à¤°à¤¹à¤µà¤¾à¤ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"पापी गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ की कथा"
सूत जी कहते हैं :- हे ऋषियो ! ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ नारद जी ने विनयपूरà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और उनसे पूछा- à¤à¤—वनà¥! à¤à¤—वान शंकर कैलाश पर कब गठऔर महातà¥à¤®à¤¾ कà¥à¤¬à¥‡à¤° से उनकी मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ कहां और कैसे हà¥à¤ˆ ? पà¥à¤°à¤à¥ शिवजी कैलाश पर कà¥à¤¯à¤¾ करते हैं? कृपा कर मà¥à¤à¥‡ बताइà¤à¥¤ इसे सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के लिठमैं बहà¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¥à¤• हूं।
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले :– हे नारद ! मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ चंदà¥à¤°à¤®à¥Œà¤²à¤¿ à¤à¤—वान शिव के विषय में बताता हूं। कांपिलà¥à¤¯ नगर में यजà¥à¤ž दतà¥à¤¤ दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ नामक à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ रहते थे। जो अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ थे। वे यजà¥à¤ž विदà¥à¤¯à¤¾ में बड़े पारंगत थे। उनका गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ नामक à¤à¤• आठवरà¥à¤·à¥€à¤¯ पà¥à¤¤à¥à¤° था। उसका यजà¥à¤žà¥‹à¤ªà¤µà¥€à¤¤ हो चà¥à¤•ा था और वह à¤à¥€ बहà¥à¤¤ सी विदà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ जानता था। परंतॠवह दà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ और जà¥à¤†à¤°à¥€ हो गया। वह हर वकà¥à¤¤ खेलता-कूदता रहता था तथा गाने बजाने वालों का साथी हो गया था। माता के बहà¥à¤¤ कहने पर à¤à¥€ वह पिता के समीप नहीं जाता था और उनकी किसी आजà¥à¤žà¤¾ को नहीं मानता था। उसके पिता घर के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ तथा दीकà¥à¤·à¤¾ आदि देने में लगे रहते थे। जब घर पर आकर अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ के बारे में पूछते तो वह à¤à¥‚ठकह देती कि वह कहीं सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने या देवताओं का पूजन करने गया है। केवल à¤à¤• ही पà¥à¤¤à¥à¤° होने कारण वह अपने पà¥à¤¤à¥à¤° की कमियों को छà¥à¤ªà¤¾à¤¤à¥€ रहती थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पà¥à¤¤à¥à¤° का विवाह à¤à¥€ करा दिया। माता नितà¥à¤¯ अपने पà¥à¤¤à¥à¤° को समà¤à¤¾à¤¤à¥€ थी। वह उसे यह à¤à¥€ समà¤à¤¾à¤¤à¥€ थी कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ बà¥à¤°à¥€ आदतों के बारे में तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पिता को पता चल गया तो वे कà¥à¤°à¥‹à¤§ के आवेश में हम दोनों को मार देंगे। परंतॠगà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ पर मां के समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ का कोई पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ता था।
à¤à¤• दिन उसने अपने पिता की अंगूठी चà¥à¤°à¤¾ ली और उसे जà¥à¤ में हार आया । दैवयोग से उसके पिता को अंगूठी के विषय में पता चल गया जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अंगूठी जà¥à¤†à¤°à¥€ के हाथ में देखी और उससे पूछा तो जà¥à¤†à¤°à¥€ ने कहा- मैंने कोई चोरी नहीं की है। अंगूठी मà¥à¤à¥‡ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पà¥à¤¤à¥à¤° ने ही दी है। यही नहीं, बलà¥à¤•ि उसने और जà¥à¤†à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ बहà¥à¤¤ सारा धन घर से लाकर दिया है। परंतॠआशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ तो यह है कि तà¥à¤® जैसे पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ à¤à¥€ अपने पà¥à¤¤à¥à¤° के लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ को नहीं जान पाà¤à¥¤ यह सारी बातें सà¥à¤¨à¤•र पंडित दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ का सिर शरà¥à¤® से à¤à¥à¤• गया। वे सिर à¤à¥à¤•ाकर और अपना मà¥à¤‚ह ढककर अपने घर की ओर चल दिà¤à¥¤ घर पहà¥à¤‚चकर, गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ को पà¥à¤•ारा अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूछा, तेरा लाडला पà¥à¤¤à¥à¤° कहां गया है? मेरी अंगूठी जो मैंने सà¥à¤¬à¤¹ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ दी थी, वह कहां है? मà¥à¤à¥‡ जलà¥à¤¦à¥€ से दो पंडित की पतà¥à¤¨à¥€ ने फिर à¤à¥‚ठबोल दिया, मà¥à¤à¥‡ सà¥à¤®à¤°à¤£ नहीं है कि वह कहां है। अब तो दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ जी को और à¤à¥€ कà¥à¤°à¥‹à¤§ आ गया।
वे अपनी पतà¥à¤¨à¥€ से बोले :– तू बड़ी सतà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¨à¥€ है। इसलिठमैं जब à¤à¥€ गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ के बारे में पूछता हूं, तब मà¥à¤à¥‡ अपनी बातों से बहला देती है। यह कहकर दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ जी घर के अनà¥à¤¯ सामानों को ढूंà¥à¤¨à¥‡ लगे किंतॠउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई वसà¥à¤¤à¥ न मिली, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे सब वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ जà¥à¤ में हार चà¥à¤•ा था। कà¥à¤°à¥‹à¤§ में आकर पंडित ने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ और पà¥à¤¤à¥à¤° को घर से निकाल दिया और दूसरा विवाह कर लिया।
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
पà¥à¤°à¤¥à¤® खणà¥à¤¡
अठारहवाठअधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ को मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿"
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले :– हे नारद ! जब यह समाचार गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ को मिला तो उसे अपने à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की चिंता हà¥à¤ˆà¥¤ वह कई दिनों तक à¤à¥‚खा-पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ à¤à¤Ÿà¤•ता रहा। à¤à¤• दिन à¤à¥‚ख-पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² वह à¤à¤• शिव मंदिर के पास बैठगया। à¤à¤• शिवà¤à¤•à¥à¤¤ अपने परिवार सहित, शिव पूजन के लिठविविध सामगà¥à¤°à¥€ लेकर वहां आया था। उसने परिवार सहित à¤à¤—वान शिव का विधि विधान से पूजन किया और नाना पà¥à¤°à¤•ार के पकवान शिवलिंग पर चढ़ाà¤à¥¤
पूजन के बाद वे लोग वहां से चले गठतो गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ ने à¤à¥‚ख से मजबूर होकर उस à¤à¥‹à¤— को से चोरी करने का विचार किया और मंदिर में चला गया। उस समय अंधेरा हो चà¥à¤•ा था इसलिठउसने अपने वसà¥à¤¤à¥à¤° को जलाकर उजाला किया। यह मानो उसने à¤à¤—वान शिव के समà¥à¤®à¥à¤– दीप जलाकर दीपदान किया था। जैसे ही वह सब à¤à¥‹à¤— उठाकर à¤à¤¾à¤—ने लगा उसके पैरों की धमक से लोगों को पता चल गया कि उसने मंदिर में चोरी की है। सà¤à¥€ उसे पकड़ने के लिठदौड़े और उसका पीछा करने लगे। नगर के लोगों ने उसे खूब मारा। उनकी मार को उसका à¤à¥‚खा शरीर सहन नहीं कर सका। उसके पà¥à¤°à¤¾à¤£ पखेरू उड़ गठ।
उसके कà¥à¤•रà¥à¤®à¥‹à¤‚ के कारण यमदूत उसको बांधकर ले जा रहे थे। तà¤à¥€ à¤à¤—वान शिव के पारà¥à¤·à¤¦ वहां आ गठऔर गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ को यमदूतों के बंधनों से मà¥à¤•à¥à¤¤ करा दिया। यमदूतों ने शिवगणों को नमसà¥à¤•ार किया और बताया कि यह बड़ा पापी और धरà¥à¤®-करà¥à¤® से हीन है। यह अपने पिता का à¤à¥€ शतà¥à¤°à¥ है। इसने शिवजी के à¤à¥‹à¤— की à¤à¥€ चोरी की इसने बहà¥à¤¤ पाप किठहैं। इसलिठयह यमलोक का अधिकारी है। इसे हमारे साथ जाने दें ताकि विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ नरकों को यह à¤à¥‹à¤— सके। तब शिव गणों ने उतà¥à¤¤à¤° दिया कि निशà¥à¤šà¤¯ ही गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ ने बहà¥à¤¤ से पाप करà¥à¤® किठहैं परंतॠइसने कà¥à¤› पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® à¤à¥€ किठहैं। जो संखà¥à¤¯à¤¾ में कम होने पर à¤à¥€ पापकरà¥à¤®à¥‹à¤‚ को नषà¥à¤Ÿ करने वाले हैं। इसने रातà¥à¤°à¤¿ में अपने वसà¥à¤¤à¥à¤° को फाड़कर शिवलिंग के समकà¥à¤· दीपक में बतà¥à¤¤à¥€ डालकर उसे जलाया और दीपदान किया।
इसने अपने पिता के शà¥à¤°à¥€à¤®à¥à¤– से à¤à¤µà¤‚ मंदिर के बाहर बैठकर शिवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¨à¤¾ है और à¤à¤¸à¥‡ ही और à¤à¥€ अनेक धरà¥à¤®-करà¥à¤® इसने किठहैं। इतने दिनों तक à¤à¥‚खा रहकर इसने वà¥à¤°à¤¤ किया और शिवदरà¥à¤¶à¤¨ तथा शिव पूजन à¤à¥€ अनेकों बार किया है। इसलिठयह हमारे साथ शिवलोक को जाà¤à¤—ा। वहां कà¥à¤› दिनों तक निवास करेगा। जब इसके संपूरà¥à¤£ पापों का नाश हो जाà¤à¤—ा तो à¤à¤—वान शिव की कृपा से यह कलिंग देश का राजा बनेगा। अतः यमदूतो, तà¥à¤® अपने लोक को लौट जाओ। यह सà¥à¤¨à¤•र यमदूत यमलोक को चले गà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यमराज को इस विषय में सूचना दे दी और यमराज ने इसको पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर लिया।
ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ नामक बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ को लेकर शिवगण शिवलोक को चल दिà¤à¥¤ कैलाश पर à¤à¤—वान शिव और देवी उमा विराजमान थे। उसे उनके सामने लाया गया। गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ ने à¤à¤—वान शिव-उमा की चरण वंदना की और उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। उसने महादेव से अपने किठकरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के बारे में कà¥à¤·à¤®à¤¾ याचना की। à¤à¤—वान ने उसे कà¥à¤·à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर दी। वहां शिवलोक में कà¥à¤› दिन निवास करने के बाद गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ कलिंग देश के राजा 'अरिंदम' के पà¥à¤¤à¥à¤° दम के रूप में विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤† ।
हे नारद ! शिवजी की थोड़ी सी सेवा à¤à¥€ उसके लिठअतà¥à¤¯à¤‚त फलदायक हà¥à¤ˆà¥¤ इस गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ के चरितà¥à¤° को जो कोई पढ़ता अथवा सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है, उसकी सà¤à¥€ कामनाà¤à¤‚ पूरी होती हैं तथा वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤–-शांति पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है।
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
पà¥à¤°à¤¥à¤® खणà¥à¤¡
उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¤¾à¤ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ को कà¥à¤¬à¥‡à¤° पद की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿"
नारद जी ने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया :- हे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ ! अब आप मà¥à¤à¥‡ यह बताइठकि गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ जैसे महापापी मनà¥à¤·à¥à¤¯ को à¤à¤—वान शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤¬à¥‡à¤° पद कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और कैसे पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया गया? हे पà¥à¤°à¤à¥! कृपा कर इस कथा को à¤à¥€ बताइà¤à¥¤
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले :- नारद ! शिवलोक में सारे दिवà¥à¤¯ à¤à¥‹à¤—ों का उपà¤à¥‹à¤— तथा उमा महेशà¥à¤µà¤° का सेवन कर, वह अगले जनà¥à¤® में कलिंग के राजा अरिंदम का पà¥à¤¤à¥à¤° हà¥à¤†à¥¤ उसका नाम दम था। बालक दम की à¤à¤—वान शंकर में असीम à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ थी। वह सदैव शिवजी की सेवा में लगा रहता था। वह अनà¥à¤¯ बालकों के साथ मिलकर शिव à¤à¤œà¤¨ करता।
यà¥à¤µà¤¾ होने पर उसके पिता अरिंदम की मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ दम को राजसिंहासन पर बैठाया गया। राजा दम सब ओर शिवधरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करने लगे। वे सà¤à¥€ शिवालयों में दीप दान करते थे। उनकी शिवजी में अननà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने राजà¥à¤¯ में रहने वाले सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥‹à¤‚ को यह आजà¥à¤žà¤¾ दी थी कि 'शिव मंदिर' में दीपदान करना सबके लिठअनिवारà¥à¤¯ है। अपने गांव के आस-पास जितने शिवालय हैं, वहां सदा दीप जलाना चाहिà¤à¥¤ राजा दम ने आजीवन शिव धरà¥à¤® का पालन किया। इस तरह वे बड़े धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ कहलाà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शिवालयों में बहà¥à¤¤ से दीप जलवाà¤à¥¤ इसके फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प वे दीपों की पà¥à¤°à¤à¤¾ के आशà¥à¤°à¤¯ हो मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त अलकापà¥à¤°à¥€ के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ बने।
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले :- हे नारद ! à¤à¤—वान शिव का पूजन व उपासना महान फल देने वाली है। दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ के पà¥à¤¤à¥à¤° गà¥à¤£à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ ने, जो पूरà¥à¤£ अधरà¥à¤®à¥€ था, à¤à¤—वान शिव की कृपा पाकर दिकà¥à¤ªà¤¾à¤² का पद पा लिया था। अब मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ उसकी à¤à¤—वान शिव के साथ मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ के विषय में बताता हूं।
नारद ! बहà¥à¤¤ पहले की बात है। मेरे मानस पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤²à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¯ से विशà¥à¤°à¤µà¤¾ का जनà¥à¤® हà¥à¤† और विशà¥à¤°à¤µà¤¾ के पà¥à¤¤à¥à¤° कà¥à¤¬à¥‡à¤° हà¥à¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूरà¥à¤µà¤•ाल में बहà¥à¤¤ कठोर तप किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विशà¥à¤µà¤•रà¥à¤®à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित अलकापà¥à¤°à¥€ का उपà¤à¥‹à¤— किया। मेघवाहन कलà¥à¤ª के आरंठहोने पर वे कà¥à¤¬à¥‡à¤° के रूप में घोर तप करने लगे। वे à¤à¤—वान शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤•ाशित काशी पà¥à¤°à¥€ में गठऔर अपने मन के रतà¥à¤¨à¤®à¤¯ दीपों से गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ रà¥à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤‚ को उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ कर वे तनà¥à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ से शिवजी के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में मगà¥à¤¨ होकर निशà¥à¤šà¤² à¤à¤¾à¤µ से उनकी उपासना करने लगे। वहां उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शिवलिंग की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा की। उतà¥à¤¤à¤® पà¥à¤·à¥à¤ªà¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शिवलिंग का पूजन किया। कà¥à¤¬à¥‡à¤° पूरे मन से तप में लगे थे। उनके पूरे शरीर में केवल हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का ढांचा और चमड़ी ही बची थी। इस पà¥à¤°à¤•ार उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दस हजार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक तपसà¥à¤¯à¤¾ की। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤—वान शिव अपनी दिवà¥à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿ उमा के à¤à¤µà¥à¤¯ रूप के साथ कà¥à¤¬à¥‡à¤° के पास गà¤à¥¤ अलकापति कà¥à¤¬à¥‡à¤° मन को à¤à¤•ागà¥à¤° कर शिवलिंग के सामने तपसà¥à¤¯à¤¾ में लीन थे।
à¤à¤—वान शिव ने कहा :- अलकापते! मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और तपसà¥à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हूं। तà¥à¤® मà¥à¤à¤¸à¥‡ अपनी इचà¥à¤›à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° वर मांग सकते हो। यह सà¥à¤¨à¤•र जैसे ही कà¥à¤¬à¥‡à¤° ने आंखें खोलीं तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने सामने à¤à¤—वान नीलकंठखड़े दिखाई दिà¤à¥¤ उनका तेज सूरà¥à¤¯ के समान था। उनके मसà¥à¤¤à¤• पर चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ अपनी चांदनी बिखेर रहा था। उनके तेज से कà¥à¤¬à¥‡à¤° की आंखें चौंधिया गईं। ततà¥à¤•ाल उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी आंखें बंद कर लीं।
वे à¤à¤—वान शिव से बोले :- à¤à¤—वनà¥! मेरे नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वह शकà¥à¤¤à¤¿ दीजिà¤, जिससे मैं आपके चरणारविंदों का दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकूं।
कà¥à¤¬à¥‡à¤° की बात सà¥à¤¨à¤•र à¤à¤—वान शिव ने अपनी हथेली से कà¥à¤¬à¥‡à¤° को सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ कर देखने की शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। दिवà¥à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर वे आंखें फाड़-फाड़कर देवी उमा की ओर देखने लगे। वे सोचने लगे कि à¤à¤—वान शिव के साथ यह सरà¥à¤µà¤¾à¤‚ग सà¥à¤‚दरी कौन है? इसने à¤à¤¸à¤¾ कौन सा तप किया है जो इसे à¤à¤—वान शिव की कृपा से उनका सामीपà¥à¤¯ रूप और सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है। वे देवी उमा को निरंतर देखते जा रहे थे। देवी को घूरने के कारण उनकी बायीं आंख फूट गई। शिवजी ने उमा से कहा- उमे! यह तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤¤à¥à¤° है। यह तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤°à¥‚र दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से नहीं देख रहा है। यह तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ तप बल को जानने की कोशिश कर रहा है,
फिर à¤à¤—वान शिव ने कà¥à¤¬à¥‡à¤° से कहा :– मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ तपसà¥à¤¯à¤¾ से बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हूं। मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ वर देता हूं कि तà¥à¤® समसà¥à¤¤ निधियों और गà¥à¤¹à¥à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हो जाओ। सà¥à¤µà¥à¤°à¤¤à¥‹à¤‚, यकà¥à¤·à¥‹à¤‚ और किनà¥à¤¨à¤°à¥‹à¤‚ के अधिपति होकर धन के दाता बनो। मेरी तà¥à¤®à¤¸à¥‡ सदा मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ रहेगी और मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पास सदा निवास करूंगा अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अलकापà¥à¤°à¥€ के पास ही मैं निवास करूंगा। कà¥à¤¬à¥‡à¤° अब तà¥à¤® अपनी माता उमा के चरणों में पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करो। ये ही तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ माता हैं।
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं :– नारद! इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤—वान शिव ने देवी से कहा- हे देवी! यह आपके पà¥à¤¤à¥à¤° के समान है। इस पर अपनी कृपा करो। यह सà¥à¤¨à¤•र उमा देवी बोली-वतà¥à¤¸! तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€, à¤à¤—वान शिव में सदैव निरà¥à¤®à¤² à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ बनी रहे। बायीं आंख फूट जाने पर तà¥à¤® à¤à¤• ही पिंगल नेतà¥à¤° से यà¥à¤•à¥à¤¤ रहो। महादेव जी ने जो वर तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किठहैं, वे सà¥à¤²à¤ हैं। मेरे रूप से ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾ के कारण तà¥à¤® कà¥à¤¬à¥‡à¤° नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ होगे। कà¥à¤¬à¥‡à¤° को वर देकर à¤à¤—वान शिव और देवी उमा अपने धाम को चले गà¤à¥¤ इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤—वान शिव और कà¥à¤¬à¥‡à¤° में मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆ और वे अलकापà¥à¤°à¥€ के निकट कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर निवास करने लगे।
नारद जी ने कहा :- बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€! आप धनà¥à¤¯ हैं। आपने मà¥à¤ पर कृपा कर मà¥à¤à¥‡ इस अमृत कथा के बारे में बताया है। निशà¥à¤šà¤¯ ही, शिव à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤–ों को दूर कर समसà¥à¤¤ सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली है।
शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
पà¥à¤°à¤¥à¤® खणà¥à¤¡
बीसवाठअधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"à¤à¤—वान शिव का कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर गमन"
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले :– हे नारद मà¥à¤¨à¤¿ ! कà¥à¤¬à¥‡à¤° के कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर तप करने से वहां पर à¤à¤—वान शिव का शà¥à¤ आगमन हà¥à¤†à¥¤ कà¥à¤¬à¥‡à¤° को वर देने वाले विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° शिव जब निधिपति होने का वर देकर अंतरà¥à¤§à¤¾à¤¨ हो गà¤, तब उनके मन में विचार आया कि मैं अपने रà¥à¤¦à¥à¤° रूप में, जिसका जनà¥à¤® बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ के ललाट से हà¥à¤† है और जो संहारक है, कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर निवास करूंगा। शिव की इचà¥à¤›à¤¾ से कैलाश जाने के इचà¥à¤›à¥à¤• रà¥à¤¦à¥à¤° देव ने बड़े जोर-जोर से अपना डमरू बजाना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया।
वह धà¥à¤µà¤¨à¤¿ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ बढ़ाने वाली थी। डमरू की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ तीनों लोकों में गूंज रही थी। उस धà¥à¤µà¤¨à¤¿ में सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ वालों को अपने पास आने का आगà¥à¤°à¤¹ था। उस डमरू धà¥à¤µà¤¨à¤¿ को सà¥à¤¨à¤•र बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, विषà¥à¤£à¥ आदि सà¤à¥€ देवता, ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿, वेद-शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को जानने वाले सिदà¥à¤§ लोग, बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होकर कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर पहà¥à¤‚चे। à¤à¤—वान शिव के सारे पारà¥à¤·à¤¦ और गणपाल जहां à¤à¥€ थे वे कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर पहà¥à¤‚चे। साथ ही असंखà¥à¤¯ गणों सहित अपनी लाखों-करोड़ों à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¨à¥€ à¤à¥‚त-पà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥‹à¤‚ की सेना के साथ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ शिवजी à¤à¥€ वहां पहà¥à¤‚चे। सà¤à¥€ गणपाल सहसà¥à¤°à¥‹à¤‚ à¤à¥à¤œà¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ थे। उनके मसà¥à¤¤à¤• पर जटाà¤à¤‚ थीं। सà¤à¥€ चंदà¥à¤°à¤šà¥‚ड़, नीलकणà¥à¤ और तà¥à¤°à¤¿à¤²à¥‹à¤šà¤¨ थे। हार, कà¥à¤£à¥à¤¡à¤², केयूर तथा मà¥à¤•à¥à¤Ÿ से वे अलंकृत थे।
à¤à¤—वान शिव ने विशà¥à¤µà¤•रà¥à¤®à¤¾ को कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर निवास बनाने की आजà¥à¤žà¤¾ दी। अपने व अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के रहने के लिठयोगà¥à¤¯ आवास तैयार करने का आदेश दिया। विशà¥à¤µà¤•रà¥à¤®à¤¾ ने आजà¥à¤žà¤¾ पाते ही अनेकों पà¥à¤°à¤•ार के सà¥à¤‚दर निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वहां बना दिà¤à¥¤ उतà¥à¤¤à¤® मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहां पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया। इस मधà¥à¤° बेला पर सà¤à¥€ देवताओं, ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और सिदà¥à¤§à¥‹à¤‚ सहित बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ और विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ ने शिवजी व उमा का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• किया। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार से उनकी पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ और सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। पà¥à¤°à¤à¥ की आरती उतारी। उस समय आकाश में फूलों की वरà¥à¤·à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ इस समय चारों और à¤à¤—वान शिव तथा देवी उमा की जय-जयकार हो रही थी। सà¤à¥€ की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर à¤à¤—वान शिव ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उनकी इचà¥à¤›à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वरदान दिया तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ और मनोवांछित वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ à¤à¥‡à¤‚ट कीं।
ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤—वान शंकर की आजà¥à¤žà¤¾ लेकर सà¤à¥€ देवता अपने-अपने निवास को चले गà¤à¥¤ कà¥à¤¬à¥‡à¤° à¤à¥€ à¤à¤—वान शिव की आजà¥à¤žà¤¾ पाकर अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अलकापà¥à¤°à¥€ को चले गà¤à¥¤ ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤—वान शंà¤à¥ वहां निवास करने लगे। वे योग साधना में लीन होकर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में मगà¥à¤¨ रहते। कà¥à¤› समय तक वहां अकेले निवास करने के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दकà¥à¤·à¤•नà¥à¤¯à¤¾ देवी सती को पतà¥à¤¨à¥€ रूप में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लिया । देवरà¥à¤·à¤¿! अब रà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤—वान देवी सती के साथ वहां सà¥à¤–पूरà¥à¤µà¤• विहार करने लगे।
हे नारद! इस पà¥à¤°à¤•ार मैंने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤—वान शिव के रà¥à¤¦à¥à¤° अवतार का वरà¥à¤£à¤¨ और उनके कैलाश पर आगमन की उतà¥à¤¤à¤® कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ है। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ शिवजी व कà¥à¤¬à¥‡à¤° की मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ और à¤à¤—वान शिव की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ लीलाओं के विषय में बताया है। उनकी à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ तीनों लोकों का सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली तथा मनोवांछित फलों को देने वाली है। इस लोक में ही नहीं परलोक में à¤à¥€ सदà¥à¤—ति पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है ।
इस कथा को जो à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤•ागà¥à¤° होकर सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ या पढ़ता है, वह इस लोक में सà¥à¤– और à¤à¥‹à¤—ों को पाकर मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
नारद जी ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ किया और उनकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की। वे बोले कि पà¥à¤°à¤à¥, आपने मà¥à¤à¥‡ इस अमृत कथा को सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ है। आप महाजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ हैं। आप सà¤à¥€ की इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं को पूरà¥à¤£ करते हैं। मैं आपका आà¤à¤¾à¤°à¥€ हूं। शिव चरितà¥à¤° जैसा शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आपने मà¥à¤à¥‡ दिया है। हे पà¥à¤°à¤à¥‹! मैं आपको बारंबार नमन करता हूं।
॥ शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता पà¥à¤°à¤¥à¤® खणà¥à¤¡ समापà¥à¤¤à¥¥