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Shiva Purana Sri Rudra Samhita (Second Volume) From the thirty-first to the thirty-seventh chapter

शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता (दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡) के इकतà¥à¤¤à¥€à¤¸ से सैंतीस अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तक (From the thirty-first to the thirty-seventh chapter of Shiva Purana Sri Rudra Samhita (Second Volume)
शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
इकतà¥à¤¤à¥€à¤¸ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"आकाशवाणी"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;- हे नारद! जब दकà¥à¤· के उस महान यजà¥à¤ž में घोर उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ मचा हà¥à¤† था और सभी डर के कारण भयभीत हो रहे थे तो उस समय वहां पर à¤à¤• आकाशवाणी हà¥à¤ˆà¥¤

हे मूरà¥à¤– दकà¥à¤·! तूने यह बहà¥à¤¤ बड़ा अनरà¥à¤¥ कर दिया है। तूने शिव भकà¥à¤¤ दधीचि के कथन को पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• नहीं माना, जो तेरे लिठपरम मंगलकारी और आनंददायक था । तूने उनका भी अपमान किया और वे तà¥à¤à¥‡ शाप देकर तेरी यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ से चले गà¤à¥¤ तब भी तू कà¥à¤› भी नहीं समà¤à¤¾à¥¤ तूने अपने घर में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आई, साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ मंगल सà¥à¤µà¤°à¥‚पा अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सती का अपमान किया। तूने सती और शंकर का पूजन भी नहीं किया। अपने को बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ का पà¥à¤¤à¥à¤° समà¤à¤•र तà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ घमंड हो गया था। तूने उस सती देवी का अपमान किया जो सतà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की भी आराधà¥à¤¯à¤¾ हैं। वे समसà¥à¤¤ पà¥à¤£à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का फल देती हैं। वे तीनों लोकों की माता, कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚पा और भगवान शंकर की अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚गिनी हैं। सती देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होने पर सà¥à¤– और सौभागà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती हैं। वे परम मंगलकारी हैं। देवी सती की पूजा करने से समसà¥à¤¤ भयों से छà¥à¤Ÿà¤•ारा मिल जाता है और मनोवांछित फलों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। देवी सभी उपदà¥à¤°à¤µà¥‹à¤‚ को नषà¥à¤Ÿ कर देती हैं। वे ही पराशकà¥à¤¤à¤¿ हैं तथा कीरà¥à¤¤à¤¿, संपतà¥à¤¤à¤¿, भोग और मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती हैं। वे ही जनà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जनà¥à¤® देने वाली माता हैं। वे ही इस जगत की रकà¥à¤·à¤¾ करने वाली आदि शकà¥à¤¤à¤¿ हैं और वे ही पà¥à¤°à¤²à¤¯à¤•ाल में जगत का संहार करने वाली हैं। सती ही भगवान विषà¥à¤£à¥ सहित बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾, इंदà¥à¤°, चंदà¥à¤°, अगà¥à¤¨à¤¿, सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ आदि सभी देवताओं की जननी हैं। वे साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ जगदंबा हैं। वे ही दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का नाश करने वाली और भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ करने वाली हैं। à¤à¤¸à¥€ उतà¥à¤¤à¤® महिमा और गà¥à¤£à¥‹à¤‚ वाली भगवान शिव की पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ का तूने इस यजà¥à¤ž में अपमान किया है।

भगवान शिव तो परमबà¥à¤°à¤¹à¥à¤® परमेशà¥à¤µà¤° हैं। वे सबके सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हैं। वे सबका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करते हैं। सभी मनà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤­à¥ का दरà¥à¤¶à¤¨ पाने की अभिलाषा सदैव अपने मन में रखते हैं। दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की इचà¥à¤›à¤¾ लिठघोर तपसà¥à¤¯à¤¾ करते हैं। वे भगवान शिव ही जगत को धारण कर उसका पालन-पोषण करते हैं। वे ही समसà¥à¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ और मंगलों का भी मंगल करने वाले हैं। वे ही समसà¥à¤¤ मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। हे दà¥à¤·à¥à¤Ÿ दकà¥à¤·! तूने उन परम शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ भगवान शिव की शकà¥à¤¤à¤¿ की अवहेलना करके बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¤¾ किया है। इसलिठतेरे इस महायजà¥à¤ž के विनाश को कोई नहीं रोक सकता। जिनके चरणों की धूल शेषनाग रोज अपने मसà¥à¤¤à¤• पर धारण करता हैं, जिनके चरणकमल का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ को बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¤à¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है, तूने उनका और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ सती का पूजन न करके बहà¥à¤¤ अनिषà¥à¤Ÿ किया है। भगवान शिव ही इस संपूरà¥à¤£ जगत के पिता और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ देवी सती इस जगत की माता हैं। तूने उन माता-पिता का सतà¥à¤•ार न कर उनका घोर अपमान किया है। अब तेरा कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कैसे हो सकता है? तूने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ दà¥à¤°à¥à¤­à¤¾à¤—à¥à¤¯ से अपना नाता जोड़ लिया है। तूने देवी सती और भगवान शिव की भकà¥à¤¤à¤¿à¤­à¤¾à¤µ से आराधना नहीं की।

तेरी यह सोच ही कि कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•ारी शिव का पूजन किठबिना भी मैं कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ का भागी हो सकता हूं, तà¥à¤à¥‡ ले डूबी है। तेरा सारा घमंड नषà¥à¤Ÿ हो जाà¤à¤—ा। यहां बैठा कोई भी देवता शिवजी के विरà¥à¤¦à¥à¤§ होकर तेरी सहायता नहीं कर पाà¤à¤—ा। यदि करना भी चाहेगा तो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ भी नषà¥à¤Ÿ हो जाà¤à¤—ा। अब तेरा अमंगल निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है। सभी देवता और मà¥à¤¨à¤¿à¤—ण यजà¥à¤ž मणà¥à¤¡à¤ª को छोड़कर तà¥à¤°à¤‚त यहां से अपने-अपने धाम को चले जाà¤à¤‚ अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ सबका नाश हो जाà¤à¤—ा।

इस पà¥à¤°à¤•ार यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी लोगों को चेतावनी देकर वह आकाशवाणी मौन हो गई।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
बतà¥à¤¤à¥€à¤¸ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"शिवजी का कà¥à¤°à¥‹à¤§"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;— नारद! उस आकाशवाणी को सà¥à¤¨à¤•र सभी देवता और मà¥à¤¨à¤¿ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ से इधर-उधर देखने लगे। उनके मà¥à¤‚ह से à¤à¤• भी शबà¥à¤¦ नहीं निकला। वे अतà¥à¤¯à¤‚त भयभीत हो गà¤à¥¤ उधर, भृगॠके मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ गणों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ भगाठगठशिवगण, जो कि नषà¥à¤Ÿ होने से बच गठथे, शिवजी की शरण में चले गà¤à¥¤ वहां पहà¥à¤‚चकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤­à¥ को हाथ जोड़कर पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और वहां यजà¥à¤ž में जो कà¥à¤› भी हà¥à¤† था, उसका और सती के शरीर तà¥à¤¯à¤¾à¤—ने का सारा वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚त उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤

शिवगण बोले ;– हे महेशà¥à¤µà¤° ! दकà¥à¤· बड़ा ही दà¥à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ और घमंडी है। उसने माता सती का बहà¥à¤¤ अपमान किया। वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ देवताओं ने भी उनका आदर-सतà¥à¤•ार नहीं किया। उस घमंडी दकà¥à¤· ने यजà¥à¤ž में आपका भाग भी नहीं दिया।

हे पà¥à¤°à¤­à¥! दकà¥à¤· ने आपके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ बà¥à¤°à¥‡ शबà¥à¤¦ कहे। आपके विषय में à¤à¤¸à¥€ बातें सà¥à¤¨à¤•र माता कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो गईं और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पिता की बहà¥à¤¤ निंदा की। जब दकà¥à¤· ने उनका भी अपमान किया तो वे शांत होकर सोचने लगीं। फिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी देवताओं और मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को फटकारा, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आपका अनादर किया था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शिव निंदा सà¥à¤¨à¤•र मैं जीवित नहीं रह सकती। यह कहकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने योगागà¥à¤¨à¤¿ में जलकर अपना शरीर भसà¥à¤® कर दिया। यह देखकर बहà¥à¤¤ से पारà¥à¤·à¤¦à¥‹à¤‚ ने माता के साथ ही अपने शरीर की आहà¥à¤¤à¤¿ दे दी। तब हम सब शिवगण उस यजà¥à¤ž को विधà¥à¤µà¤‚स करने के लिठतेजी से आगे बढ़े परंतॠभृगॠऋषि ने मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गणों को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर हम पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ कर दिया। हममें से बहà¥à¤¤ से गणों को उन भृगॠके गणों ने मार डाला । तब वहां आकाशवाणी हà¥à¤ˆ, जिसने कहा कि द तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ अंत अब निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है तथा जो भी देवता à¤à¤µà¤‚ मà¥à¤¨à¤¿ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ साथ देंगे वे भी पाप के भागी बनकर मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंगे। यह सà¥à¤¨à¤•र सभी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ लोग वहां से चले गठऔर हम यहां आपको इस विषय में बताने के लिठआपके पास चले आà¤à¥¤ हे कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•ारी भगवान शिव! हे आप उस महादà¥à¤·à¥à¤Ÿ अधरà¥à¤®à¥€ दकà¥à¤· को उसके अपराध का कठोर दंड अवशà¥à¤¯ दें। यह कहकर सभी गण चà¥à¤ª हो गà¤à¥¤

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हे नारद! अपने पारà¥à¤·à¤¦à¥‹à¤‚ की बातें सà¥à¤¨à¤•र भगवान शिव ने उस यजà¥à¤ž की सारी बातें और जानकारी जानने के लिठतà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤®à¤°à¤£ किया। उनके सà¥à¤®à¤°à¤£ करते ही तà¥à¤® वहां जा पहà¥à¤‚चे और भकà¥à¤¤à¤¿à¤­à¤¾à¤µ से नमसà¥à¤•ार करके चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª खड़े हो गà¤à¥¤ तब महादेव जी ने तà¥à¤®à¤¸à¥‡ दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž के विषय में पूछा। तब तà¥à¤®à¤¨à¥‡ उतà¥à¤¤à¤® भाव से उस यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में जो-जो हà¥à¤† था, वह सब वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚त उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾ दिया। सारी बातों से अवगत होते ही भगवान शिव अतà¥à¤¯à¤‚त कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो गà¤à¥¤ पराकà¥à¤°à¤®à¥€ शंकर के कà¥à¤°à¥‹à¤§ का कोई अंत न रहा। तब लोकसंहारी शंकर ने अपनी जटा का à¤à¤• बाल उखाड़कर उसे कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर दे मारा। जैसे ही वह बाल जमीन पर गिरा उसके दो टà¥à¤•ड़े हो गà¤à¥¤ उस समय वहां बहà¥à¤¤ भयंकर गरà¥à¤œà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ बाल के पà¥à¤°à¤¥à¤® भाग से महापराकà¥à¤°à¤®à¥€,

महाबली वीरभदà¥à¤° पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤, जो समसà¥à¤¤ शिवगणों में शिरोमणि हैं। उनका शरीर बहà¥à¤¤ बड़ा और विशाल था। उनकी à¤à¤• हजार भà¥à¤œà¤¾à¤à¤‚ थीं। उस जटा के दूसरे भाग से अतà¥à¤¯à¤‚त भयंकर और करोड़ों भूतों से घिरी हà¥à¤ˆ महाकाली उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¥¤ उस समय रà¥à¤¦à¥à¤° देव के कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• सांस लेने से सौ पà¥à¤°à¤•ार के जà¥à¤µà¤° और अनेक पà¥à¤°à¤•ार के रोग पैदा हो गà¤à¥¤ वे सभी शरीरधारी, कà¥à¤°à¥‚र और भयंकर थे। वे अगà¥à¤¨à¤¿ के समान तेज से पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ थे। तब वीरभदà¥à¤° और महाकाली ने दोनों हाथ जोड़कर भगवान शिव को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया।

वीरभदà¥à¤° बोले ;- हे महारà¥à¤¦à¥à¤°! आपने सोम, सूरà¥à¤¯ और अगà¥à¤¨à¤¿ को अपने तीनों नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ में धारण किया है। हे पà¥à¤°à¤­à¥! कृपा कर मà¥à¤à¥‡ आजà¥à¤žà¤¾ दीजिठकि मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤¯à¤¾ कारà¥à¤¯ करना है? कà¥à¤¯à¤¾ मà¥à¤à¥‡ पृथà¥à¤µà¥€ के सभी समà¥à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ में सà¥à¤–ाना है या संपूरà¥à¤£ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ को पीसकर पल भर में ही मसलकर चूरà¥à¤£ बनाना है?

हे पà¥à¤°à¤­à¥! मैं इस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ को भसà¥à¤® कर दूं या मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जला दूं। भगवनà¥, आपका आदेश पाकर मैं समसà¥à¤¤ लोकों में उलट-पà¥à¤²à¤Ÿ कर सकता हूं। आपके इशारा करने से ही मैं जगत के समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विनाश कर सकता हूं। आपकी आजà¥à¤žà¤¾ पाकर मैं इस संसार में सभी कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को कर सकता हूं। हे पà¥à¤°à¤­à¥! मेरे समान पराकà¥à¤°à¤®à¥€ न तो कोई हà¥à¤† है और न ही होगा। भगवनà¥, आपकी आजà¥à¤žà¤¾ से हर कारà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ हो सकता है। मà¥à¤à¥‡ ये सभी शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आपकी ही कृपा से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ हैं। बिना आपकी आजà¥à¤žà¤¾ के à¤à¤• तिनका भी नहीं हिल सकता है। हे करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨! मैं आपके चरणों में पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करता हूं। आप अपने कारà¥à¤¯ की सिदà¥à¤§à¤¿ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ मà¥à¤à¥‡ सौंपिà¤à¥¤ मैं उसे पूरà¥à¤£ करने का पूरा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करूंगा। हे पà¥à¤°à¤­à¥! आपके चरणों का मैं हर समय चिंतन करता रहता हूं। आपकी भकà¥à¤¤à¤¿ परम उतà¥à¤¤à¤® है। आप बिना कहे ही अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की समसà¥à¤¤ इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं को पूरा करके उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनोवांछित और अभीषà¥à¤Ÿ फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं। आप भकà¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² हैं। भगवनà¥, मà¥à¤à¥‡ कारà¥à¤¯ करने का आदेश दें तथा साथ ही उस कारà¥à¤¯ की सफलता का भी आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दें।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;- हे मà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ! वीरभदà¥à¤° के ये वचन सà¥à¤¨à¤•र शिवजी को बहà¥à¤¤ संतोष हà¥à¤† तथा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वीरभदà¥à¤° को अपना आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया। भगवान शिव बोले पारà¥à¤·à¤¦à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤  वीरभदà¥à¤°! तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ जय हो । बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ का पà¥à¤¤à¥à¤° दकà¥à¤· बड़ा ही दà¥à¤·à¥à¤Ÿ है। उसे अपने पर बहà¥à¤¤ घमंड है । इस समय वह à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा यजà¥à¤ž कर रहा है। उसने उस यजà¥à¤ž में मेरा बहà¥à¤¤ अपमान किया है। मेरी पतà¥à¤¨à¥€ ने मेरा अपमान होता हà¥à¤† देखकर उसी यजà¥à¤ž की अगà¥à¤¨à¤¿ में अपने शरीर को भसà¥à¤® कर दिया है। अब तà¥à¤® सपरिवार उस यजà¥à¤ž में जाओ। वहां यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में जाकर तà¥à¤® उस यजà¥à¤ž को विनषà¥à¤Ÿ कर दो। यदि देवता, गंधरà¥à¤µ अथवा कोई अनà¥à¤¯ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ सामना करे और तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ ललकारे तो तà¥à¤® उसे वहीं भसà¥à¤® कर देना।

दधीचि की दी हà¥à¤ˆ चेतावनी के बाद भी जो देवतागण वहां यजà¥à¤ž में मौजूद हैं, तà¥à¤® उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ भी भसà¥à¤® कर देना कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे सभी मà¥à¤à¤¸à¥‡ बैर रखते हैं। तà¥à¤® उन सभी को बंधà¥-बांधवों सहित जलाकर भसà¥à¤® कर देना। वहां कलशों में भरे हà¥à¤ जल को पी लेना। इस पà¥à¤°à¤•ार वैदिक मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ के पालक, भकà¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ शिव ने कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ होकर वीरभदà¥à¤° को यजà¥à¤ž का विनाश करने का आदेश दिया।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
तेंतीस अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"वीरभदà¥à¤° और महाकाली का यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ की ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;– नारद! महेशà¥à¤µà¤° के आदेश को आदरपूरà¥à¤µà¤• सà¥à¤¨à¤•र वीरभदà¥à¤° ने शिवजी को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ उनसे आजà¥à¤žà¤¾ लेकर वीरभदà¥à¤° यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ की ओर चल दिà¤à¥¤ शिवजी ने पà¥à¤°à¤²à¤¯ की अगà¥à¤¨à¤¿ के समान और करोड़ों गणों को उनके साथ भेज दिया। वे अतà¥à¤¯à¤‚त तेजसà¥à¤µà¥€ थे। वे सभी वीरगण कौतूहल से वीरभदà¥à¤° के साथ-साथ चल दिà¤à¥¤ उसमें हजारों पारà¥à¤·à¤¦ वीरभदà¥à¤° की तरह ही महापराकà¥à¤°à¤®à¥€ और बलशाली थे। बहà¥à¤¤ से काल के भी काल भगवान रà¥à¤¦à¥à¤° के समान थे। वे शिवजी के समान ही शोभा पा रहे थे। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ वीरभदà¥à¤° शिवजी जैसा वेश धारण कर à¤à¤¸à¥‡ रथ पर चढ़कर चले, जो चार सौ हाथ लंबा था और इस रथ को दस हजार शेर खींच रहे थे और बहà¥à¤¤ से हाथी, शारà¥à¤¦à¥‚ल, मगर, मतà¥à¤¸à¥à¤¯ उस रथ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठआगे-आगे चल रहे थे। काली, कातà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¨à¥€, ईशानी, चामà¥à¤£à¥à¤¡à¤¾, मà¥à¤£à¥à¤¡à¤®à¤°à¥à¤¦à¤¿à¤¨à¥€, भदà¥à¤°à¤•ाली, भदà¥à¤°à¤¾, तà¥à¤µà¤°à¤¿à¤¤à¤¾ और वैषà¥à¤£à¤µà¥€ नामक नव दà¥à¤°à¥à¤—ाओं ने भी भूतों-पिशाचों के साथ दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž का विनाश करने के लिठउस ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया। डाकिनी, शाकिनी, भूत-पिशाच, पà¥à¤°à¤®à¤¥, गà¥à¤¹à¥à¤¯à¤•, कूषà¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡, परà¥à¤ªà¤Ÿ, चटक, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤°à¤¾à¤•à¥à¤·à¤¸, भैरव तथा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤ªà¤¾à¤² आदि सभी वीरगण भगवान शिव की आजà¥à¤žà¤¾ पाकर दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž का विनाश करने के लिठयजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ की ओर चल दिà¤à¥¤ वे भगवान शंकर के चौंसठ हजार करोड़ गणों की सेना लेकर चल दिà¤à¥¤ उस समय भेरियों की गंभीर धà¥à¤µà¤¨à¤¿ होने लगी। अनेकों पà¥à¤°à¤•ार के शंख चारों दिशाओं में बजने लगे। उस समय जटाहर, मà¥à¤–ों तथा शृंगों के अनेक पà¥à¤°à¤•ार के शबà¥à¤¦ हà¥à¤à¥¤ भिनà¥à¤¨-भिनà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार की सींगे बजने लगीं। महामà¥à¤¨à¤¿ नारद! उस समय वीरभदà¥à¤° की उस यातà¥à¤°à¤¾ में करोड़ों सैनिक (शिवगण à¤à¤µà¤‚ भूत पिशाच) शामिल थे। इसी पà¥à¤°à¤•ार महाकाली की सेना भी शोभा पा रही थी।

इस पà¥à¤°à¤•ार वीरभदà¥à¤° और महाकाली दोनों की विशाल सेनाà¤à¤‚ उस दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž का विनाश करने के लिठगाजे-बाजे के साथ आगे बà¥à¤¨à¥‡ लगीं। उस समय अनेक शà¥à¤­ शगà¥à¤¨ होने लगे।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
चौंतीस अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"यजà¥à¤ž-मणà¥à¤¡à¤ª में भय और विषà¥à¤£à¥ से जीवन रकà¥à¤·à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ बोले ;— हे नारद! जब वीरभदà¥à¤° और महाकाली की विशाल चतà¥à¤°à¤‚गिणी सेना अतà¥à¤¯à¤‚त तीवà¥à¤° गति से दकà¥à¤· के यजà¥à¤ž की ओर बà¥à¥€ तो यजà¥à¤žà¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ में अनेक पà¥à¤°à¤•ार के अपशकà¥à¤¨ होने लगे। वीरभदà¥à¤° के चलते ही यजà¥à¤ž में विधà¥à¤µà¤‚स की सूचना देने वाला उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ होने लगा। दकà¥à¤· की बायीं आंख, बायीं भà¥à¤œà¤¾ और बायीं जांघ फड़कने लगी। वाम अंगों का फड़कना बहà¥à¤¤ अशà¥à¤­ होता है। उस समय यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में भूकंप आ गया। दकà¥à¤· को कम दिखाई देने लगा। भरी दोपहर में उसे आसमान में तारे दिखने लगे। दिशाà¤à¤‚ धà¥à¤‚धली हो गईं। सूरà¥à¤¯ में काले-काले धबà¥à¤¬à¥‡ दिखाई देने लगे। ये धबà¥à¤¬à¥‡ बहà¥à¤¤ डरावने लग रहे थे। बिजली और अगà¥à¤¨à¤¿ के समान सारे नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ टूट टूटकर गिरते हà¥à¤ दिखने लगे। वहां यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में हजारों गिदà¥à¤§ दकà¥à¤· के सिर पर मंडराने लगे। उस यजà¥à¤žà¤®à¤£à¥à¤¡à¤ª को गिदà¥à¤§à¥‹à¤‚ ने पूरा ढक दिया था। वहां à¤à¤•तà¥à¤° गीदड़ बड़ी भयानक और डरावनी आवाजें निकाल रहे थे। सभी दिशाà¤à¤‚ अंधकारमय हो गई थीं। वहां अनेक पà¥à¤°à¤•ार के अपशकà¥à¤¨ होने लगे। फिर उसी समय वहां आकाशवाणी हà¥à¤ˆâ€” ओ महामूरà¥à¤–, दà¥à¤·à¥à¤Ÿ दकà¥à¤· ! तेरे जनà¥à¤® को धिकà¥à¤•ार है। तू बहà¥à¤¤ बड़ा पापी है। तूने भगवान शिव की बहà¥à¤¤ अवहेलना की है। तूने देवी सती, जो कि साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ जगदंबा रूप हैं, का भी अनादर किया है। सती ने तेरी ही वजह से अपने शरीर को योगागà¥à¤¨à¤¿ में जलाकर भसà¥à¤® कर दिया है। तà¥à¤à¥‡ तेरे करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल जरूर मिलेगा। आज तà¥à¤à¥‡ तेरी करनी का फल अवशà¥à¤¯ ही मिलेगा। साथ ही यहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी देवताओं और ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को भी अवशà¥à¤¯ ही उनकी करनी का फल मिलेगा। भगवान शिव तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ पापों का फल जरूर देंगे।

इस पà¥à¤°à¤•ार कहकर वह आकाशवाणी मौन हो गई। उस आकाशवाणी को सà¥à¤¨à¤•र और वहां यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में पà¥à¤°à¤•ट हो रहे अनेक अशà¥à¤­ लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ को देखकर दकà¥à¤· तथा वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी देवतागण भय से कांपने लगे। दकà¥à¤· को अपने दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठगठवà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का सà¥à¤®à¤°à¤£ होने लगा। उसे अपने किठपर बहà¥à¤¤ पछतावा होने लगा। तब दकà¥à¤· सहित सभी देवता शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ विषà¥à¤£à¥ की शरण में गà¤à¥¤ वे डरे हà¥à¤ थे। भय से कांपते हà¥à¤ वे सभी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤ªà¤¤à¤¿ विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ से अपने जीवन की रकà¥à¤·à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने लगे।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
पैंतीस अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"वीरभदà¥à¤° का आगमन"

दकà¥à¤· बोले ;- हे विषà¥à¤£à¥ ! कृपानिधान! मैं बहà¥à¤¤ भयभीत हूं। आपको ही मेरी और मेरे यजà¥à¤ž की रकà¥à¤·à¤¾ करनी है। पà¥à¤°à¤­à¥! आप ही इस यजà¥à¤ž के रकà¥à¤·à¤• हैं। आप साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ यजà¥à¤žà¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प हैं। आप हम सब पर अपनी कृपादृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनाइà¤à¥¤ हम सब आपकी शरण में आठहैं। पà¥à¤°à¤­à¥! हमारी रकà¥à¤·à¤¾ करें, ताकि यजà¥à¤ž का विनाश न हो।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी कहते हैं ;- हे मà¥à¤¨à¤¿ नारद! इस पà¥à¤°à¤•ार जब दकà¥à¤· ने भगवान विषà¥à¤£à¥ के चरणों में गिरकर उनसे पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की, उस समय दकà¥à¤· का मन भय से बहà¥à¤¤ अधिक वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤² था। तब शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ ने दकà¥à¤· को उठाकर अपने मन में करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ भगवान शिव का सà¥à¤®à¤°à¤£ किया और शिवततà¥à¤µ के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ दकà¥à¤· को समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बोले- दकà¥à¤·! तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ ततà¥à¤µ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं है, इसलिठतà¥à¤®à¤¨à¥‡ सबके अधिपति भगवान शंकर की अवहेलना की है। भगवान की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के बिना कोई भी कारà¥à¤¯ सफल नहीं हो सकता। उस कारà¥à¤¯ में अनेक परेशानियां आती हैं। जहां पूजनीय वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पूजा नहीं होती, वहां गरीबी, मृतà¥à¤¯à¥ तथा भय का निवास होता है। इसलिठतà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ भगवान शिव का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करना चाहिà¤à¥¤ परंतॠतà¥à¤®à¤¨à¥‡ महादेव का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और आंदर-सतà¥à¤•ार नहीं किया, अपितॠतà¥à¤®à¤¨à¥‡ उनका घोर अपमान किया है। इसी के कारण तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ ऊपर घोर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मैं तà¥à¤® पर छाठइस संकट से तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ उबारने में पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ असमरà¥à¤¥ हूं।

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;- नारद! भगवान विषà¥à¤£à¥ का वचन सà¥à¤¨à¤•र दकà¥à¤· सोच में डूब गया। उसके चेहरे का रंग उड़ गया और वे घोर चिंता में पड़ गà¤à¥¤ तभी भगवान शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ भेजे गठगणों सहित वीरभदà¥à¤° और महाकाली का उनकी सेनाओं सहित उस यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ हà¥à¤†à¥¤ वे सभी महान पराकà¥à¤°à¤®à¥€ थे। उनकी गणना करना असंभव था। उनके सिंहनाद से सारी दिशाà¤à¤‚ गूंज रही थीं। पूरे आसमान में धूल और अंधकार के बादल छाठहà¥à¤ थे। पूरी पृथà¥à¤µà¥€ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚, वनों और काननों सहित कांप रही थी। समà¥à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤‚ में जà¥à¤µà¤¾à¤°-भाटा उठ रहा था। उस विशालकाय सेना को देखकर समसà¥à¤¤ देवता आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित थे। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर दकà¥à¤· अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के साथ भगवान विषà¥à¤£à¥ के चरणों में गिर पड़े और बोले- हे पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¾à¤²à¤• विषà¥à¤£à¥ ! आपके बल से ही मैंने इस विशाल यजà¥à¤ž का आयोजन किया था। पà¥à¤°à¤­à¥! आप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के साकà¥à¤·à¥€ तथा यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤²à¤• हैं। आप ही धरà¥à¤® के रकà¥à¤·à¤• हैं। अतः पà¥à¤°à¤­à¥ शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿! आप ही यजà¥à¤ž को विनाश से बचा सकते हैं।

इस पà¥à¤°à¤•ार दकà¥à¤· की विनतीपूरà¥à¤£ बातों को सà¥à¤¨à¤•र शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बोले- दकà¥à¤· ! निशà¥à¤šà¤¯ ही मà¥à¤à¥‡ इस यजà¥à¤ž की रकà¥à¤·à¤¾ करनी चाहिठपरंतॠदेवताओं के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° नैमिषारणà¥à¤¯ की उस घटना का सà¥à¤®à¤°à¤£ करो। इस यजà¥à¤ž के आयोजन में कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤® उस घटना को भूल गठहो? यहां • इस यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ की और तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ रकà¥à¤·à¤¾ करने में कोई भी देवता समरà¥à¤¥ नहीं है। इस समय जब महादेव जी के गण और उनके सेनापति वीरभदà¥à¤° तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ भगवान शिव का अपमान करने का दंड देने आठहैं, उस समय कोई मूरà¥à¤– ही तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ सहायता को आगे आ सकता है।

दकà¥à¤· ! केवल करà¥à¤® ही समरà¥à¤¥ नहीं होता, अपितॠकरà¥à¤® को करने में जिसके सहयोग की आवशà¥à¤¯à¤•ता होती है, उसका भी उतना ही महतà¥à¤µ है। भगवान शिव ही करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ की शकà¥à¤¤à¤¿ देते हैं। जो शांत मन से भकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• उनकी पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करता है, महादेव जी उसे ततà¥à¤•ाल ही उस करà¥à¤® का फल देते हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को नहीं मानते, वे नरक के भागी होते हैं।

दकà¥à¤·! यह वीरभदà¥à¤° शंकर के गणों का à¤à¤¸à¤¾ सेनापति है, जो शिवजी के शतà¥à¤°à¥ का तà¥à¤°à¤‚त नाश कर देता है। निःसंदेह यह तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ तथा यहां पर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी लोगों का नाश कर देगा। शिवजी की आजà¥à¤žà¤¾ का उलà¥à¤²à¤‚घन करके, मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ यजà¥à¤ž में आया हूं, जिसका दà¥à¤·à¥à¤ªà¤°à¤¿à¤£à¤¾à¤® मà¥à¤à¥‡ भी भोगना पड़ेगा। अब इस विनाश को रोकने की शकà¥à¤¤à¤¿ मेरे पास नहीं है। यदि हम यहां से भागकर सà¥à¤µà¤°à¥à¤—, पाताल और पृथà¥à¤µà¥€ कहीं भी छिप जाà¤à¤‚, तो भी वीरभदà¥à¤° के शसà¥à¤¤à¥à¤° हमें ढूंॠलेंगे। शिवजी के सभी गण बहà¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं। विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ यह कह ही रहे थे कि वीरभदà¥à¤° अपनी अजय सेना के साथ यजà¥à¤ž मणà¥à¤¡à¤ª में आ पहà¥à¤‚चा।

 शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
छतà¥à¤¤à¥€à¤¸ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ और वीरभदà¥à¤° का यà¥à¤¦à¥à¤§"

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤œà¥€ कहते हैं ;– नारद! जब शिवजी की आजà¥à¤žà¤¾ पाकर वीरभदà¥à¤° की विशाल सेना ने यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया तो वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी देवता अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठशिवगणों से यà¥à¤¦à¥à¤§ करने लगे परंतॠशिवगणों की वीरता और पराकà¥à¤°à¤® के आगे उनकी à¤à¤• न चली। सारे देवता पराजित होकर वहां से भागने लगे। तब इंदà¥à¤° आदि लोकपाल यà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठआगे आà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ जी को नमसà¥à¤•ार कर उनसे विजय के विषय में पूछा।

उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा ;- हे गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿! हम यह जानना चाहते हैं कि हमारी विजय कैसे होगी?

उनकी यह बात सà¥à¤¨à¤•र बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ जी बोले ;- हे इंदà¥à¤°! समसà¥à¤¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल देने वाले तो ईशà¥à¤µà¤° हैं। सभी को अपनी करनी का फल अवशà¥à¤¯ भà¥à¤—तना पड़ता है। जो ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को जानकर और समà¤à¤•र उनकी शरण में आकर अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤® करता है उसी को उसके सतà¥à¤•रà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल मिलता है परंतॠजो ईशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ कारà¥à¤¯ करता है, वह ईशà¥à¤µà¤°à¤¦à¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ कहलाता है और उसे किसी भी अचà¥à¤›à¥‡ फल की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ नहीं होती। उन परमपà¥à¤£à¥à¤¯ भगवान शिव के सà¥à¤µà¤°à¥‚प को जानना अतà¥à¤¯à¤‚त कठिन है। वे सिरà¥à¤« अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के ही अधीन हैं। इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ भकà¥à¤¤à¤µà¤¤à¥à¤¸à¤² भी कहा जाता है। भकà¥à¤¤à¤¿ और ईशà¥à¤µà¤° सतà¥à¤¤à¤¾ में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ न रखने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ द वेदों का दस हजार बार भी अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर लें तो भी भगवान शिव के सà¥à¤µà¤°à¥‚प को भली-भांति नहीं जान पाà¤à¤‚गे। भगवान शिव के शांत, निरà¥à¤µà¤¿à¤•ार à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¤à¤® दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने à¤à¤µà¤‚ उनकी उपासना करने से ही शिवततà¥à¤µ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। तà¥à¤® उन करà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ भगवान महेशà¥à¤µà¤° की अवहेलना करने वाले उस मूरà¥à¤– दकà¥à¤· के निमंतà¥à¤°à¤£ पर यहां इस यजà¥à¤ž में भाग लेने आ गठहो। भगवान शिव की पतà¥à¤¨à¥€ देवी सती का भी इस यजà¥à¤ž में घोर अपमान हà¥à¤† है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसी यजà¥à¤ž में अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ दे दी है। इसी कारण भगवान शंकर ने रà¥à¤·à¥à¤Ÿ होकर इस यजà¥à¤ž विधà¥à¤µà¤‚स करने के लिठवीरभदà¥à¤° के नेतृतà¥à¤µ में अपने शिवगणों को भेजा है। अब इस यजà¥à¤ž के विनाश को रोक पाना किसी के भी वश में नहीं है। अब चाहकर भी तà¥à¤® लोग कà¥à¤› नहीं कर सकते।

बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ जी के ये वचन सà¥à¤¨à¤•र इंदà¥à¤° सहित अनà¥à¤¯ देवता चिंता में पड़ गà¤à¥¤ सभी वीरभदà¥à¤° और अनà¥à¤¯ शिवगण उनके निकट पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤ वहां वीरभदà¥à¤° ने उन सभी को बहà¥à¤¤ डांटा और फटकारा। गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ से वीरभदà¥à¤° ने इंदà¥à¤° सहित सभी देवताओं पर अपने तीखे बाणों से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। बाणों से घायल हà¥à¤ सभी देवताओं में हाहाकार मच गया और वे अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठयजà¥à¤žà¤®à¤£à¥à¤¡à¤ª से भाग खड़े हà¥à¤à¥¤ यह देखकर वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी ऋषि-मॠभयभीत होकर शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ के समà¥à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤£ रकà¥à¤·à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने लगे। तब मैं और विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ वीरभदà¥à¤° से यà¥à¤¦à¥à¤§ करने के लिठउनके पास गà¤à¥¤ हमें देखकर वीरभदà¥à¤° जो पहले से ही कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ थे, हम सबको डांटने लगे।

उनके कठोर वचनों को सà¥à¤¨à¤•र विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बोले ;- हे शिवभकà¥à¤¤ वीरभदà¥à¤°! मैं भी भगवान शिव का ही भकà¥à¤¤ हूं। उनमें मेरी अपार शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ है। मैं उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ का सेवक हूं परंतॠदकà¥à¤· अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ और मूरà¥à¤– है। यह सिरà¥à¤« करà¥à¤®à¤•ाणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में ही विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखता है। जिस पà¥à¤°à¤•ार महेशà¥à¤µà¤° भगवान अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के ही अधीन हैं उसी पà¥à¤°à¤•ार मैं भी अपने भकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के ही अधीन हूं। दकà¥à¤· मेरा अननà¥à¤¯ भकà¥à¤¤ है। उसकी बारंबार पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ पर मà¥à¤à¥‡ इस यजà¥à¤ž में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होना पड़ा। हे वीरभदà¥à¤°! तà¥à¤® रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¦à¥‡à¤µ के रौदà¥à¤° रूप अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ कà¥à¤°à¥‹à¤§ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हो। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ भगवान शंकर ने इस यजà¥à¤ž का विनाश करने के लिठयहां भेजा है। उनकी आजà¥à¤žà¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ लिठशिरोधारà¥à¤¯ है। मैं इस यजà¥à¤ž का रकà¥à¤·à¤• हूं। अतः इसे बचाना मेरा पहला करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। इसलिठतà¥à¤® भी अपना करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ निभाओ और मैं भी अपना करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ निभाता हूं। हम दोनों को ही अपने उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठआपस में यà¥à¤¦à¥à¤§ करना पड़ेगा।

भगवान विषà¥à¤£à¥ के ये वचन सà¥à¤¨à¤•र, वीरभदà¥à¤° हंसकर बोला कि आप मेरे परमेशà¥à¤µà¤° भगवान शिव के भकà¥à¤¤ हैं, यह जानकर मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ भगवनà¥, मैं आपको नमसà¥à¤•ार करता हूं। आप मेरे लिठभगवान शिव के समान ही पूजनीय हैं। मैं आपका आदर करता हूं परंतॠशिव आजà¥à¤žà¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मà¥à¤à¥‡ इस यजà¥à¤ž का विनाश करना है। यह मेरा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। यजà¥à¤ž का रकà¥à¤·à¤• होने के नाते इसे बचाना आपका उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ है। अतः हम दोनों को ही अपना-अपना कारà¥à¤¯ करना है। तब शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ और वीरभदà¥à¤° दोनों ही यà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठतैयार हो गà¤à¥¤ ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ दोनों में घोर यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ अंत में वीरभदà¥à¤° ने भगवान विषà¥à¤£à¥ के सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ चकà¥à¤° को जड़ कर दिया। उनके धनà¥à¤· के तीन टà¥à¤•ड़े कर दिà¤à¥¤ वीरभदà¥à¤° विषà¥à¤£à¥à¤œà¥€ पर भारी पड़ रहे थे। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहां से अंतरà¥à¤§à¤¾à¤¨ होने का विचार किया। सभी देवता व ऋषिगण यह समठचà¥à¤•े थे कि यह जो कà¥à¤› हो रहा है, वह देवी सती के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और शिवजी के अपमान का ही परिणाम है। इस संकट की घड़ी में कोई भी उनकी रकà¥à¤·à¤¾ नहीं कर सकता। तब वे देवता और ऋषिगण शिवजी का सà¥à¤®à¤°à¤£ करते हà¥à¤ अपने-अपने लोक को चले गà¤à¥¤ मैं भी दà¥à¤–ी मन से अपने सतà¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• को चला आया। उस यजà¥à¤žà¤¸à¥à¤¥à¤² पर बहà¥à¤¤ उपदà¥à¤°à¤µ हà¥à¤†à¥¤ वीरभदà¥à¤° और महाकाली ने अनेकों मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ देवताओं को पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¿à¤¤ करके उनका वध कर दिया। भृगà¥, पूषा और भग नामक देवताओं को उनकी करनी का फल देते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पृथà¥à¤µà¥€ पर फेंक दिया।

शà¥à¤°à¥€à¤°à¥à¤¦à¥à¤° संहिता
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खणà¥à¤¡
सैंतीस अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
"दकà¥à¤· का सिर काटकर यजà¥à¤ž कà¥à¤‚ड में डालना"

हे नारद! यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सभी देवताओं को डराकर और मारकर वीरभदà¥à¤° ने वहां से भगा दिया और जो बाकी बचे उनको भी मार डाला। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यजà¥à¤ž के आयोजक दकà¥à¤· को, जो कि भय के मारे अंतरà¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ में छिपा था, बलपूरà¥à¤µà¤• पकड़ लिया। वीरभदà¥à¤° ने दकà¥à¤· के शरीर पर अनेकों वार किà¤à¥¤ वे दकà¥à¤· का सिर तलवार से काटने लगे। परंतॠदकà¥à¤· के योग के पà¥à¤°à¤­à¤¾à¤µ से वह सिर काटने में असफल रहे। वीरभदà¥à¤° ने दकà¥à¤· की छाती पर पैर रखकर दोनों हाथों से उसकी गरदन मरोड़कर तोड़ दी। ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ दकà¥à¤· के सिर को वीरभदà¥à¤° ने अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤‚ड में डाल दिया। उस महान यजà¥à¤ž का संपूरà¥à¤£ विनाश करने के उपरांत वीरभदà¥à¤° और सभी गण जीत की खà¥à¤¶à¥€ के साथ कैलाश परà¥à¤µà¤¤ पर चले गठऔर शिवजी को अपनी विजय की सूचना दी। इस समाचार को पाकर महादेव जी बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤à¥¤

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Bhanu Pratap Shastri

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